उच्च न्यायालय ने फिल्मी हस्तियों के एसोसिएशन के माध्यम से वाद दायर करने पर उठाये सवाल

By भाषा | Published: November 9, 2020 08:12 PM2020-11-09T20:12:12+5:302020-11-09T20:12:12+5:30

High Court raised questions on filing suit through association of film personalities | उच्च न्यायालय ने फिल्मी हस्तियों के एसोसिएशन के माध्यम से वाद दायर करने पर उठाये सवाल

उच्च न्यायालय ने फिल्मी हस्तियों के एसोसिएशन के माध्यम से वाद दायर करने पर उठाये सवाल

नयी दिल्ली, नौ नवंबर दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को जानना चाहा कि बालीवुड की हस्तियों ने मीडिया ट्रायल का मुद्दा खुद क्यों नहीं उठाया और फिल्म उद्योग के खिलाफ मीडिया को ‘गैर-जिम्मेदाराना, अपमानजनक और मानहानिकारक टिप्पणियां’ करने से रोकने के लिये एसोसिएशन के माध्यम से इसे क्यों उठा रहे हैं।

उच्च न्यायालय ने इस मामले की सुनवाई के दौरान टिप्पणी की कि लोग लोकतंत्र के चौथे स्तंभ मीडिया की ताकत की वजह से उससे डरते हैं । अदालत ने इस संबंध में राजकुमारी डायना का जिक्र किया जिसकी मीडिया से दूर भागते समय मृत्यु हो गयी थी।

अदालत ने कहा कि ब्लैक एंड व्हाइट दूरदर्शन का दौर भले ही घिसा पिटा लगता हो लेकिन वह काफी बेहतर था और उसके ब्रॉडकास्टर भी अच्छे थे।

अदालत ने बालीवुड जगत की चार एसोसिएशन और 34 प्रमुख फिल्म निर्माता घरानों के वाद पर सुनवाई के दौरान ये टिप्पणियां कीं। वाद दायर करने वालों में आमिर खान, शाहरूख खान, सलमान खान, करण जौहर, अजय देवगन, अनिल कपूर, रोहित शेट्टी और यश राज फिल्म्स तथा आर एस एंटरटेन्मेन्ट शामिल हैं।

हालांकि, किसी भी फिल्मी हस्ती ने मीडिया के खिलाफ वाद दायर नहीं किया है जबकि सुनवााई के दौरान अधिवक्ताओं ने शाहरूख खान और दीपिका पादुकोण को निशाना बनाये जाने की घटनाओं का जिक्र किया।

इन अधिवक्ताओं ने टाइम्स नाउ और रिपब्लिक टीवी सहित विभिन्न समाचार चैनलों को फिल्म जगत से जुड़े व्यक्तियों की निजता के अधिकार में हस्तक्षेप करने से रोका का आग्रह किया।

न्यायमूर्ति राजीव शकधर ने सुनवाई के दौरान टिप्पणी की, ‘‘राजकुमारी डायना के मामले को ही लीजिये, उनकी मृत्यु हो गयी क्योंकि वह मीडिया से दूर जाने का प्रयास कर रही थीं। आप इस तरह से नहीं कर सकते। इस पर नियंत्रण की हिमायत करने वालों में अदालतें सबसे अंत में होंगी।

उन्होंने कहा कि निश्चित ही मीडिया ने कुछ बहुत ही सराहनीय काम किये हैं लेकिन इसमें कुछ सुधार की आवश्यकता है।

वादकारियों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव नैयर ने कहा कि एक चैनल ने तो दीपिका पादुकोण का उसके गोवा आवास से गोवा हवाई अड्डे और फिर मुंबई हवाई अड्डे से मुंबई आवास तक पीछा किया।

उन्होंने कहा, ‘‘अब आरोप लगाया जा रहा है कि शाहरूख खान के पाकिस्तान और आईएसआई से संबंध हैं।’’

