पूर्वी लद्दाख के देमचोक में भारतीय सीमा में अब भी लगे हैं चीनी टेंट, भारत की बात अनसुनी कर रहा है चीन

By दीप्ती कुमारी | Updated: July 26, 2021 10:39 IST2021-07-26T10:33:58+5:302021-07-26T10:39:05+5:30

चीन लद्दाख के देमचोक में भारत के मना करने के बावजूद अपनी गतिविधियां लगातार बढ़ता जा रहा है । चीन ने देमचोक इलाके में अपने तंबू लगा रखे हैं और भारत के उन्हें वापस जाने को कह रहा है ।

india china border dispute in demchok chinas tents on indian side on date yet for talks | पूर्वी लद्दाख के देमचोक में भारतीय सीमा में अब भी लगे हैं चीनी टेंट, भारत की बात अनसुनी कर रहा है चीन

फोटो सोर्स - सोशल मीडिया

Highlightsलद्दाख के देमचोक में चीनी अपने तंबू हटाने को तैयार नहीं भारत के कहने के बावजूद चीन अपने तथाकथित नागरिकों को वहां बसा रहा है इन क्षेत्रों में चीन तेजी से सैन्य बुनियादी ढांचे में विकसित कर रहा है

दिल्ली :  चीन अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है । वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि चीन ने पूर्वी लद्दाख के देमचोक में चारडिंग नाला के भारतीय हिस्से में अपने तंबू लगाए हैं । अधिकारियों ने इन तंबुओं में रहने वाले लोगों को तथाकथित नागरिक के रूप में परिभाषित किया है । उन्होंने कहा कि भले ही भारत उन्हें वापस जाने के लिए कह रहा है लेकिन उनकी उपस्थिति अभी भी बनी हुई है ।

 इंडियन एक्सप्रेस की खबर के अनुसार, देमचोक में पहले भी भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच आमना-सामना हो चुका है । 1990 के दशक में भारत चीन संयुक्त कार्य समूह की बैठक के दौरान दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हुए थे कि देमचोक और ट्रिग हाइट्स वास्तविक नियंत्रण रेखा पर विवादित बिंदु थे। बाद में नक्शा के आदान-प्रदान के बाद एलडीसी के लिए अलग-अलग 10 क्षेत्रों को मान्यता दी गई समर लुंगपा, डेपसांग बुलगे, प्वाइंट 6556, चांग्लुंग नाला, कोंगका ला, पैंगोंग त्सो नॉर्थ बैंक, स्पंगगुर, माउंट सजुन, डमचेले और चुमार शामिल है । 

अधिकारियों ने कहा कि इन 12 क्षेत्रों के अलावा जो क्षेत्र या तो परस्पर विवादित है या जहां दोनों पक्षों की अलग-अलग इन धारणाएं हैं कि एलएसी  कहां स्थित है। ऐसे क्षेत्रों में मौजूदा गतिरोध होने के बाद पिछले साल पूर्वी लद्दाख में एलआईसी में पांच टकराव वाली जगहों को जोड़ा गया । 

अधिकारियों ने कहा कि ये पांच टकराव क्षेत्र गलवान घाटी में  KM120, श्योक सुला क्षेत्र में PP15 और PP17A, रेचिन ला और रेजांग ला हैं।

26 जुलाई को चीन ने वार्ता की रखी थी पेशकश 

हालांकि चीन ने 26 जुलाई को कोर कमांडर स्तरीय वार्ता के 12 दौर का प्रस्ताव रखा था लेकिन भारत ने 1999 के कारगिल युद्ध में पाकिस्तान पर जीत के उपलक्ष्य में इस दिन को कारगिल दिवस के रूप में मनाता है इसलिए इस दिन भारत की ओर से वार्ता को स्थगित करने की बात कही गई । सूत्रों ने कहा कि कोर कमांडर स्तर की वार्ता अगस्त के पहले सप्ताह में यह शायद इससे पहले होने की संभावना है।

हालांकि मामले के जानकार अधिकारियों ने कहा कि कोर कमांडर स्तर पर बातचीत में देने के बावजूद दोनों पक्ष हॉटलाइन पर लगातार संपर्क में है । अधिकारियों ने कहा कि गतिरोध शुरू होने के बाद से दोनों पक्षों में दौलत बेग ओल्डी और चुशुल में हॉट लाइन पर लगभग 1,500 बार संदेशों का आदान प्रदान किया है।

भारत विवादित बिंदुओं से चीन को हटने पर दे रहा है जोर 

सूत्रों ने बताया कि यह वार्ता आगे नहीं बढ़ी क्योंकि भारत पहले सभी विवादित बिंदुओं से चीन को हटने पर जोर दे रहा था जबकि चीन डी-एस्केलेशन चाहता है। अधिकारियों का कहना है अलग होने के इच्छुक है लेकिन बातचीत करना पसंद करते हैं । वह पीछे हटेंगे लेकिन इसमें समय लगेगा।

अधिकारियों ने यह बात भी कही कि चीन पूर्वी लद्दाख में तेजी से अपने सैनिकों को तैनात कर रहा है । साथ ही सैन्य बुनियादी ढांचे में विकसित कर रहा है जिसमें बिलेटिंग, गोला-बारूद और तोपखाने आदि शामिल है ।वही गहराई वाले क्षेत्र चीनी सैनिकों के लगभग चार डिवीजन G219  राजमार्ग पर तैनात है जो अक्साई चीन से होकर गुजरता है और शिंजियांग और तिब्बत प्रांत को जोड़ता है । हालांकि भारत भी इसके मद्देनजर अपने कार्य को विकसित करने के उपकरणों को सेना में शामिल किया जा रहा है । 
 

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