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सौगातः सरकार ने गन्ने का न्यूनतम मूल्य 275 रुपये क्विंटल बरकरार रखा

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: July 24, 2019 19:45 IST

सूचना प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने मंत्रिमंडल के निर्णय के बारे में जानकारी देते हुए कहा, ‘‘सरकार ने सीएसीपी की गन्ना मूल्य के बारे में सिफारिश को स्वीकार कर लिया है...इस साल भी किसानों को गन्ने का (उचित और लाभदायक) मूल्य 275 रुपये प्रति क्विंटल मिलेगा।’’

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ठळक मुद्देसीसीईए ने जिस एफआरपी मूल्य को मंजूरी दी है, वह चीनी की 10 प्रतिशत मूल प्राप्ति (रिवकरी) और 2.75 रुपये प्रति क्विंटल प्रीमियम से जुड़ा है।यानी प्राप्ति दर में प्रत्येक 0.1 प्रतिशत की वृद्धि पर 2.68 रुपये प्रति क्विंटल का प्रीमियम मिलेगा।

सरकार ने बुधवार को गन्ना किसानों के लिये न्यूनतम 275 रुपये प्रति क्विंटल के भाव को अक्टूबर से शुरू अगले विपणन वर्ष में बरकरार रखने का फैसला किया।

यह वह भाव है जो मिल मालिक किसानों को देते हैं। मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति (सीसीईए) की बैठक में विपणन वर्ष 2019-20 के लिये गन्ने का उचित एवं लाभकारी मूल्य (एफआरपी) को यथावत रखने का फैसला किया गया। यह कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (सीएसीपी) की सिफारिशों के अनुरूप है।

सीएसीपी सांविधिक निकाय है जो प्रमुख कृषि उपज के मूल्य के बारे में सरकार को परामर्श देता है। सूचना प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने मंत्रिमंडल के निर्णय के बारे में जानकारी देते हुए कहा, ‘‘सरकार ने सीएसीपी की गन्ना मूल्य के बारे में सिफारिश को स्वीकार कर लिया है...इस साल भी किसानों को गन्ने का (उचित और लाभदायक) मूल्य 275 रुपये प्रति क्विंटल मिलेगा।’’

सीसीईए ने जिस एफआरपी मूल्य को मंजूरी दी है, वह चीनी की 10 प्रतिशत मूल प्राप्ति (रिवकरी) और 2.75 रुपये प्रति क्विंटल प्रीमियम से जुड़ा है। यानी प्राप्ति दर में प्रत्येक 0.1 प्रतिशत की वृद्धि पर 2.68 रुपये प्रति क्विंटल का प्रीमियम मिलेगा।

सरकार ने एक अलग बयान में कहा, ‘‘इस मंजूरी से गन्ना किसानों को गारंटीशुदा भाव मिलना सुनिश्चित होगा। एफआरपी का निर्धारण गन्ना किसानों के हित में है...।’’ एफआरपी का निर्धारण गन्ना (नियंत्रण) आदेश, 1966 के तहत निर्धारित किया जाता है। यह न्यूनतम कीमत है जो चीनी मिलों को गन्ना किसानों को देने होते हैं।

इस निर्णय का स्वागत करते हुए इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (आईएसएमए) के महानिदेशक अविनाश वर्मा ने कहा कि यह निर्णय उम्मीद के अनुरूप है। पिछले कुछ साल में एफआरपी में काफी तेजी से वृद्धि हुई है और गन्ने पर रिटर्न ने अन्य फसलों को पीछे छोड़ दिया है।

संगठन ने बयान में कहा, ‘‘इस निर्णय से अन्य फसलों के बीच संतुलन स्थापित होगा। इससे चीनी मिलों को भी लाभ होगा क्योंकि चीनी उत्पादन में 70 से 75 प्रतिशत लागत केवल गन्ने का है। साथ ही इससे किसानों के बकाया गन्ना भाव को काबू में रखने में मदद मिलेगी।’’ 

सरकार ने चीनी का 40 लाख टन का बफर स्टॉक बनाने की मंजूरी दी 1,674 करोड़ रुपये खर्च होंगे

