Gyanvapi Case: कार्बन डेटिंग मामले में वाराणसी कोर्ट ने फैसला रखा सुरक्षित, 7 अक्टूबर को सुनाएगी निर्णय
By रुस्तम राणा | Published: September 29, 2022 05:26 PM2022-09-29T17:26:56+5:302022-09-29T18:28:11+5:30
हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा, आज हमने मांग की कि शिवलिंग की वैज्ञानिक जांच हो और एएसआई (ASI) द्वारा एक कमीशन जारी किया जाए।
वाराणसी: वाराणसीकोर्ट में बृहस्पतिवार को ज्ञानवापी मामले की सुनवाई हुई। दोनों पक्षों की सुनवाई खत्म होने के बाद अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। सुनवाई के बाद हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा, आज हमने मांग की कि शिवलिंग की वैज्ञानिक जांच हो और एएसआई (ASI) द्वारा एक कमीशन जारी किया जाए। आज मुस्लिम पक्ष ने 1-2 प्वॉइंट को छोड़कर अपनी तरफ से कोई नई बहस नहीं की।
उधर, सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष ने अदालत से हिन्दू पक्ष की मांग का विरोध किया। अधिवक्ता ने कहा, मुस्लिम पक्ष ने भी कोर्ट के सामने अपना पक्ष रखा है। उन्होंने कहा कि कार्बन डेटिंग नहीं की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि यह शिवलिंग नहीं एक फव्वारा है और इसका पता नहीं लगाया जा सकता है।
हिंदू पक्ष के वकील ने कहा, मुस्लिम पक्ष ने कहा कि शिवलिंग की कार्बन डेटिंग नहीं हो सकती है जबकि हमने शिवलिंग की कार्बन डेटिंग नहीं मांगी है। हमने शिवलिंग के नीचे जो अर्घा है उसकी हमने कार्बन डेटिंग मांगी है। विष्णु शंकर जैन ने बताया कि कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है और इस मामले में 7 अक्टूबर को फैसला सुनाया जाएगा।
Muslim side too presented its side before the Court, they said that carbon dating shouldn't be done. They said that it's a fountain & not a Shivling and it can't be ascertained. Court has reserved its judgement & will pronounce judgement in this matter on 7th Oct: Adv Vishnu Jain pic.twitter.com/Y9gC5xspWV
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) September 29, 2022
जिला शासकीय अधिवक्ता महेंद्र पांडेय ने बताया कि हिन्दू पक्ष की वादी संख्या दो, तीन, चार और पांच ने ज्ञानवापी मस्जिद के वजूखाने में मिले कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग कराने की मांग की थी, जिस पर मुस्लिम पक्ष ने आपत्ति दर्ज करायी है। आपत्ति में कहा गया है कि वजूखाने में जो आकृति पायी गयी है उसे उच्चतम न्यायालय ने वाराणसी जिला मजिस्ट्रेट से सुरक्षित रखने को कहा है और उस पर फैसला आना अभी बाकी है। ऐसी स्थिति में उस आकृति के बारे में वैज्ञानिक विधि अथवा किसी अन्य विधि से जांच कराए जाने का कोई औचित्य नहीं है।
मुस्लिम पक्ष ने अपनी आपत्ति में यह भी कहा कि मूल वाद की विषय वस्तु तथाकथित श्रंगार-गौरी के दर्शन-पूजन के सम्बन्ध में है, जबकि मस्जिद में जो आकृति पायी गयी उसका इस मुकदमें से कोई ताल्लुक नहीं है, ऐसी हालत में उस आकृति के बारे में भारतीय पुरातत्व विभाग द्वारा न तो कोई जांच पड़ताल करायी जा सकती है और न ही वैज्ञानिक विधि से जांच-पड़ताल कराकर कानूनन रिपोर्ट मंगवायी जा सकती है।
(एजेंसी इनपुट के साथ)