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भारत को 2020 तक मिलेगा S-400, रूस जल्द शुरू करेगा निर्माण

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: July 13, 2019 13:54 IST

एस-400 एक ही साथ में 36 निशानों को भेद सकता है और 72 मिसाइलों को छोड़ सकता है. चीन ने भी रूस से यह एंटी-मिसाइल डिफेंस सिस्टम ख़रीदा है इसलिए भारत के लिए रक्षा और कूटनीतिक दृष्टि से यह सिस्टम बहुत ही महत्त्वपूर्ण हो जाता है.

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ठळक मुद्देएस-400 एस-300पीएमयू2 वायु रक्षा मिसाइल कांप्लेक्स पर आधारित है.कूटनीतिक दृष्टि से यह सिस्टम बहुत ही महत्त्वपूर्ण हो जाता है. मोदी सरकार ने 5.2 बिलियन डॉलर में यह करार रूस के साथ किया था.

रूस द्वारा निर्मित एंटी-मिसाइल डिफेंस सिस्टम एस-400 भारत को 2020 के अंत तक मिल जायेगा. रूसी अधिकारियों के मुताबिक, इसका निर्माण जल्द ही शुरू कर दिया जाएगा. अमेरिकी दबाव के बावजूद मोदी सरकार ने 5.2 बिलियन डॉलर में यह करार रूस के साथ किया था. एस-400 को भारतीय वायु सेना का पिलर माना जा रहा है. 

एस-400 एक ही साथ में 36 निशानों को भेद सकता है और 72 मिसाइलों को छोड़ सकता है. चीन ने भी रूस से यह एंटी-मिसाइल डिफेंस सिस्टम ख़रीदा है इसलिए भारत के लिए रक्षा और कूटनीतिक दृष्टि से यह सिस्टम बहुत ही महत्त्वपूर्ण हो जाता है. 

1999 में यह प्रणाली कपुस्तिन यार प्रैक्टिस रेंज (अस्त्रखन क्षेत्र) में रूस के तत्कालीन रक्षा मंत्री इगोर सर्गेयेव के सामने पहली बार प्रदर्शित की गयी थी. 2000 के दशक में सबसे उन्नत वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली का परीक्षण किया गया. मिसाइल प्रणाली अप्रैल, 2007 से इस्तेमाल की जा रही है. एस-400 एस-300पीएमयू2 वायु रक्षा मिसाइल कांप्लेक्स पर आधारित है.

विशेषज्ञों ने बताया कि वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली में एक युद्धक नियंत्रण चौकी, हवाई लक्ष्यों का पता लगाने के लिए तीन कॉर्डिनेट जैम-रेजिस्टेंट फेज्ड एैरे रडार, छह-आठ वायु रक्षा मिसाइल कांप्लेक्स (12 तक ट्रांसपोर्टर लांचर के साथ) और साथ ही एक बहुपयोगी फोर-कॉर्डिनेट इल्यूमिनेशन एंड डिटेक्शन रडार), एक तकनीकी सहायक प्रणाली सहित अन्य लगे हैं.

एस-400 प्रणाली में हर ऊंचाई पर काम करने वाला रडार और एंटेना पोस्ट के लिए मूवेबल टॉवर भी लगाए जा सकते हैं. यह प्रणाली 600 किलोमीटर तक की दूरी तक लक्ष्यों का पता लगा सकती है और उसकी सामरिक बैलिस्टिक मिसाइल पांच से 60 किलोमीटर तक के लक्ष्यों को तबाह कर सकती है.

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