India China Military Talks: बेनतीजा रही 14वें दौर की भारत चीन सैन्य वार्ता, इन मुद्दों पर नहीं निकला समाधान
By सुरेश एस डुग्गर | Published: January 14, 2022 02:00 PM2022-01-14T14:00:19+5:302022-01-14T14:05:02+5:30
इस दौर की बातचीत में गतिरोध तभी आया था जब चीनी सेना भारतीय सेना को हाट स्प्रिंग्स, देपसांग और दमचोक में गश्त की ‘अनुमति’ देने को तैयार नहीं हुई थी।
जम्मू: चीन के साथ लद्दाख के मुद्दे पर हुई 14वें दौर की वार्ता का खुशनुमा पहलू यह रहा था कि दोनों पक्ष अगले दौर की बातचीत के लिए राजी हो गए थे। पर इस दौर की बातचीत में गतिरोध तभी आया था जब चीनी सेना भारतीय सेना को हाट स्प्रिंग्स, देपसांग और दमचोक में गश्त की ‘अनुमति’ देने को तैयार नहीं हुई थी।
दरअसल, चीनी सेना अभी भी इन तीन स्थानों पर जमी हुई है। भारतीय जवान भी शून्य से 40 डिग्री के तापमान में आमने-सामने हैं। विवाद के चलते भारतीय सेना इन इलाकों में गश्त नहीं कर पा रही है। यह गश्त वर्ष 2020 में उस समय रोक दी गई थी जब चीनी सेना ने लद्दाख के मोर्चे पर एलएसी के हजारों किमी इलाकों में ‘बढ़त’ हासिल करते हुए रातों रात अपने करीब एक लाख जवानों को सैनिक साजो सामान के साथ तैनात कर दिया था।
वैसे हाट स्प्रिंग्स में अभी भी दोनों पक्षों ने बहुत ही कम सैनिक तैनात कर रखे हैं पर उनकी वापसी का मुद्दा 14वें दौर की बातचीत में नहीं सुलझ पाया। सूत्रों के अनुसार, इनकी संख्या 100 से 200 के बीच है। पर इतना जरूर था कि गलवान में हुई झड़प के बाद जुलाई 2020 में जब दोनों पक्षों में बातचीत हुई तो हाटस्प्रिंग्स, जिसे पैट्रोल प्वाइंट 15 भी कहा जाता है, दोनों पक्षों ने अपने 2 से 3 हजार सैनिकों को पीछे हटा लिया था। पर भारतीय पक्ष गश्त आरंभ नहीं कर पाया।
सिर्फ हाट स्प्रिंग्स अर्थात पीपी 15 ही नहीं बल्कि अन्य कई ऐसे इलाके भी हैं जहां फिलहाल भारतीय पक्ष पौने दो सालों से गश्त नहीं कर पा रहा है। इसके पीछे का कारण पहले चीनी सेना की आपत्ति थी फिर दोनों पक्षों में होने वाली ‘सहमति’ थी जिसके तहत उन इलाकों को बफर जोन्स बना दिया गया था जहां से दोनों पक्ष सैनिक हटाने को राजी हुए और बाद में वे मई 2020 के स्थानों पर लौट गए थे। इनमें गलवान वैली, गोगरा हाइट्स, पैंगांग झील का उत्तरी तट तथा कैलाश रेंज भी शामिल हैं।