चीनी के बंपर उत्पादन के मद्देनजर सरकार ने चीनी का 40 लाख टन का बफर स्टॉक बनाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। उम्मीद है कि इससे चीनी मिलों को गन्ना किसानों का 15,000 करोड़ रुपये का बकाया चुकाने में मदद मिलेगी। सरकार चीनी का बफर स्टॉक बनाने पर 1,674 करोड़ रुपये खर्च करेगी।

इस कदम से मांग-आपूर्ति में संतुलन कायम करने और चीनी की कीमतों को स्थिर रखने में मदद मिलेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति (सीसीईए) की बुधवार को यहां हुई बैठक में खाद्य मंत्रालय के चीनी का 40 लाख टन का बफर स्टॉक बनाने की मंजूरी दी गई।

अगस्त, 2018 में केंद्र ने चीनी का 30 लाख टन का बफर स्टॉक बनाया था जिससे सरकार पर 1,175 करोड़ रुपये का बोझ पड़ा था। यह कदम चीनी मिलों की नकदी की स्थिति सुधारने, गन्ना किसानों के बकाये के भुगतान में मदद और घरेलू स्तर पर चीनी कीमतों को स्थिर करने के लिए उठाया गया था।

सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने मंत्रिमंडल के फैसलों की जानकारी देते हुए कहा कि गन्ना किसानों के हितों के संरक्षण और उन्हें गन्ने का बकाया समय पर दिलाने के लिए सरकार ने चीनी का 40 लाख टन का स्टॉक बनाने का फैसला किया है। यह पिछले साल की तुलना में 10 लाख टन अधिक है।

एक आधिकारिक बयान में 2019-20 के विपणन वर्ष की शुरुआत भारी शुरुआती स्टॉक के साथ होने की उम्मीद है। ऐसे में बफर स्टॉक के जरिये मांग-आपूर्ति को संतुलित करने और चीनी कीमतों को स्थिर रखने में मदद मिलेगी। यह बफर स्टॉक एक अगस्त, 2019 से 31 जुलाई, 2020 की अवधि के लिए होगा।

इसमें सरकार भागीदार चीनी मिलों को स्टॉक को आगे ले जाने के लिए 1,674 करोड़ रुपये का भुगतान करेगी। सरकार ने कहा कि इससे चीनी मिलों की नकदी की स्थिति सुधरेगी। योजना के तहत बफर स्टाक योजना में प्रतिपूर्ति के लिए दी जाने वाली राशि चीनी मिलों की ओर से सीधे किसानों के खातों में डाली जाएगी।

चीनी उद्योग के संगठन इस्मा के महानिदेशक अविनाश वर्मा ने कहा कि इससे चीनी मिलों के बोझ को उल्लेखनीय रूप से कम करने में मदद मिलेगी। देश का चीनी उत्पादन 2018-19 के विपणन वर्ष (अक्टूबर-सितंबर) के दौरान 3.29 करोड़ टन रहने का अनुमान है।

चीनी की घरेलू मांग 2.6 करोड़ टन रहने की संभावना है। चीनी उद्योग के संगठन इस्मा के अनुसार, एक अक्टूबर, 2019 को नया चीनी सत्र शुरू होने के समय पुरानी चीनी का भंडार अपने सर्वकालिक उच्चस्तर 1.45 करोड़ टन पर रहने की उम्मीद है।

सामान्य तौर पर उस समय 50 लाख टन के स्टाक की जरूरत होती है। इसके साथ ही मंत्रिमंडल ने 2019-20 के विपणन वर्ष (अक्टूबर-सितंबर) के लिए गन्ने का उचित एवं लाभकारी मूल्य (एफआरपी) 275 रुपये प्रति क्विंटल पर कायम रखने का फैसला किया गया है।

एफआरपी वह न्यूनतम मूल्य है जो मिलों को गन्ना खरीद के लिए किसानों को देना होता है। राज्य सरकारें इसके ऊपर गन्ने का राज्य परामर्श मूल्य भी घोषित कर सकती हैं। 

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