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जम्मू वायुसेना स्टेशन पर हमले ने बढ़ाई ड्रोन की चुनौती, राडार से बचने की क्षमता बन रही रणनीतिक प्रतिष्ठानों के लिए खतरा

By अभिषेक पारीक | Updated: June 27, 2021 21:58 IST

ड्रोन की राडार से बचने, रणनीतिक स्थलों पर तबाही मचाने और आतंकवादियों तक हथियारों पहुंचाने की क्षमता देश के सुरक्षा प्रतिष्ठान के लिए निरंतर चिंता का विषय रहा है।

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ठळक मुद्देराडार से बचने की क्षमता ड्रोन को रणनीतिक प्रतिष्ठानों के लिए खतरा बनाती है। जम्मू कश्मीर वायुसेना स्टेशन की घटना ने ड्रोन की चुनौती को बढ़ा दिया है। ड्रोन को विफल करने की सबसे उपयुक्त तकनीक की तलाश की जा रही है। 

ड्रोन की राडार से बचने, रणनीतिक स्थलों पर तबाही मचाने और आतंकवादियों तक हथियारों पहुंचाने की क्षमता देश के सुरक्षा प्रतिष्ठान के लिए निरंतर चिंता का विषय रहा है। इस तरह की पहली घटना में इन ड्रोनों का इस्तेमाल रविवार को जम्मू में वायुसेना के एक बेस पर हमला करने के लिए किया गया। यह बात अधिकारियों ने कही। पाकिस्तान स्थित आतंकवादियों ने जम्मू के सतवारी इलाके में भारतीय वायु सेना स्टेशन पर रात के अंधेरे में दो बम गिराने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया जिससे एक इमारत को मामूली नुकसान हुआ और दो वायुसेनाकर्मी घायल हो गए। 

देश का रक्षा और आंतरिक सुरक्षा तंत्र पिछले दो से तीन वर्षों से छोटे और रिमोट से नियंत्रित मानव रहित यानों द्वारा उत्पन्न खतरों के बारे में बात करता रहा है। पाकिस्तान प्रायोजित सशस्त्र ड्रोनों को भारत-पाकिस्तान सीमा पर सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ), पंजाब पुलिस और अन्य एजेंसियां द्वारा निष्प्रभावी करने की कभी कभार घटनाएं होती रही हैं। गृह, नागरिक उड्डयन, नागरिक उड्डयन सुरक्षा ब्यूरो (बीसीएएस), केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) और वायुसेना जैसे मंत्रालय और विभागों का एक समूह संवेदनशील नागरिक हवाई अड्डों एवं अन्य स्थलों पर ऐसे हमलों को रोकने और उनका मुकाबला करने के लिए योजनाओं और प्रौद्योगिकियों पर काम कर रहा है। 

केंद्रीय पुलिस थिंक टैंक ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च एंड डेवलपमेंट (बीपीआरडी) ने इन खतरों को रोकने और बेअसर करने के लिए प्रौद्योगिकी-वार और आर्थिक दोनों तरह से प्रभावी तरीकों का पता लगाने के लिए इस विषय पर कुछ बहु-हितधारक राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किए हैं। बीएसएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'हमें अभी भी सीमा पर सशस्त्र ड्रोन को विफल करने के लिए सबसे उपयुक्त तकनीक प्राप्त करनी है। अभी तक इन्हें ड्यूटी पर सैनिकों की सतर्कता के कारण रोका गया है।' 

उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में पाकिस्तान से भारत की ओर जम्मू और पंजाब में हथियार और मादक पदार्थ और क्वाड-कॉप्टर आने की कई घटनाएं देखी गई हैं और उन सभी को विफल किया गया है। हालांकि, गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि ऐसी घटनाएं हुई हैं जब ड्रोन का इस्तेमाल भारतीय सीमा की संपत्ति और स्थिति की निगरानी के लिए किया गया। 

उन्होंने कहा कि हालांकि जैसे ही उन्हें देखा गया और प्रतिक्रिया की गई उन्हें संचालित करने वाले उन्हें उनके बेस पर ले गए जहां या तो आतंकवादी तत्व या पाकिस्तानी सैनिक उसे रिमोट से संचालित करते हैं। पाकिस्तान के साथ लगने वाली अंतरराष्ट्रीय सीमा और नियंत्रण रेखा (एलओसी) दोनों क्षेत्रों में ऐसी घटनाएं सामने आयी हैं। 

एक उचित मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) तैयार की जा रही है, जिसमें वायुसेना के साथ ही सीआईएसएफ और कमांडो फोर्स, नेशनल सिक्योरिटी गार्ड (एनएसजी) के स्नाइपर शामिल हैं। सुरक्षा प्रतिष्ठान के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'हमें ड्रोन के खतरे को रोकने के लिए एक व्यापक योजना और कार्य योजना की आवश्यकता है। हर एजेंसी की विशिष्ट जिम्मेदारी होनी चाहिए, चाहे वह सीमा पर हो या शहरों या हवाई अड्डों पर।' अधिकारी ने कहा, 'जम्मू वायुसेना स्टेशन की ताजा घटना ने इस चुनौती को और बढ़ा दिया है।'

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