Bihar Ki Taja Khabar: कोरोना कहर के बीच मुजफ्फरपुर जिले में चमकी बुखार ने भी दे दी दस्तक, साढ़े तीन साल के बच्चे को कराया गया है भर्ती
By एस पी सिन्हा | Published: March 28, 2020 03:48 PM2020-03-28T15:48:19+5:302020-03-28T15:48:19+5:30
मुजफ्फरपुर जिले के एसकेएमसीएच के पीआइसीयू वार्ड संख्या दो में शुक्रवार की शाम को सकरा प्रखंड के बाजी बुजुर्ग निवासी मुन्ना राम के पुत्र आदित्य कुमार (तीन वर्ष) को भर्ती किया गया.
पटना: बिहार में कोरोना के खिलाफ जारी जंग और बर्ड फ्लू-स्वाईन फ्लू की घेराबंदी के बीच अब मुजफ्फरपुर जिले में एईएस अर्थात इंसेफलाइटिस बुखार ने भी दस्तक दे दी है.
दरअसल, गर्मी की दस्तक के साथ ही मुजफ्फरपुर में एईएस का पहला केस मिलने से सनसनी फैल गई है. मुजफ्फरपुर के सकरा प्रखंड के एक साढ़े तीन साल के बच्चे में एईएस की पुष्टि कर दी गई है. बता दें कि एईएस वही है जिसे हम आप चमकी बुखार के नाम से भी जानते हैं.
मुजफ्फरपुर जिले के एसकेएमसीएच के पीआइसीयू वार्ड संख्या दो में शुक्रवार की शाम को सकरा प्रखंड के बाजी बुजुर्ग निवासी मुन्ना राम के पुत्र आदित्य कुमार (तीन वर्ष) को भर्ती किया गया. बच्चे की स्थिति गंभीर बनी हुई है.
जांच में एईएस की पुष्टि होने के के बाद डॉक्टरों की टीम बच्चे के इलाज में जुट गई है. अधीक्षक डॉ एसके साही ने बताया कि बच्चे में एईएस के ही लक्षण हैं. उल्लेखनीय है कि पिछले साल भी सकरा प्रखंड के बहुत बड़ी संख्या में बच्चे चमकी बुखार से पीड़ित हुए थे.
ऐसे में चमकी बुखार का पहला मामला आने के साथ ही मुजफ्परपुर का एसकेएमसीएच अलर्ट मोड में आ गया है और अलग से एईएस वार्ड तैयार किया गया है. एईएस को लेकर स्वास्थ्य विभाग भी अलर्ट पर है और इस बार इस चुनौती का सामना करने के लिए विभाग ने नई रणनीति बनाई है.
इसके तहत आशा, एएनएम, ग्रामीण चिकित्सकों को जागरूक व प्रशिक्षित किया गया है. बताया जाता है कि पीएचसी तक तय मानक के मुताबिक दवा व उपकरण उपलब्ध है. स्वास्थ्यकर्मियों को प्रशिक्षण दिया गया है. स्वास्थ्य विभाग के साथ इस बार यूनिसेफ की टीम बीमारी से बचाव में सहयोग कर रही है.
वहीं, पीडित आदित्य की मां सोनामती देवी ने बताया कि गुरुवार को बच्चे को सर्दी हुई थी. गांव के ही एक चिकित्सक से दवा लेकर रात में दी गई. रात में कई बार बाथरूम जाने के लिए उठा. आज सुबह पांच बजे वह अचानक कांपने लगा.
फिर उसे चमकी आने लगी. इसके बाद गांव के ही चिकित्सक के पास ले गए, जहां दो इंजेक्शन दिए गए, लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ. उसे सकरा पीएचसी ले गए. जहां से कुछ दवा देकर एसकेएमसीएच भेज दिया गया.
यहां बता दें कि वर्ष 2019 के गर्मी के दिनों में बच्चों के लिए एईएस कहर बनकर टूटा था. पिछले साल एईएस से 431 बच्चे बीमार होकर भर्ती हुए थे. 111 से अधिक की मौत हो गई थी, वहीं, 320 बच्चे अस्पताल से ठीक होकर लौटे थे.
हालांकि इनमें से छह बच्चे दिव्यांगता से जूझ रहे हैं. यहां यह भी उल्लेखनीय है कि बिहार में कोरोना का भी कहर जारी है. अबतक नौ मामले सामने आ चुके हैं तो वहीं प्रदेश में कोरोना संदिग्धों की संख्या 1760 हो गई. बता दें कि गुरुवार तक 1456 लोग सर्विलांस में लिए गए थे.