कंपनियों के चीन से बाहर निकलने पर कोई जरूरी नहीं कि इसका फायदा भारत को हो: अभिजीत बनर्जी

By भाषा | Published: May 12, 2020 04:05 PM2020-05-12T16:05:03+5:302020-05-12T16:05:03+5:30

नोबेल पुरस्कार से सम्मानित अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा राज्य में कोविड-19 का मुकाबला करने के लिये बनाए गए वैश्विक सलाहकार बोर्ड के सदस्य भी हैं।

India does not necessarily benefit from companies moving out of China says Abhijit Banerjee | कंपनियों के चीन से बाहर निकलने पर कोई जरूरी नहीं कि इसका फायदा भारत को हो: अभिजीत बनर्जी

कंपनियों के चीन से बाहर निकलने पर कोई जरूरी नहीं कि इसका फायदा भारत को हो: अभिजीत बनर्जी

Highlights बनर्जी ने कहा कि मुख्य समस्या यह है कि देश के लोगों के पास पर्याप्त खरीद क्षमता नहीं है। केंद्र सरकार ने लोगों को राहत देने के लिए कुछ कदम उठाए हैं, जिसमें ऋण अदायगी पर रोक शामिल है।

कोलकाता: नोबेल पुरस्कार से सम्मानित अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी ने कहा कि ये बात पक्की नहीं है कि यदि कोरोना वायरस महामारी के कारण कंपनियां चीन से बाहर निकलती हैं, तो भारत को इसका फायदा होगा। उन्होंने सोमवार शाम को बांग्ला समाचार चैनल एबीपी आनंदा से कहा कि सभी लोग चीन को कोविड-19 के प्रकोप के लिए दोषी ठहरा रहे हैं, क्योंकि ये वायरस वहीं से फैला। बनर्जी ने कहा, ‘‘कोरोना वायरस के प्रकोप के लिए चीन को दोषी ठहराया जा रहा है। लोग यहां तक कह रहे हैं कि इससे भारत को फायदा होगा क्योंकि कारोबार चीन से हटकर भारत में आएंगे। लेकिन हो सकता है यह सच न हो।’’ उन्होंने कहा, ‘‘क्या होगा अगर चीन अपनी मुद्रा का अवमूल्यन करता है। उस दशा में चीनी उत्पाद सस्ते हो जाएंगे और लोग आगे भी उनके उत्पादों को खरीदना जारी रखेंगे।’’

बनर्जी पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा राज्य में कोविड-19 का मुकाबला करने के लिये बनाए गए वैश्विक सलाहकार बोर्ड के सदस्य भी हैं। राहत पैकेज के लिए केंद्र द्वारा खर्च की जा रही धनराशि और जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) के अनुपात के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा कि अमेरिका, ब्रिटेन और जापान जैसे देश अपने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का बड़ा हिस्सा खर्च कर रहे हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘भारत ने अपने जीडीपी का एक प्रतिशत से भी कम 1.70 लाख करोड़ रुपये खर्च करने की योजना बनाई है। हमें जीडीपी के अनुपात में अधिक खर्च करना चाहिए।’’ कोरोना वायरस महामारी के प्रकोप के बीच केंद्र सरकार ने गरीबों की कठिनाई को कम करने के लिए 1.70 लाख करोड़ रुपये से अधिक के पैकेज की घोषणा की है। बनर्जी ने कहा कि मुख्य समस्या यह है कि देश के लोगों के पास पर्याप्त खरीद क्षमता नहीं है।

उन्होंने कहा, ‘‘गरीब लोगों के पास अब धन नहीं है और उनके पास शायद ही खरीदारी करने की कोई क्षमता है। इसलिए कोई मांग भी नहीं है। सरकार को आम लोगों के हाथों में पैसा देना चाहिए क्योंकि वे अर्थव्यवस्था चलाते हैं, न कि अमीर।’’ उन्होंने कहा कि तीन से छह महीने के दौरान गरीब लोगों के हाथों में पैसा दिया जाना चाहिए और यदि वे इसे खर्च नहीं करते हैं, तो भी कोई समस्या नहीं है। बनर्जी का मानना है कि प्रवासी श्रमिकों की देखभाल करना केंद्र की जिम्मेदारी है।

उन्होंने कहा, ‘‘हमने उनकी समस्याओं के बारे में नहीं सोचा। उनकी जेब में पैसा नहीं है और उनके पास रहने का कोई ठिकाना नहीं है।’’ अर्थशास्त्री ने कहा कि तीन या छह महीने के लिए सभी को आपातकालीन राशन कार्ड जारी करने की जरूरत है। बनर्जी ने कहा, ‘‘यह केंद्र की जिम्मेदारी है क्योंकि प्रवासी श्रमिक विभिन्न राज्यों से होकर अपने घरों तक पहुंचते हैं।’’ उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने लोगों को राहत देने के लिए कुछ कदम उठाए हैं, जिसमें ऋण अदायगी पर रोक शामिल है।

Web Title: India does not necessarily benefit from companies moving out of China says Abhijit Banerjee

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