उच्च न्यायालय ने बर्तन बनाने वाली कंपनी को ‘अमूल’ के ट्रेडमार्क उल्लंघन से रोका
By भाषा | Published: August 21, 2021 05:02 PM2021-08-21T17:02:07+5:302021-08-21T17:02:07+5:30
दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक कंपनी को उसके बर्तनों के उत्पादों पर ‘अमूल’ के इस्तेमाल से रोक दिया है, क्योंकि यह भ्रामक रूप से गुजरात सहकारी दुग्ध विपणन संघ लिमिटेड के ट्रेडमार्क के समान है। उच्च न्यायालय ने कहा कि प्रतिवादी कंपनी द्वारा इस्तेमाल चिन्ह पंजीकृत नहीं है और इसे गलत तरीके से पंजीकृत चिन्ह के तौर पर दर्शाया गया है। अदालत ने कहा कि यह स्पष्ट मामला है, जहां अंतरिम राहत देने की गुंजाइश है और यह ऐसा प्रतिरूपण जनता के साथ धोखाधड़ी के समान है। मुकदमे में कहा गया कि गुजरात सहकारी दुग्ध विपणन संघ लिमिटेड दूध और दुग्ध उत्पादों में इस्तेमाल होने वाले प्रसिद्ध ट्रेडमार्क ‘अमूल’ का पंजीकृत धारक है। न्यायमूर्ति सी हरिशंकर ने दुग्ध विपणन संघ द्वारा दायर मुकदमे पर मारुति मेटल्स को समन जारी किया था। याचिका में संघ ने आरोप लगाया था कि कंपनी ने अपने बर्तनों और अन्य उत्पाद पर ‘अमूल’ चिन्ह का इस्तेमाल कर ट्रेडमार्क का उल्लंघन किया है। अदालत ने कहा कि ‘अमूल’ शब्द विशिष्ट है और इसका कोई व्युत्पत्ति विषयक अर्थ नहीं है तथा यह वादी गुजरात सहकारी दुग्ध विपणन संघ लिमिटेड के उत्पादों के साथ उपभोग करने वाली जनता के मन में अमिट रूप से जुड़ा है।अदालत ने कहा, “प्रथम दृष्टया ट्रेडमार्क के तौर पर किसी भी अन्य संस्था द्वारा ‘अमूल’ शब्द का इस्तेमाल उल्लंघन के समान हो सकता है।”वादी की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता सुनील दलाल ने दावा किया कि मारुति मेटल्स ने अवैध तरीके से इस ट्रेडमार्क को पंजीकृत के तौर पर दिखाया जबकि ऐसा नहीं है और कहा कि यह भ्रामक भी है। उच्च न्यायालय ने कहा कि ये दावे जो उसके समक्ष रखे गए रिकॉर्ड से भी साबित होता है, मामला प्रथम दृष्टया वादी के पक्ष में बनाते हैं।
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