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VP Jagdeep Dhankhar: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे का कारण क्या?, विपक्ष ने सरकार से पूछे कई सवाल

By सतीश कुमार सिंह | Updated: July 22, 2025 11:50 IST

VP Jagdeep Dhankhar Live Updates: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को भेजे अपने त्यागपत्र में धनखड़ ने कहा कि वह ‘‘स्वास्थ्य देखभाल को प्राथमिकता देने’’ के लिए तत्काल प्रभाव से पद छोड़ रहे हैं।

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ठळक मुद्देVP Jagdeep Dhankhar Live Updates: सूत्रों के अनुसार यह कदम केंद्र को रास नहीं आया।VP Jagdeep Dhankhar Live Updates: उपराष्ट्रपति ने तीखी टिप्पणी की और बहस में बदल गई।VP Jagdeep Dhankhar Live Updates: दरवाज़ा दिखाए जाने के बजाय पद छोड़ने का फ़ैसला किया।

नई दिल्लीः देश में राजनीति गर्म है और कई सवाल भी पूछे जा रहे हैं। दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के घर से भारी मात्रा में नकदी बरामद होने के बाद उन्हें हटाने के लिए संसद में महाभियोग प्रस्ताव लाया गया था। इन सबके बीच उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कल रात अचानक इस्तीफा दे दिया। सूत्रों ने एनडीटीवी को बताया है कि केंद्र से एक फोन कॉल टकराव में बदल गई, जिससे उपराष्ट्रपति के पास कोई विकल्प नहीं बचा। सूत्रों ने यह भी संकेत दिया है कि जगदीप धनखड़ के स्वास्थ्य कारणों से दिए गए इस्तीफे ने उन्हें सरकार समर्थित अविश्वास प्रस्ताव के अपमान से बचाया।

उच्च सदन के सभापति धनखड़ ने नोटिस स्वीकार कर लिया

केंद्र में न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा को हटाने के लिए विपक्ष समर्थित एक नोटिस है, जो अपने सरकारी आवास से भारी मात्रा में नकदी बरामद होने के बाद सुर्खियों में आए थे। कल जब राज्यसभा की मानसून सत्र की शुरुआत हुई, तो विपक्षी सांसदों ने यह नोटिस पेश किया। उच्च सदन के सभापति धनखड़ ने नोटिस स्वीकार कर लिया और सदन के महासचिव से आवश्यक कदम उठाने को कहा।

उपराष्ट्रपति ने तीखी टिप्पणी की और बातचीत जल्द ही बहस में बदली

सूत्रों के अनुसार यह कदम केंद्र को रास नहीं आया। उपराष्ट्रपति द्वारा विपक्ष समर्थित नोटिस को स्वीकार करने से सरकार को न्यायाधीश और न्यायपालिका में भ्रष्टाचार के खिलाफ आक्रामक रुख अपनाने का मौका नहीं मिला। सूत्रों के अनुसार, केंद्र ने उपराष्ट्रपति को फोन किया और इस मुद्दे को उठाया। उपराष्ट्रपति ने तीखी टिप्पणी की और बातचीत जल्द ही बहस में बदल गई।

सूत्रों के अनुसार, बहस के दौरान उपराष्ट्रपति ने अपने पद की शक्तियों का भी हवाला दिया। फोन कॉल के बाद धनखड़ के ख़िलाफ़ अविश्वास प्रस्ताव लाने की सुगबुगाहट शुरू हो गई। अनुभवी राजनेता धनखड़ को इसकी भनक लग गई और उन्होंने दरवाज़ा दिखाए जाने के बजाय पद छोड़ने का फ़ैसला किया।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को संबोधित करते हुए त्यागपत्र साझा किया

कल रात 9.25 बजे उपराष्ट्रपति के आधिकारिक X हैंडल से राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को संबोधित करते हुए त्यागपत्र साझा किया गया। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार शाम स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को भेजे अपने त्यागपत्र में धनखड़ ने कहा कि वह ‘‘स्वास्थ्य देखभाल को प्राथमिकता देने’’ के लिए तत्काल प्रभाव से पद छोड़ रहे हैं।

