आईबी मंत्रालय ने दिया आदेश, 'दलित' शब्द का इस्तेमाल बंद करे मीडिया
By जनार्दन पाण्डेय | Published: September 4, 2018 09:03 AM2018-09-04T09:03:48+5:302018-09-04T09:03:48+5:30
इसी तरह का आदेश केंद्रीय न्याय और सशक्तिकरण मंत्रालय (यूएमएसजेई) ने भी दिया था।
नई दिल्ली, 4 सितंबरः सूचना और प्रसारण मंत्रालय (आईबी मंत्रलाय) ने मीडिया से 'दिलत शब्द के इस्तेमाल से बचने' को कहा है। मंत्रालय के अनुसार दलित शब्द के बजाए संवैधिनिक शब्द 'अनुसूचित जाति अथवा शेड्यूल कास्ट' का इस्तेमाल करने को कहा है। हालांकि कई दलित अधिकारों के लिए काम करने वाले संगठनों ने आईबी मंत्रलाय के इस आदेश का विरोध किया है। संगठनों ने जोर देकर कहा कि यह शब्द ना केवल पहचान बल्कि राजनीति दृष्टि से भी यह बेहद जरूरी शब्द है।
इससे पहले मार्च में करीब-करीब इसी तरह का आदेश केंद्रीय न्याय और सशक्तिकरण मंत्रालय (यूएमएसजेई) ने भी दिया था। तब कहा गया था कि जातिगत संबोधन के लिए किसी तरह के सरकारी कामकाज में केवल अनुसूचित जाति का ही प्रयोग किया जाएगा। क्योंकि दलित शब्द का पूरे संविधान या किसी कानून में कहीं उल्लेख नहीं है।
आईबी मंत्रलाय की ओर से सात अगस्त के एक आदेश में बॉम्बे हाईकोर्ट (नागपुर बेंच) के जून में दिए गए उस आदेश का हवाला दिया गया है, जिसमें बॉम्बे हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को इस मामले पर मीडिया के लिए अगले छह सप्ताह में कोई एक शब्द तय करने को कहा गया था। बॉम्बे हाईकोर्ट में एक याचिकाकर्ता ने यह मांग की थी कि सामाजिक न्याय को ध्यान में रखते हुए मीडिया को दलित शब्द के इस्तेमाल पर रोक लगानी चाहिए। आईबी मंत्रालय के सर्कुलर में इसका भी उल्लेख है।
आई मंत्रालय की ओर से जारी किए आदेश में कहा गया है, 'बॉम्बे हाईकोर्ट के निर्देशानुसार भारतीय मीडिया को यह आदेश दिए जाते हैं कि किसी भी अनुसूचित जाति से जुड़ी शख्सियत से संबंधित खबरों के प्रकाशन में दलित शब्द का इस्तेमाल बंद कर देना चाहिए। संवैधानिक शब्दावली के अनुसार ऐसे किसी मामले के सही शब्द अंग्रेजी में शेड्यूल कास्ट है, देश की दूसरी भाषाओं में भी इसी शब्द का सही अनुवाद होना चाहिए।'
इससे पहले यूएमएसजेई ने भी मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच के डॉ. मोहनलाल माहोर बनाम यूनियन सरकार मामले पर इसी तरह का आदेश सुनाया था। अंग्रैजी दैनिक इंडियन एक्सप्रेस से केंद्रीय न्याय राज्य मंत्री रामदास अठावले से इस बारे में सवाल पूछा था। क्योंकि वह खुद भी महाराष्ट्र में दलित पैंथर मोमेंट से जुड़े रह चुके हैं, जहां से प्रभावशाली ढंग से राजनीति में इस शब्द का प्रयोग किया जाने लगा। उनका कहना था कि 'दलित' शब्द में एक किस्म के गर्व की अनुभूति है।