तीन तलाक विधेयक: वो पांच महिलाएं जिनकी वजह से तलाक-ए-बिद्दत बना राष्ट्रीय मुद्दा

By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: December 28, 2017 06:36 PM2017-12-28T18:36:00+5:302017-12-28T19:16:52+5:30

इन महिलाओं ने सुप्रीम कोर्ट में एक बार में तीन तलाक को खत्म करने की याचिकाएं दायर की थीं।

Instant Triple Talaq Bill 2017: These 5 Women are Heroine of this Historic Bill | तीन तलाक विधेयक: वो पांच महिलाएं जिनकी वजह से तलाक-ए-बिद्दत बना राष्ट्रीय मुद्दा

तीन तलाक विधेयक: वो पांच महिलाएं जिनकी वजह से तलाक-ए-बिद्दत बना राष्ट्रीय मुद्दा

नरेंद्र मोदी सरकार ने गुरुवार (28 दिसंबर) को लोक सभा में तलाक-ए-बिद्दत (एक बार में तीन तलाक) देने को आपराधिक कृत्य बनाने वाला विधेयक पेश किया। कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने विधेयक पेश करते हुए इसे ऐतिहासिक बताया। लोक सभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने साफ किया है कि गुरुवार को लोक सभा की कार्यवाही तब तक जारी रहेगी जब तक कि इस विधेयक पर मतदान न हो जाए। बीजेपी ने अपने सभी सांसदों को व्हिप जारी किया है। यानी सभी बीजेपी सांसदों को मतदान में मौजूद रहना होगा। विपक्ष दल इस विधेयक का विरोध कर रहे हैं लेकिन सत्ता पक्ष के पास प्रचंड बहुमत है इसलिए निचले सदन में इस विधेयक को पारित होना लगभग पक्का ही है। प्रस्तावित विधेयक में एक बार में तीन तलाक देने के लिए तीन साल तक की जेल और जुर्माने या दोनों का प्रावधान है। आइए एक नजर डालते हैं उन पांच महिलाओं पर जिनकी वजह से ये मुद्दा राष्ट्री सुर्खियों में आया।

1- शायरा बानो

इस मामले में पहली याचिकाकर्ता उत्तराखंड के काशीपुर की रहने वाली शायरा बानो के पति ने अक्टूबर 2015 में उन्हें एक बार में तीन तलाक दे दिया। एक साल बाद उन्होंने अपने पति रिजवान अहमद के खिलाफ याचिका दायर की। उनका पति इलाहाबाद में प्रॉपर्टी डीलर का काम करता था। शायरा के दो बच्चे भी उनके पति के साथ थे। शायरा बानो ने सुप्रीम कोर्ट से तलाक-ए-बिद्दत (एक बार में तीन तलाक) को गैर-कानूनी और असंवैधानिक घोषित करने की मांग की। शायरा बानो ने मांग की थी कि इस्लामी शरियत के अनुसार तीन महीने की इद्दत पूरी किए बिना तीन तलाक देने, बहुविवाह और निकाह-ए-हलाला को भी गैर-कानूनी घोषित करने की मांग की थी। शायरा बानो की मांग थी कि फोन या एसएमएस के माध्यम से तीन तलाक देने पर भी पाबंदी लगायी जाए। शायरा बानो ने शीर्ष अदालत से कहा था कि उनके ससुराल वालों ने छह बार उन्हें गर्भपात कराने के लिए मजबूर किया जिसकी वजह से उन्हें भयानक शारीरिक और मानसिक तनाव से गुजरना पड़ा। शायरा बानो की याचिका के बाद ही नरेंद्र मोदी सरकार ने भी सुप्रीम कोर्ट में तीन तलाक पर हलफनामा दिया था।

2- इशरत जहाँ

पश्चिम बंगाल की रहने वाली इशरत जहाँ को उनके पति मुर्तजा ने फोन पर एक बारे में तीन तलाक दे दिया था। अप्रैल 2015 में उनके पति ने शादी के 15 साल बाद दुबई से फोन करके "तलाक, तलाक, तलाक" कहा और फोन रख दिया। इशरत का पति पहले ही दूसरी शादी कर चुका था। वो इशरत के चार बच्चों को भी अपने साथ ले गया। इशरत अपने बच्चों को वापस चाहती थीं। इशरत जहाँ भी अपनी तीन बेटियों और बेटे को पाने के लिए अदालत की शरण पहुंची थीं। इशरत ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा था, "मुझे फोन पर तीन तलाक मंजूर नहीं। मुझे न्याय चाहिए।"

3- गुलशन परवीन

उत्तर प्रदेश के रामपुर में रहने वाली गुलशन परवीन को उनके पति ने 10 रुपये के स्टाम्पपेपर पर तलाक दे दिया था। उन्होंने तलाक का नोटिस लेने से इनकार कर दिया तो उनका पति तलाक के लिए परिवार न्यायाल में गया। गुलशन ने आरोप लगाया था कि उनके संग घरेलू हिंसा भी होती थी और उन्हें दहेज के लिए भी प्रताड़ित किया जाता था। गुलशन ने भी न्याय पाने के लिए कानून का रास्ता चुना।

4- आफरीन रहमान

आफरीन रहमान ने साल 2014 में एक मैट्रिमोनियल वेबसाइट के माध्यम से शादी की थी। आफरीन ने मीडिया को बताया था कि शादी के दो-तीन महीने बाद ही उनके ससुराल वाले उन्हें तंग करने लगे। आफरीन ने ससुराल वालों पर मारपीट करने का भी आरोप लगाया था। सितंबर 2015 में ससुराल वालों ने आफरीन को घर से निकाल दिया था। मायके आने के बाद उन्हें एक खत मिला जिसमें उनके पति ने उन्हें तलाक देने की बात कही थी। आफरीन ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।

5- आतिया साबरी

आतिया साबरी की शादी 2012 में हुई थी। उनके पति ने कागज के एक टुकड़े पर लिखकर उन्हें तलाक दे दिया था। आतिया ने इस तलाक को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। आतिया ने सुप्रीम कोर्ट से अपने पति से गुजाराभत्ता दिलाने की मांग की। उनकी चार और तीन साल की दो बेटियां हैं।

भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन की भूमिका

भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन (बीएमएमए) ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करके मुस्लिम महिलाओं को न्याय देने की मांग की थी। संगठन ने सुप्रीम कोर्ट से संविधान के समक्ष सभी नागरिकों के समान अधिकार के तहत एक बार में तीन तलाक खत्म करने की मांग की थी। बीएमएमए ने अपनी याचिका में कहा  था कि "अल्लाह की नजर में महिला और पुरुष समान हैं।" बीएमएमए ने 50 हजार मुस्लिम महिलाओं के दस्तखत के साथ अपनी याचिका सुप्रीम कोर्ट में जमा की थी।

तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला

सु्प्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ ने एक बार में तीन तलाक से जुड़ी सभी याचिकाओं को एक साथ सुनवाई की थी। मई 2017 में मुख्य न्यायाधीश जेएस खेहर के नेतृत्व वाली संविधान पीठ ने एक बार में तीन तलाक को गैर-कानूनी और असंवैधानिक करार दिया। इस पीठ में शामिल पांचों जज पांच धर्मों से संबंध रखते हैं। मुख्य न्यायाधीश खुद सिख हैं वहीं जस्टिस कूरियन जोसेफ ईसाई, आरएफ नरीमन पारसी, यूयू ललित हिन्दू और एस अब्दुल नजीर मुस्लिम हैं। 

Web Title: Instant Triple Talaq Bill 2017: These 5 Women are Heroine of this Historic Bill

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे