86 साल के हुए रस्किन बॉन्ड, जन्मदिन के मौके पर ‘स्पीकिंग टाइगर’ ने उनकी नई किताब जारी की
By भाषा | Published: May 19, 2020 07:46 PM2020-05-19T19:46:08+5:302020-05-19T19:46:08+5:30
‘लोन फॉक्स डांसिंग’ भारत के सबसे चहते लेखकों में एक रस्किन बॉण्ड की आत्मकथा है। यह किताब आज़ादी पूर्व भारत में आएएएफ में काम कर रहे एक अंग्रेज़ पिता (36 साल) और भारत में पैदा हुई अंग्रेज़ माँ (18 साल) की पहली संतान के जीवन की दास्तान है।
नई दिल्लीः प्रसिद्ध लेखक रस्किन बॉन्ड मंगलवार को 86 वर्ष के हो गए। इस अवसर पर पुस्तक प्रकाशक ‘स्पीकिंग टाइगर’ ने उनकी एक नई पुस्तक जारी की है जो नावों, ट्रेनों और विमानों में उनकी यात्रा की कहानियों के बारे में है।
‘‘हॉप ऑन: माई एडवेंचर्स ऑन बोट्स, ट्रेन्स एंड प्लेन्स’’ में बॉन्ड ने अपने बचपन की कुछ यादगार यात्रा रोमांचों का वर्णन किया है। बाल साहित्य के लिए स्पीकिंग टाइगर की इम्प्रिंट‘ टॉकिंग क्यूब’ द्वारा प्रकाशित यह पुस्तक पाठकों को युवा बॉन्ड के साथ एक यात्रा पर ले जाती है जो बहुत ही मजेदार और अद्भुत है।
प्रकाशक ने उनके 86 वें जन्मदिन पर इसे एक ई-पुस्तक प्रारूप में जारी किया है। बॉन्ड को जन्मदिन की शुभकामनाएं देते हुए टॉकिंग कब के प्रकाशक और संपादक सुदेशना शोम घोष ने कहा, ‘‘हम इस प्यारी और आकर्षक पुस्तक को जारी करके उनका जन्मदिन मनाते हुए बहुत खुश हैं।
रस्किन बॉन्ड लेखकों के चहेता हैं और हम आपसे आशा करते हैं कि आप हमारे साथ उनको शुभकामनाएं देंगे, उनकी नई किताब को पढ़ेंगे।’’ अपने जन्मदिन पर हर साल, बॉन्ड मसूरी में अपने पसंदीदा किताबों की दुकान, कैम्ब्रिज में सैकड़ों बच्चों और वयस्कों के साथ शाम को समय बिताते थे और एक केक काटते थे।
बांड का जन्म हिमाचल प्रदेश के कसौली में हुआ था और जामनगर, देहरादून, नई दिल्ली और शिमला में पले-बढ़े। युवावस्था में, उन्होंने चैनल द्वीप समूह और लंदन में चार साल बिताए। वह 1955 में भारत लौट आए। अब वह अपने गोद लिए परिवार के साथ मसूरी के लंढौर में रहते हैं।
महज 17 साल की उम्र में उन्होंने अपना पहला उपन्यास ‘‘द रूम ऑन द रूफ’’ लिखा था, जिसके लिए उन्हें 1957 में जॉन लेवेलिन राइस मेमोरियल पुरस्कार मिला था। तब से, बॉन्ड ने कई उपन्यास, निबंध, कविताएं और बच्चों की किताबें लिखी हैं। उन्होंने 500 से अधिक लघु कथाएँ और लेख भी लिखे हैं जो विभिन्न पत्रिकाओं और संग्रहों में छपे हैं। उन्हें 1993 में साहित्य अकादमी पुरस्कार, 1999 में पद्मश्री और 2014 में पद्म भूषण सम्मान मिला।