एलएसी पर तनाव के बीच भारत ने किया ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का सफल परीक्षण, 400 किमी की है मारक क्षमता
By रामदीप मिश्रा | Published: September 30, 2020 03:57 PM2020-09-30T15:57:26+5:302020-09-30T15:57:26+5:30
विस्तारित रेंज ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल को ओडिशा के बालासोर के तट परीक्षण किया गया। यह मिसाइल 400 किलोमीटर से अधिक की दूरी पर लक्ष्य को मार सकती है।
भुवनेश्वर: पूर्वी लद्दाख में चीन सीमा पर जारी तनाव के बीच भारत को बड़ी सफलता हाथ लगी है। दरअसल, भारत ने विस्तारित रेंज ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है, जोकि 400 किलो मीटर से अधिक दूरी पर लक्ष्य को मार सकती है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के PJ-10 परियोजना के तहत यह परीक्षण किया गया। इस मिसाइल को स्वदेशी बूस्टर के साथ लॉन्च किया गया।
समाचार एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक, विस्तारित रेंज ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल को ओडिशा के बालासोर के तट परीक्षण किया गया। यह मिसाइल 400 किलोमीटर से अधिक की दूरी पर लक्ष्य को मार सकती है।
आपको बता दें कि इससे पहले ब्रह्मोस मिसाइल मूल रूप से 290 किलो मीटर तक की दूरी तक मार कर सकती थी। इस मिसाइल को भारत और रूस ने मिलकर बनाया है। यह सुपरसॉनिक मिसाइल अत्याधुनिक तकनीक से लैस है। मिसाइल की रेंज बढ़ने से दुश्मनों के छक्के छुड़ाए जा सकते हैं।
The extended range BrahMos supersonic cruise missile that was test-fired off the coast of Odisha’s Balasore today. The missile can hit targets at a range of more than 400 kms. It is fitted with new indigenous booster and airframe. https://t.co/Wacj2GD4fvpic.twitter.com/ATLvoY8xE3
— ANI (@ANI) September 30, 2020
इससे पहले भारत ने सेना के अभ्यास परीक्षण के तहत 23 सितंबर को देश में विकसित पृथ्वी-2 मिसाइल का ओडिशा के एक केंद्र से सफल रात्रिकालीन प्रायोगिक परीक्षण किया। सतह से सतह पर मार करने वाली यह मिसाइल परमाणु आयुध ले जाने में सक्षम है। चांदीपुर स्थित एकीकृत परीक्षण केंद्र (आईटीआर) से इस अत्याधुनिक मिसाइल को अंधेरे में दागा गया था और परीक्षण सफल रहा जिसने सभी मानकों को प्राप्त कर लिया था।
डीआरडीओ के एक अधिकारी ने बताया था कि 350 किलोमीटर की दूरी तक मार करने वाली इस मिसाइल को आईटीआर के प्रक्षेपण परिसर-3 से एक मोबाइल लॉंचर से दागा गया। मिसाइल के प्रक्षेपण पथ पर रडारों, इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल ट्रैकिंग प्रणाली और टेलीमेट्री केंद्रों से नजर रखी गई जिसने सभी मानकों को प्राप्त कर लिया।