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क्या कोरोना की वजह से शिक्षा का एक बड़ा फोकस हुआ डिजिटल शिक्षा की ओर, HRD मिनिस्टर रमेश पोखरियाल निशंक ने दिया ये जवाब

By एसके गुप्ता | Updated: May 27, 2020 18:32 IST

केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक से लोकमत के वरिष्ठ संवाददाता एसके गुप्ता ने खुलकर बात की। उन्होंने कहा कि यूजीसी के नए दिशानिर्देशों के अनुसार 60-70 फीसदी क्लासरूम टीचिंग होगी और 30-40 फीसदी ऑनलाइन शिक्षण होगा। मैं सिर्फ यही कहना चाहूंगा की स्कूलों के खुलने के बारे में अटकलें लगाने की कोई आवश्यकता नहीं है

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ठळक मुद्दे यूजीसी के नए दिशानिर्देशों के अनुसार 60-70 फीसदी क्लासरूम टीचिंग होगी और 30-40 फीसदी ऑनलाइन शिक्षण होगाप्रधनमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों की वजह से भारत ने इस संकट काल में खुद को विश्व गुरु के तौर पर स्थापित कर लिया है।

नई दिल्ली: केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि विश्व के दूसरे देश जब यह चर्चा कर रहे हैं कि वो लॉकडाउन हटाएं या नहीं हमारे देश में अध्यापकों की प्रतिबद्धता और कर्तव्यबोधता की वजह ये हमने बच्चों की शिक्षा को अनवरत रूप से जारी रहने दिया है। 

उन्होंने आगे कहा, 'मुझे खुशी है कि बड़ी संख्या में छात्रों और काम करने वाले पेशेवरों ने अपने कौशल को बढ़ाने के लिए ई-लर्निंग प्लेटफ़ॉर्म में शामिल होने के लिए ऑनलाइन शिक्षा की अधिक स्वीकृति दी है. सीखने के प्लेटफार्मों में DIKSHA, NISHTHAM, E-Pathshala, SWAYAM, SWAYAM Prabha, NROER, - PG Pathshala, Shodhganga, E - Shodhsindhu, E - Yantra, FOSSE, Virtual Labs, SAMARTH, VIDWAN, Shodh Sudhi शामिल हैं। उच्च शिक्षा के प्रमुख ऑनलाइन शैक्षणिक पोर्टलों जैसे SWAYAM, SWAYAM Prabha, Virtual Labs, FOSSEE, E - Yantra और स्पोकन ट्यूटोरियल पर हिट्स की संख्या लॉकडाउन के बाद 5 गुना हो गई है। लॉकडाउन के एक सप्ताह के भीतर, DIKSHA के उपयोग में 2.5 गुना वृद्धि हुई थी। जहां तक ऑनलाइन शिक्षा की बात है तो यूजीसी के नए दिशानिर्देशों के अनुसार 60-70 फीसदी क्लासरूम टीचिंग होगी और 30-40 फीसदी ऑनलाइन शिक्षण होगा।'

HRD मिनिस्टर ने कहा, 'इसलिए हमारे यशस्वी प्रधनमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों की वजह से भारत ने इस संकट काल में खुद को विश्व गुरु के तौर पर स्थापित कर लिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने लिंक्डइन लेख में स्पष्ट रूप से कहा है “आखिरकार, प्रौद्योगिकी का सबसे परिवर्तनकारी प्रभाव अक्सर गरीबों के जीवन में होता है. यह प्रौद्योगिकी है जो नौकरशाही पदानुक्रम को ध्वस्त करती है, बिचौलियों को समाप्त करती है और कल्याणकारी उपायों को तेज करती है।”'

उन्होंने कहा, 'भारत को हमेशा से शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी के तौर पर देखा जाता रहा है। इस प्रकार हमें अपने आप को रोल मॉडल साबित करने की जरूरत है ही नहीं. जिस प्रकार भारत सरकार के कोरोना के खिलाफ जंग में किये गए प्रयासों के लिए पूरे विश्व में सराहना मिल रही है उसी प्रकार ऑनलाइन शिक्षा प्रणाली को और सुदृढ़ और सुगम बनाने के लिए चलायी जा रही मानव संसाधन विकास मंत्रालय की विभिन्न योजनाओं को भी इस संकट काल के समय में एक नयी दिशा के तौर पर देखा जाएगा। शिक्षा के क्षेत्र में तो भारत ने वैसे ही विश्व में अपना लोहा मनवाया हुआ है। संपूर्ण विश्व में भारत की शिक्षा प्रणाली और यहां के मेधावियों का सम्मान किया जाता है। विश्व की बड़ी-बड़ी संस्थाओं के सबसे ऊंचे पद पर कोई न कोई भारतवंशी ही है चाहे आप गूगल को देखें, माइक्रोसॉफ्ट को देखें या किसी और बड़ी संस्था को।' 

टॅग्स :रमेश पोखरियाल निशंककोरोना वायरस
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