मणिपुर में बुधवार को इनर लाइन परमिट (ILP) की व्यवस्था लागू हो गई, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मणिपुर में आईएलपी लागू करने के आदेश पर हस्ताक्षर किए।
ये फैसला केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की उस घोषणा के बाद आया जिसमें उन्होंने लोकसभा में कहा था कि इनर लाइन परमिट को मणिपुर में भी लागू किया जाएगा।
गृह मंत्रालय द्वारा जारी बयान के मुताबिक अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड और मिजोरम के बाद मणिपुर ऐसा चौथा राज्य बन गया है, जहां इनर लाइन परमिट की व्यवस्था लागू है।
इनर लाइन परमिट वाले राज्यों में जाने और बसने के लिए बाहरी लोगों, जिनमें अन्य राज्यों के लोग भी शामिल है, को सरकार की इजाजत लेनी पड़ती है। इनर लाइन परमिट वाले राज्यों को नागरिकता संशोधन बिल के दायरे से बाहर रखा गया है।
पूर्वोत्तर के तीन अन्य राज्य असम, मिजोरम और त्रिपुरा इनर लाइन परमिट के अंतर्गत नहीं आते हैं। हालांकि इन राज्यों के आदिवासी क्षेत्रों और मिजोरम के कुछ इलाकों को भी सीएबी के दायरे से बाहर रखा गया है।
असम, मिजोरम और त्रिपुरा द्वारा इस बिल के विरोध यह कहते हुए विरोध किया जा रहा है कि इसके लागू होने पर बांग्लादेश से बड़ी संख्या में आए प्रवासियों को नागरिकता मिल जाएगी, जिससे इस क्षेत्र में जनसांख्यिकी में बदलाव हो जाएगा। ये तीनों राज्य भी सरकार से उनको इनर लाइन परमिट में शामिल किए जाने की मांग कर रहे हैं, जिससे उन्हें भी सीएबी से छूट मिल सके।