INS Vagir: भारतीय नौसेना में शामिल हुई आईएनएस वागीर, जानें क्या है खासियत

By शिवेंद्र राय | Published: January 23, 2023 10:58 AM2023-01-23T10:58:33+5:302023-01-23T11:01:48+5:30

मुंबई के नेवल डॉकयार्ड पर नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार की मौजूदगी में आईएनएस वागीर को भारतीय नौसेना में शामिल किया गया। पनडुब्बी के ट्रायल हो चुके हैं और इसे समुद्र के तट पर और मध्य समुद्र दोनों जगह तैनात किया जा सकता है।

Ins Vagir Commissioned In Indian Navy to Counter China In Indian Ocean | INS Vagir: भारतीय नौसेना में शामिल हुई आईएनएस वागीर, जानें क्या है खासियत

कलवारी क्लास की यह पांचवी पनडुब्बी है आईएनएस वागीर

Highlightsआईएनएस वागीर पूरी तरह से भारत में बनी हैप्रोजेक्ट 75 के तहत कलवारी क्लास की यह पांचवी पनडुब्बी हैआईएनएस वागीर समुद्र में 350 मीटर की गहराई तक जा सकती है

मुंबई: भारतीय सशस्त्र सेनाओं को लगातार आधुनिक और ताकतवर बनाने के प्रयास जारी हैं। इसी क्रम में मुंबई में नौसैनिक डॉकयार्ड में बनी अत्याधुनिक पनडुब्बी वागीर को नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार की मौजूदगी में भारतीय नौसेना में शामिल किया गया। अत्याधुनिक तकनीक से लैस पनडुब्बी आईएनएस वागीर कलवारी श्रेणी की पांचवी पनडुब्बी है और इसे प्रोजेक्ट-75 (P-75) के तहत बनाया गया है।

क्या है खासियत

कलवारी श्रेणी की  पनडुब्बी आईएनएस वागीर समुद्र में 350 मीटर की गहराई तक जा सकती है और यह पानी के अंदर बारुदी सुरंगें बिछाने में माहिर है। वागीर की यही खासियत इसे बेहद खतरनाक बनाती है। वागीर में बेहद उन्नत स्टील्थ तकनीक का इस्तेमाल किया गया है और इसी के कारण यह दुश्मन के रडार की नजर से भी आसानी से बच सकती है। इसमें एंटी शिप मिसाइलों को भी लगाया गया है।

वागीर की लंबाई 221 फीट, ऊंचाई 40 फीट और ड्राफ्ट 19 फीट है। समुंद्री लहरों पर इसकी रफ्तार प्रतिघंटा 20 किलोमीटर है जबकि पानी के अंदर इसकी रफ्तार 37 किलोमीटर प्रतिघंटा है। वागीर के अंदर ही ऐसे सिस्टम लगाए गए हैं जिससे यह अंदर रहने वाले नौसैनिकों की जरूरत का ऑक्सीजन बना सकती है। इस खासियत की वजह से पनडुब्बी लंबे समय तक पानी के अंदर रह सकती है और इसे बार बार सतह पर नहीं आना होगा। आईएनएस वागीर पूरी तरह से भारत में बनी है। इसे फ्रांस की कंपनी नेवल ग्रुप के साथ मिलकर मुंबई के मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड ने बनाया गया है। पनडुब्बी के ट्रायल हो चुके हैं और इसे समुद्र के तट पर और मध्य समुद्र दोनों जगह तैनात किया जा सकता है।

बता दें कि वागीर की नाम की पनडुब्बी पहले भी भारतीय नौसेना का हिस्सा रह चुकी है। इसी नाम की पनडुब्बी को नवंबर 1973 में कमीशन किया गया था। तीन दशकों तक देश की सेवा करने के बाद जनवरी 2001 में इसे सेवामुक्त कर दिया गया था। अब नई स्वदेशी निर्मित वागीर एक बार फिर से देश का सेवा के लिए समंदर में उतरने को तैयार है।

Web Title: Ins Vagir Commissioned In Indian Navy to Counter China In Indian Ocean

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