लद्दाख के मोर्चे पर गलवान वैली में चीनी सेना कुछ किमी पीछे हटने को राजी!
By सुरेश एस डुग्गर | Published: July 1, 2020 06:28 PM2020-07-01T18:28:51+5:302020-07-01T18:28:51+5:30
दोनों देशों के कोर कमांडरों की तीसरे दौर की बातचीत करीब 12 घंटे चली थी। कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है। पर सूत्रों के बकौल, भारतीय पक्ष ने गलवान वैली क्षेत्र से चीनी सेना को पीछे हटने के लिए मना लिया है, मगर इस कवायद में उसकी शर्त आड़े आ रही है।
जम्मूः लद्दाख के मोर्चे पर गलवान वैली से चीनी सेना कुछ किमी पीछे हटने को राजी तो हुई है लेकिन शर्त के तौर पर वह चाहती है कि भारतीय सेना भी कई किमी पीछे हटे और अगर ऐसा होता है तो यह कोई पहली बार नहीं होगा कि चीनी सेना अपनी शर्तें मनवा कर भारतीय इलाका खाली करेगी।
पर भारतीय सेना इस बार इस शर्त को मानने से आनाकानी इसलिए कर रही है क्योंकि चीनी सेना अन्य इलाकों से अपने कदम पीदे हटाने को तैयार नहीं है। हालांकि कल दोनों देशों के कोर कमांडरों की तीसरे दौर की बातचीत करीब 12 घंटे चली थी। कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है। पर सूत्रों के बकौल, भारतीय पक्ष ने गलवान वैली क्षेत्र से चीनी सेना को पीछे हटने के लिए मना लिया है, मगर इस कवायद में उसकी शर्त आड़े आ रही है।
चीन सेना ने शर्त रखी है कि भारतीय सेना को भी दुर्बुक-शयोक-दौलतबेग ओल्डी रोड पर गश्त को छोड़ना होगा और उसे कुछ किमी पीछे जाना होगा। फिलहाल भारतीय सेना इसके लिए राजी नहीं हुई है जिसका अर्थ यही लगाया जा रहा है कि लद्दाख के मोर्चे पर बना हुआ तनाव और गतिरोध अभी चलता रहेगा।
रक्षा सूत्र कहते थे कि चीनी सेना अन्य करीब 6 इलाकों में भी डेरा जमाए बैठी है और वह वहां से कदम पीछे हटाने को राजी नहीं है। इनमें उत्तरी लद्दाख में गलवान घाटी और देपसांग, मध्य लद्दाख में हाट स्प्रिंग्स, पेंगोंग सो और चुशूल तक तो दक्षिणी लद्दाख में दमचोक और चुमार शामिल हैं।
सूत्रों ने इसकी पुष्टि की है कि चीनी सेना ने इन सभी इलाको में मजबूत मोर्चाबंदी करते हुए पिल बाक्स अर्थात मजबूत जमीन के भीतर बंकर बना लिए हुए हैं। एक अधिकारी का दावा था कि इनमें से कुछेक बंकरों के बारे में कहा जा रहा है कि वे परमाणु हमला तक सहन करने की शक्ति रखते हैं।
अधिकारियों के बकौल, लगता नहीं है कि चीनी सेना विवादित क्षेत्रों से अपने फौजियों को पीछे हटाएगी। माना कि चीनी सेना 20 हजार के बीच है लेकिन वह इन 6 से अधिक इलाकों में भारतीय सैनिकों के लिए खतरा इसलिए पैदा किए हुए है क्योंकि अधिकतर इलाकों में वे ऊंचाई वाले इलाकों में मोर्चाबंदी किए हुए है।