जो उदात्त भाव शिवाजी महाराज का था, नरेंद्र मोदी जी भी उसी आशा और अपेक्षा के साथ आगे बढ़ रहे हैं: डॉ. यादव
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: October 1, 2024 07:08 PM2024-10-01T19:08:45+5:302024-10-01T19:11:02+5:30
पुणे में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने शिवाजी महाराज के जीवन पर आधारित थीम पार्क शिवसृष्टि का अवलोकन किया। तत्पश्चात रामभाऊ म्हाळगी प्रबोधिनी संस्था द्वारा 'पुण्यश्लोक अहिल्याबाई होलकर और उनके जन-कल्याणकारी सुशासन' विषय पर आयोजित राष्ट्रीय चर्चा में शामिल होकर कार्यक्रम को संबोधित किया।
पुणे: मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव मंगलवार को एक दिवसीय पुणे (महाराष्ट्र) के प्रवास पर रहे। पुणे में मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने शिवाजी महाराज के जीवन पर आधारित थीम पार्क शिवसृष्टि का अवलोकन किया। तत्पश्चात रामभाऊ म्हाळगी प्रबोधिनी संस्था द्वारा 'पुण्यश्लोक अहिल्याबाई होलकर और उनके जन-कल्याणकारी सुशासन' विषय पर आयोजित राष्ट्रीय चर्चा में शामिल होकर कार्यक्रम को संबोधित किया।
'शिवाजी महाराज की जय-जयकार करने में गर्व का अनुभव होता है'
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने शिवाजी महाराज के जीवन पर आधारित थीम पार्क शिवसृष्टि का अवलोकन कर कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि भारत को सनातन-संस्कृति और महान विचारों के लिए जाना जाता है, जिसने सदैव ही दुनिया को प्रेरित किया है। इसी संस्कृति के प्रतीक शिवाजी महाराज की जय-जयकार करते हुए हम गर्व का अनुभव करते हैं।
उन्होंने कहा कि महाराज शिवाजी का जीवन अद्वितीय था, उन्होंने अत्याचारियों को खूब सबक सिखाया। साधारण व्यक्तियों को संगठित कर उन्हें असाधारण बनाना सिर्फ विलक्षण व्यक्तित्व का कार्य हो सकता है और वह व्यक्तित्व हैं शिवाजी महाराज। उन्होंने कहा कि जो उदात्त भाव महाराज शिवाजी का था नरेंद्र मोदी जी आज उस आशा और अपेक्षा के साथ आगे बढ़ रहे हैं। नौसेना के लिए नया ध्वज आजादी के बाद तुरंत होना चाहिए था लेकिन आजादी के बाद पहली बार नौसेना का ध्वज आता है और महाराज शिवाजी याद आ जाते हैं यह हमारा सौभाग्य है।
अहिल्या बाई ने सनातन संस्कृति की ध्वजा फहराई
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि मुझे इस बात की प्रसन्नता है कि हम महारानी अहिल्याबाई जी का 300वां जन्मोत्सव मना रहे हैं। मुगलों के काल में अहिल्याबाई जी ने न केवल मंदिरों और देवालयों के जीर्णोद्धार का कार्य किया, बल्कि पूरे देश में धार्मिक सहिष्णुता और सांस्कृतिक समृद्धि का संदेश फैलाया। बनारस से लेकर सोमनाथ और मानसरोवर तक, उनका योगदान अमिट है। लोकमाता अहिल्याबाई जी ने अपने अद्वितीय शासनकाल में सनातन-संस्कृति की ध्वजा गर्व के साथ फहराई।
उन्होंने कहा कि आज हम बनारस में जाते हैं तो बाबा विश्वनाथ के धाम में पूजा करने के लिए जाने का मौका मिलता है वो मौका अगर किसी ने दिया तो अहिल्या माता ने ही दिया, उस मंदिर को देवस्थान बनाया तो ये अहिल्या माता की ही देन है। क्योंकि उस दौर में हमारा अपना देवस्थान ध्वस्त हो गया था।
मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के बीच में अद्भुद संबंध है अहिल्याबाई जी आपके यहां की बेटी और हमारे यहां की तो बहू हैं। अहिल्या माता का जो रोल दिखाई दिया वह अद्भुद है। सभी नक्षत्रों में हमारे बीच सूर्य की भांति चमकने वाली अहिल्याबाई होल्कर का स्थान अलग है। मैं उनको बारंबार नमन करता हूं।