इस पर न्यायाधीश ने कहा, ‘‘मेरा सिर्फ यही सवाल है कि जिन लोगों का दावा है कि उन्हें इससे शिकायत है, उन्हें वादी क्यों नहीं बनाया गया है?’’ ऐसा आधे मन से क्यों है? नैयर ने जब यह जवाब दिया कि ये लोग वाद दायर करने वाली एसोसिएशन के सदस्य हैं तो न्यायाधीश ने कहा, ‘‘मैं समझता हूं। लेकिन एक वर्ग की मानहानि होती और व्यक्तियों की मानहानि है। अगर लोग खुद प्रभावित हैं तो वे कार्यवाही में खुद शामिल क्यों नहीं हो रहे हैं। उन्हें स्वंय आगे आकर कदम उठाने चाहिएं।’’

इस पर नैयर ने कहा कि वह इस पहलू पर अपने मुवक्किल से निर्देश लेकर अदालत को सुनवाई की अगली तारीख पर अवगत करायेंगे।

बेनेट कोलमैन समूह की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता संदीप सेठी ने प्रारंभिक आपत्ति उठाते हुये कहा कि वे एक व्यक्ति की सोशल मीडिया का मुद्दा उठा रहे हैं लेकिन वे इस वाद में उन्हें पक्षकार नहीं बना रहे हैं।

अदालत ने उनसे कहा कि वह अपने ब्रीफ से ऊपर उठकर बड़े मुद्दों पर जवाब दें क्योंकि कल को यह बालीवुड जगत की वकालत करने वालों की बिरादरी का मामला भी हो सकता है।

न्यायमूर्ति शकधर ने कहा, ‘‘ऐसा लगता है कि इसमें कुछ सुधार की जरूरत है। न्यूज ब्राडकास्टर्स स्टैंडर्डस अथारिटी (एनबीएसए) के आदेश हैं। लेकिन ऐसा लगता है कि न्यूज चैनल इनका पालन नहीं कर रहे हैं। अदालत के एक अधिकारी के रूप में आप मुझे बतायें कि अगर ये आत्म नियंत्रण का पालन नहीं करते हैं तो अगला कदम क्या हो?’’ उन्होंने कहा कि ये टिप्पणी सभी के बारे में है।

न्यायमूर्ति शकधर ने डीडी के ब्लैक एंड व्हाइट दौर को याद करते हुये कहा, ‘‘यह सभी के लिये थोड़ा हताश और निराश करने वाली बात है।’’

न्यायाधीश ने कहा, ‘‘हम दूरदर्शन को बहुत घिसा पिटा पाया करते थे लेकिन हमारे पास कुछ बहुत अच्छे प्रस्तोता थे। मैं सोचता हूं कि ब्लैक एंड व्हाइट डीडी बहुत ही बेहतर था।’’

रिपब्लिक टीवी और अर्नब गोस्वामी की ओर से अधिवक्ता मल्विका त्रिवेदी ने कहा कि अदालत को मीडिया द्वारा किये गये शानदार कामों को भी देखना चाहिए और हाल ही मे, इस तथ्य को नजरअंदाज नही किया जा सकता कि दो हस्तियों की रहस्यमय मृत्यु से संबंधित बहुत जानकारी मीडिया की भूमिका की वजह से ही जनता के सामने आयी थी।

इस पर न्यायाधीश ने कहा कि वह यह कहने वाले प्रथम व्यक्ति होंगें कि कुछ शानदार काम किये हैं और उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि न्यायालय यह नहीं कह रहा कि मीडिया रिपोर्ट नहीं कर सकता लेकिन वे रिपोर्टिंग के तरीके पर बात कर रहे हैं।

अदालत ने कहा, ‘‘जरा देखिये आप टीवी पर किस तरह की भाषा बोल रहे हैं। बहस में भाग लेने वाले अभद्र शब्दों का इस्तेमाल कर रहे हैं।’’

न्यायाधीश ने कहा कि अदालतें मीडिया रिपोर्ट पर अंकुश लगाने में संकोच करती हैं क्योंकि यह उनका संवैधानिक अधिकार है लेकिन रिपोर्टिंग में निष्पक्षता और तटस्थता की अपेक्षा की जाती है।

वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल, अरविन्द निगम और साजन पूवैया भी इस मामले में पेश हुये और कहा कि वे अदालत के आदेश का पालन करेंगे।

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Web Title: High Court raised questions on filing suit through association of film personalities

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