आरएफएल कोष में अनियमितता : न्यायालय ने मौखिक टिप्पणी की

By भाषा | Updated: October 25, 2021 20:52 IST2021-10-25T20:52:14+5:302021-10-25T20:52:14+5:30

Irregularities in RFL funds: Court makes oral remarks | आरएफएल कोष में अनियमितता : न्यायालय ने मौखिक टिप्पणी की

आरएफएल कोष में अनियमितता : न्यायालय ने मौखिक टिप्पणी की

नयी दिल्ली, 25 अक्टूबर उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को मौखिक टिप्पणी की कि सरकार उस मामले में ‘‘काफी रूचि’’ ले रही है जिसमें फोर्टिस हेल्थकेयर के पूर्व प्रवर्तक शिविंदर मोहन सिंह रेलीगेयर फिनवेस्ट लिमिटेड फंड में 2397 करोड़ रुपये के कोष की धोखाधड़ी के आरोपी हैं। अदालत ने उनकी जमानत याचिका पर सुनवाई दीवाली की छुट्टियों के बाद के लिए स्थगित कर दी।

प्रधान न्यायाधीश एन. वी. रमण की अध्यक्षता वाली पीठ ने शुरू में सिंह के वकील सहित संबंधित पक्षों को संकेत दिए कि वह मामले को वापस दिल्ली उच्च न्यायालय में पहले की टिप्पणियों से प्रभावित हुए बगैर फिर से सुनवाई के लिए भेजना चाहती है।

पीठ ने कहा, ‘‘आप दिल्ली उच्च न्यायालय में जाइए। हम उच्च न्यायालय को निर्देश देंगे कि वह आपके मामले पर समयबद्ध तरीके से सुनवाई करे। पहले की टिप्पणियों से प्रभावित हुए बगैर उच्च न्यायालय को मामले में सुनवाई करने दीजिए... अब फिर से (दिल्ली पुलिस) चार महीने चाहती है (जांच पूरी करने के लिए)। भगवान जाने वे क्या चाहते हैं...।’’ पीठ में न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति हिमा कोहली भी शामिल थीं।

सिंह की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ लूथरा ने रिकॉर्ड का हवाला देकर आरोप लगाया कि दिल्ली पुलिस ने नौ फरवरी 2021 को कहा कि सिंह से जुड़ी जांच पूरी हो गई है और अब वे आगे की जांच के लिए चार महीने और समय चाहते हैं।

दिल्ली पुलिस की तरफ से पेश हुए सोलीसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि आरोपी की तरफ से बनाई गई गलत छवि को वह दूर करना चाहते हैं और घोटाले की गंभीरता का जिक्र करते हुए कहा कि यह 1500 करोड़ रुपये से अधिक राशि का मामला है।

पीठ ने कहा कि वह मामले में राशि के बारे में नहीं सोचती है और चाहती है कि याचिका पर उच्च न्यायालय फिर से सुनवाई करे।

सीजेआई ने कहा, ‘‘मैं ज्यादा टिप्पणी नहीं करना चाहता लेकिन सरकार (पुलिस) काफी रूचि ले रही है।’’ उन्होंने कहा कि पीठ अब मामले पर सुनवाई दीवाली की छुट्टी के बाद करेगी।

दिल्ली उच्च न्यायालय ने मई में सिंह की जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा था कि ‘‘उनके द्वारा किए गए षड्यंत्र का भंडाफोड़’’ करने और कथित गबन की राशि का पता लगाने के लिए उन्हें हिरासत में रखा जाना जरूरी है।

दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने हाल में चार महीने का समय दिया था और कहा था कि राशि की धोखाधड़ी के मामले की जांच पूरी करने के लिए उसे चार महीने और समय चाहिए।

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Web Title: Irregularities in RFL funds: Court makes oral remarks

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