अगस्त 2022 में उपराष्ट्रपति का पदभार संभाला था

धनखड़ ने राष्ट्रपति को लिखे पत्र में कहा, "स्वास्थ्य देखभाल को प्राथमिकता देने और चिकित्सीय सलाह का पालन करने के लिए, मैं संविधान के अनुच्छेद 67 (ए) के अनुसार, तत्काल प्रभाव से भारत के उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे रहा हूं।" धनखड़ (74) ने अगस्त 2022 में उपराष्ट्रपति का पदभार संभाला था और उनका कार्यकाल 2027 तक था।

राज्यसभा के सभापति धनखड़ का इस्तीफा संसद के मानसून सत्र के पहले दिन आया। हाल में उनकी दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में एंजियोप्लास्टी हुई थी और इस वर्ष मार्च में उन्हें कुछ दिनों के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया था। कुछ अवसरों पर उनकी हालत ठीक नहीं दिखी थी, लेकिन संसद सहित सार्वजनिक कार्यक्रमों में वह अक्सर ऊर्जावान ही दिखे।

स्वतंत्र भारत में किसी वर्तमान उपराष्ट्रपति को हटाने का पहला मामला था

राज्यसभा के सभापति के रूप में अपने कार्यकाल में धनखड़ का विपक्ष के साथ कई बार टकराव हुआ, जिसने उन पर महाभियोग चलाने का प्रस्ताव भी पेश किया था। उन्हें हटाने का प्रस्ताव, बाद में राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने खारिज कर दिया था। यह प्रस्ताव स्वतंत्र भारत में किसी वर्तमान उपराष्ट्रपति को हटाने का पहला मामला था।

वह वीवी गिरि और आर वेंकटरमन के बाद कार्यकाल के दौरान इस्तीफा देने वाले भारत के तीसरे उपराष्ट्रपति हैं। गिरि और वेंकटरमन ने राष्ट्रपति चुनाव लड़ने के लिए उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया था। नियमों के अनुसार, उपराष्ट्रपति पद के लिए अगले छह महीनों के भीतर चुनाव कराना आवश्यक है।

इस्तीफा राज्यसभा में सरकार के लिए एक आश्चर्यजनक घटनाक्रम के बाद आया

हालांकि, राज्यसभा के उपसभापति नये उपराष्ट्रपति के निर्वाचित होने तक सदन की कार्यवाही संचालित कर सकते हैं। धनखड़ 2022 में उपराष्ट्रपति पद के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के उम्मीदवार थे। धनखड़ का अचानक इस्तीफा राज्यसभा में सरकार के लिए एक आश्चर्यजनक घटनाक्रम के बाद आया है।

क्योंकि न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा को हटाने के लिए विपक्ष द्वारा प्रायोजित एक प्रस्ताव उनके समक्ष प्रस्तुत किया गया था। उन्होंने सदन में इसका उल्लेख किया था और महासचिव से आगे आवश्यक कदम उठाने को कहा। यह घटनाक्रम सत्तारूढ़ गठबंधन के लिए एक झटका है, जिसने लोकसभा में इसी तरह का नोटिस प्रायोजित किया था और विपक्ष को भी इसमें शामिल किया था।

उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति का अचानक इस्तीफा देना जितना चौंकाने वाला है, उतना ही समझ से परे

कांग्रेस ने धनखड़ के अचानक इस्तीफे पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि यह "पूरी तरह से अप्रत्याशित" है और इसमें जो दिख रहा है, उससे कहीं अधिक है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, "उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति का अचानक इस्तीफा देना जितना चौंकाने वाला है, उतना ही समझ से परे भी।’’

मोदी और मंत्रिपरिषद और सभी सांसदों को उनके कार्यकाल के दौरान सहयोग देने के लिए धन्यवाद दिया

रमेश ने कहा कि धनखड़ ने मंगलवार दोपहर एक बजे कार्य मंत्रणा समिति की बैठक तय की थी। कांग्रेस नेता ने कहा कि उन्हें (धनखड़) न्यायपालिका से जुड़ी कुछ बड़ी घोषणाएं भी करनी थीं। अपने त्यागपत्र में, धनखड़ ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मंत्रिपरिषद और सभी सांसदों को उनके कार्यकाल के दौरान सहयोग देने के लिए धन्यवाद दिया।

