अजमेर दरगाह के दीवान ने इस्लाम को आतंकवाद से जोड़ने पर जताया एतराज, कहा- ये मुसलमानों का अपमान है

By भाषा | Published: August 22, 2018 06:09 PM2018-08-22T18:09:01+5:302018-08-22T18:09:01+5:30

उन्होंने कहा कि इस्लाम अमन एवं सलामती का स्रोत और मनुष्यों के बीच प्रेम एवं ख़ैर खवाहि को बढ़ावा देने वाला मजहब है।

insult of muslim by adding name of terrorism with islam said ajmer dargah dewan syed zainul | अजमेर दरगाह के दीवान ने इस्लाम को आतंकवाद से जोड़ने पर जताया एतराज, कहा- ये मुसलमानों का अपमान है

अजमेर दरगाह के दीवान ने इस्लाम को आतंकवाद से जोड़ने पर जताया एतराज, कहा- ये मुसलमानों का अपमान है

अजमेर, 22 अगस्त: अजमेर दरगाह के आध्यात्मिक प्रमुख दरगाह दीवान सैयद जैनुल आबेदीन अली खान ने आतंकवाद के साथ इस्लाम का नाम जोड़ने को गलत बताते हुए आज कहा कि ऐसा करना मुसलमानों का अपमान है।सूफी संत हजरत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती के वंशज एवं वंशानुगत सज्जादा नशीन दरगाह दीवान खान ने ईदुल अजहा के मौके पर जारी एक बयान में यह बात कही है।

उन्होंने कहा,‘‘आतंकवाद के साथ इस्लाम का नाम लेना मुसलमानों का अपमान है ऐसा करने वालों को इस्लाम की शिक्षा और उसके इतिहास की जानकारी नहीं है बल्कि ये लोग इस्लाम धर्म को आम लोगों के बीच बदनाम करने की साजिश रच रहे हैं।’’

उन्होंने कहा कि आज इस्लाम और आतंकवाद को एक दूसरे का पर्यायवाची मान लिया गया है जबकि हिंसा और इस्लाम में आग और पानी जैसा बैर है। उन्होंने कहा कि इस्लाम अमन एवं सलामती का स्रोत और मनुष्यों के बीच प्रेम एवं ख़ैर खवाहि को बढ़ावा देने वाला मजहब है।

बयान में कहा गया है,‘‘इस्लाम धर्म के कमोबेश एक लाख चौबीस हजार पैगंबरों ने केवल शांति का संदेश दिया है इसलिए आतंकवाद का इस्लाम से कोई संबंध नहीं है यदि कोई इस्लाम को आतंकवादी मजहब करार देता है तो वह केवल इस धर्म से घृणा का इजहार करता है।’’

इसके साथ ही उन्होंने मुसलमानों से अपील की है कि वे ग़ैर मुस्लिमों के सामने अपने धर्म की सही तस्वीर व हकीकत पेश करें।

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