ऑटो चालक ने बेटे से कहा था- 'मुझे सम्मान नहीं मिलता', पिता के लिए बेटा बन गया सैन्य अधिकारी
By राजेश जोशी | Published: June 14, 2020 07:53 AM2020-06-14T07:53:11+5:302020-06-14T08:33:27+5:30
भारतीय सेना में अधिकारी बने धवन ने बताया ऑटो चालक को कोई भी सम्मान भरी नजरों से नहीं देखता है लिहाजा पिताजी ने हमसे कहा कि वे कुछ ऐसा करें जिससे हर कोई उनके पिता का सम्मान करे.
देहरादून। 14 जून भारतीय सेना में शामिल होना अपने-आप में गर्व की बात है, वहीं सैन्य अधिकारी बनने या सेना का किसी भी तरह से अंग बनने में जो सम्मान हमारा समाज देता है वह किसी अन्य नौकरी में नहीं. वर्दी को जो सम्मान मिलता है वह किसी और पेशे में नहीं है. यह कहना है सैन्य अधिकारी बने महाराष्ट्र के धवन सार्थक शशिकांत का. भारतीय सैन्य अकादमी की पासिंग आउट परेड में हर साल कुछ न कुछ खास होता है. यहां से सैन्य प्रशिक्षण लेकर देश की सेवा का जूनून लिए कैडेट जब अंतिम पड़ाव पार करते हैं तो उनकी जुबां पर उनके परिवार द्वारा उनके लिए किया गया समर्पण सामने आ ही जाता है.
शनिवार को महाराष्ट्र के कोल्हापुर के ऑटो चालक के बेटे धवन सार्थक शशिकांत ने हालांकि अपनी मेहनत, लगन और आत्मविश्वास से सेना में शामिल होने का अवसर प्राप्त किया, लेकिन वे इसका श्रेय अपने पिता और अन्य परिजनों को देते हैं. पासिंग आउट परेड के दौरान एक मुलाकात में धवन ने बताया कि उनके पिता लगभग 30 वर्षों से परिवार का भरण-पोषण ऑटोरिक्शा चलाकर कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि जब वे अपनी माध्यमिक की पढ़ाई पूरी कर रहे थे और साथ ही एनडीए की प्रवेश परीक्षा की भी तैयारी कर रहे थे इसी दौरान एक कार दुर्घटना में उनकी मां का निधन हो गया. मां की मृत्यु के बाद परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा लेकिन मेरे पिताजी ने हमारी अच्छी परवरिश और पढ़ाई में अपने दुख को हमारे सामने नहीं आने दिया और न ही उन्होंने हमें उस दुर्घटना के बाद मां की कमी का अहसास कभी होने दिया.
वे दिन में अपने काम पर निकलकर जहां पिता का फर्ज निभाते वहीं रात को मां का. उन्होंने मां के गुजर जाने के बाद और भी जिम्मेदारी से मेहनत करते हुए हम बच्चों की खातिर जीवन में बहुत सारे कष्ट उठाए. धवन ने बताया ऑटो चालक को कोई भी सम्मान भरी नजरों से नहीं देखता है लिहाजा पिताजी ने हमसे कहा कि वे कुछ ऐसा करें जिससे हर कोई उनके पिता का सम्मान करे. इसी दौरान पढ़ाई करते हुए मैंने भारतीय सेना में अधिकारी बनकर पिता के सपनों को पूरा करने की ठानी. यही कारण है कि मैंने औरंगाबाद में सर्विसेज प्रिपेटरी स्कूल (एसपीएस) में अध्ययन करते हुए महाराष्ट्र कैडेट कॉर्पस (एमसीसी) में प्रवेश लिया. धवन ने बताया कि इसी इरादे से मैंने कड़ी मेहनत की और पहले ही प्रयास में एनडीए की प्रवेश परीक्षा पास कर ली. हालांकि इस खुशनुमा माहौल के बीच आज धवन के चेहरे पर अपनी मां को दुर्घटना में खोने का गम साफ झलक रहा था और यह गम उनकी जुबान पर भी आ गया और वे बोले यदि आज मां जिंदा होती तो मुझे वर्दी में देखकर कितना खुश होती. धवन ने बताया उनके पिता अब कहते हैं कि मेरे बेटे ने उनका सिर गर्व से ऊंचा कर दिया है.