उन्होंने राष्ट्रपति को लिखे पत्र में कहा, "मैं भारत की राष्ट्रपति के प्रति गहरी कृतज्ञता प्रकट करता हूं, जिनका अटूट समर्थन रहा। उनके साथ मेरा कार्यकाल शांतिपूर्ण और बेहतरीन रहा।’’ धनखड़ ने कहा, "मैं प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद के प्रति अपनी गहरी कृतज्ञता व्यक्त करता हूं। प्रधानमंत्री का सहयोग और समर्थन अमूल्य रहा है और मैंने अपने कार्यकाल के दौरान उनसे बहुत कुछ सीखा है।"

राष्ट्र के इतिहास के इस परिवर्तनकारी युग में सेवा करना एक सच्चा सम्मान

उन्होंने कहा, "सभी संसद सदस्यों से मुझे जो गर्मजोशी, विश्वास और स्नेह मिला है, वह सदैव मेरी स्मृति में रहेगा।" धनखड़ ने यह भी कहा कि वह भारत के लोकतंत्र में उपराष्ट्रपति के रूप में प्राप्त अमूल्य अनुभवों और ज्ञान के लिए बहुत आभारी हैं। उन्होंने पत्र में कहा, "इस महत्वपूर्ण अवधि के दौरान भारत की उल्लेखनीय आर्थिक प्रगति और अभूतपूर्व विकास को देखना और उसका हिस्सा बनना सौभाग्य और संतुष्टि की बात है। हमारे राष्ट्र के इतिहास के इस परिवर्तनकारी युग में सेवा करना एक सच्चा सम्मान है।"

उन्होंने कहा, "इस सम्मानित पद से विदा लेते हुए, मैं भारत के वैश्विक उत्थान और अभूतपूर्व उपलब्धियों पर गर्व महसूस कर रहा हूं और इसके उज्ज्वल भविष्य में अटूट विश्वास रखता हूं।" धनखड़ के 23 जुलाई को जयपुर में क्रेडाई राजस्थान की नवनिर्वाचित समिति के साथ बातचीत करने की संभावना थी।

राजस्थान के झुंझुनू जिले के किठाना गांव में एक किसान परिवार में 18 मई, 1951 को हुआ

धनखड़ का जन्म राजस्थान के झुंझुनू जिले के किठाना गांव में एक किसान परिवार में 18 मई, 1951 को हुआ। वर्ष 2019 में पश्चिम बंगाल के राज्यपाल के रूप में राजनीतिक परिदृश्य में उनका फिर से उभरना कई लोगों को आश्चर्यचकित कर गया, ठीक उसी तरह जैसे उपराष्ट्रपति के पद पर उनका चुनाव हुआ।

धनखड़ ने शक्तियों के पृथक्करण के मुद्दे पर न्यायपालिका पर तीखा प्रहार किया और उपराष्ट्रपति के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान लगभग हर दिन राज्यसभा में विपक्ष के साथ उनका टकराव होता था। उन्होंने इसी महीने एक कार्यक्रम में कहा था कि "ईश्वर" ने चाहा तो वह "सही समय" पर सेवानिवृत्त हो जाएंगे।

भाजपा, कांग्रेस और जनता दल से जुड़े

धनखड़ ने हल्के फुल्के अंदाज में कहा था, "ईश्वर ने चाहा तो, मैं सही समय पर, अगस्त 2027 में, सेवानिवृत्त हो जाऊंगा।" उपराष्ट्रपति बनने से पहले, उन्होंने 2019 से 2022 तक पश्चिम बंगाल के राज्यपाल के रूप में कार्य किया। धनखड़ ने इससे पहले 1990 से 1991 तक चंद्रशेखर के नेतृत्व वाली सरकार में संसदीय मामलों के केंद्रीय राज्य मंत्री के रूप में भी कार्य किया। उन्होंने 1989 से 1991 तक राजस्थान के झुंझुनू लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। धनखड़ 1993 से 1998 तक राजस्थान विधानसभा के सदस्य रहे। वह भाजपा, कांग्रेस और जनता दल से जुड़े रह चुके हैं।

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