हैदरापोरा मुठभेड़ में मारे गए आमिर माग्रे का शव कब्र से निकाल परिजनों को सौंपा जाएगा, हाईकोर्ट ने सुनाया फैसला
By सुरेश एस डुग्गर | Published: May 28, 2022 04:16 PM2022-05-28T16:16:56+5:302022-05-28T16:16:56+5:30
कोर्ट के आदेश पर अब हैदरपोरा मुठभेड़ में पाकिस्तानी आतंकी बिलाल के साथ मारे गए तथाकथित आतंकी आमिर माग्रे का शव कब्र से निकाल उसके स्वजन को सौंपा जाएगा।
जम्मू: रामबन के अमीर अहमद माग्रे का परिवार अभी तक अपने आपको बदनसीब ही मान रहा था क्योंकि पिछले साल नवम्बर महीने में उसके बेटे की हैदरपोरा में हुई मुठभेड़ में मौत हो गई थी। उसका परिवार नहीं मानता कि वह आतंकी था या ओजीडब्ल्यू। हालांकि उसी मुठभेड़ में मारे गए दो अन्य कथित ओजीडब्ल्यू डा मुदस्सर गुल और मुहम्मद अल्ताफ बट के शवों को पुलिस ने उनके परिवारवालों को सौंप दिया था पर वे भी उन्हें पाकर इसलिए खुश नहीं थे क्योंकि अभी तक उन पर से ओजीडब्ल्यू का ठप्पा नहीं हटा है जिस कारण दोनों परिवारों के लिए समाज में जीना मुश्किल हो गया है।
कोर्ट के आदेश पर अब हैदरपोरा मुठभेड़ में पाकिस्तानी आतंकी बिलाल के साथ मारे गए तथाकथित आतंकी आमिर माग्रे का शव कब्र से निकाल उसके स्वजन को सौंपा जाएगा। अगर शव पूरी तरह नष्ट हो चुका हो या फिर सौंपने की स्थिति में नहीं है तो प्रशासन को याचिकाकर्ता को 5 लाख रुपये का मुआवजा देना होगा। यह आदेश शुक्रवार को जम्मू कश्मीर और लद्दाख उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को आमिर माग्रे के पिता मुहम्मद लतीफ माग्रे की याचिका पर सुनाया है।
माग्रे का परिवार ‘देशभक्त’ माना जाता है क्योंकि उसके अब्बाजान मुहम्मद लतीफ माग्रे ने वर्ष 2005 में एक आतंकी को अपने हाथों से मार गिराया था और प्रशासन व सेना ने उनको बहादुरी के लिए सम्मानित किया था। इसी को आधार बना परिवार चाहता था कि उसके बेटे का शव भी उन्हें सौंप दिया जाए ताकि वे उसे अपने इलाके में दफन कर सकें।
जस्टिस संजीव कुमार ने आमिर माग्रे के पिता की याचिका पर 13 पन्नों पर आधारित फैसला सुनाते हुए कहा कि जम्मू कश्मीर प्रदेश को सरकार आमिर माग्रे के शव को कब्र से निकलवाने का प्रबंध करने का निर्देश दिया जाता है। शव उत्तरी कश्मीर में वडर पायीन में दफन है। अगर शव खराब हो गया और उसे उसके वारिसों को सौंपने की स्थति में नहीं है तो फिर याचिकाकर्ता को करीबी रिश्तेदारों की मौजूदगी में अपने मजहब व परंपरा के मुताबिक अंतिम रस्मों की अदायगी करने दी जाए।
ऐसी स्थिति में याचिककर्ता लतीफ को उसके पुत्र का शव प्राप्त करने व उसके सम्मानजनक दफनाने के अधिकार से वंचित किए जाने के कारण 5 लाख बतौर मुआवजा भी दिया जाए। माग्रे आतंकी था या नहीं या फिर वह आतंकियों का समर्थक था या नहीं यह उस जांच में सामने आ जाएगा जिसका आदेश मुठभेड़ पर मचे बवाल के बाद उप राज्यपाल मनोज सिन्हा ने दिया था। लेकिन माग्रे के परिवार का अभी तक बुरा हाल था।
वे प्रशासन में नीचे से लेकर ऊपर तक सभी से मिन्नतें कर चुके थे और मिल चुके थे ताकि उनके बेटे का शव मिल सके। पर कहीं कोई सुनवाई नहीं। और न ही माग्रे के परिवार की ‘देशभक्ति’ कहीं काम आई थी। अंततः कोर्ट ने ही उन्हें न्याय दिया है।
माग्रे का परिवार इसे अपने आप पर एक धब्बे के तौर पर ले रहा था। यही हाल डा गुल और बिजनेसमेन मुहम्मद अल्ताफ बट के परिवारों का है जो चाहते हैं कि मामले की न्यायिक जांच हो ताकि उनके परिजनों पर आतंकी समर्थक या ओजीडब्ल्यू होने का कलंक हट सके।
डा गुल के अब्बाजान गुलाम मुहम्मद राथर अपने पौते पोतियों व बहू के भविष्य को लेकर बहुत चिंतित हैं क्योंकि उन्हें डर है कि उनके बेटे पर ओजीडब्ल्यू होने का जो धब्बा लगा है वह कहीं उन चारों का भविष्य खराब न कर दे।