बिहार में चाचा पर भारी पड़ा भतीजा, पशुपति कुमार पारस हो गए कार्यालय विहिन, सरकार ने खाली कराया बंगला

By एस पी सिन्हा | Published: November 11, 2024 04:10 PM2024-11-11T16:10:27+5:302024-11-11T16:10:27+5:30

राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (रालोजपा) प्रमुख पशुपति कुमार पारस के अथक प्रयास के बाद भी अपने कार्यालय को सोमवार को आखिरकार खाली करना पडा। भवन निर्माण विभाग ने रालोजपा प्रमुख को कार्यालय खाली करने का नोटिस दिया था।

In Bihar, nephew overshadowed uncle, Pashupati Kumar Paras became office-less, government vacated bungalow | बिहार में चाचा पर भारी पड़ा भतीजा, पशुपति कुमार पारस हो गए कार्यालय विहिन, सरकार ने खाली कराया बंगला

बिहार में चाचा पर भारी पड़ा भतीजा, पशुपति कुमार पारस हो गए कार्यालय विहिन, सरकार ने खाली कराया बंगला

Highlightsसरकार ने रालोजपा को पार्टी खाली करने के लिए 13 नवंबर तक का समय दिया थातीन साल पहले भतीजे चिराग पासवान से दुश्मनी मोल लेने वाले पशुपति कुमार पारस के पास अब कुछ नहीं बचापशुपति कुमार पारस को मंत्री पद गंवानी पड़ी, सांसद भी नहीं रहे

पटना: बिहार में चाचा पशुपति कुमार पारस और भतीजा चिराग पासवान के बीच जारी सियासी जंग में भतीजा अपने चाचा पर भारी पडा। राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (रालोजपा) प्रमुख पशुपति कुमार पारस के अथक प्रयास के बाद भी अपने कार्यालय को सोमवार को आखिरकार खाली करना पड़ा। भवन निर्माण विभाग ने रालोजपा प्रमुख को कार्यालय खाली करने का नोटिस दिया था।

सरकार ने रालोजपा को पार्टी खाली करने के लिए 13 नवंबर तक का समय दिया था। तीन साल पहले भतीजे चिराग पासवान से दुश्मनी मोल लेने वाले पशुपति कुमार पारस के पास अब कुछ नहीं बचा। पशुपति कुमार पारस को मंत्री पद गंवानी पड़ी, सांसद भी नहीं रहे। पार्टी सिर्फ कागज पर सिमट कर रह गई और आज पटना का सरकारी बंगला भी चला गया। पटना में लोक जनशक्ति पार्टी के दफ्तर के नाम पर आवंटित सरकारी बंगले पर पशुपति पारस का कब्जा था। पशुपति कुमार पारस ने अपने कार्यालय को बचाने के लिए हर संभव प्रयास किया। 

उन्होंने दिल्ली में अमित शाह से गुहार लगाई। इसके बाद पटना हाईकोर्ट में भी रिट दायर की। लेकिन उनके तमाम कोशिशों का कोई फायदा नहीं हुआ। अमित शाह ने कोई कार्रवाई नहीं की। हाईकोर्ट ने दो सप्ताह पहले ही बंगला रहने देने की याचिका खारिज कर दी थी। बता दें कि बिहार सरकार ने सभी मान्यता प्राप्त दलों को पटना में ऑफिस के लिए सरकारी बंगला देने का प्रावधान किया हुआ है। 2005 में ही पटना एयरपोर्ट के पास व्हीलर रोड के एक नंबर बंगले को लोक जनशक्ति पार्टी कार्यालय के लिए राज्य सरकार की ओर से आवंटित किया गया था। 

दरअसल, बंगले का आवंटन दो साल के लिए होता है। हर दो साल के बाद सरकार आवंटन को और दो साल के लिए बढ़ाती है। पिछले लोकसभा चुनाव में पशुपति कुमार पारस की पार्टी ने किसी सीट पर चुनाव ही नहीं लड़ा। जिसके कारण उनकी पार्टी में ना कोई विधायक रहा और ना सांसद। ऐसे में उनकी पार्टी की मान्यता समाप्त हो गई। इसके बाद बिहार सरकार ने लोक जनशक्ति पार्टी के नाम पर आवंटित बंगले का आवंटन रद्द कर दिया था। ऐसे में मजबूर होकर आज पारस ने अपना बंगला खाली कर दिया। फिलहाल उनकी पार्टी का पटना में कोई कार्यालय नहीं है।

Web Title: In Bihar, nephew overshadowed uncle, Pashupati Kumar Paras became office-less, government vacated bungalow

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