वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को सभी मंत्रालयों से अगली चार तिमाहियों के लिए पूंजीगत व्यय की विस्तृत योजनाएं पेश करने को कहा है ताकि खर्च बढ़ाकर आर्थिक गतिविधियों को तेज किया जा सके।
वित्त मंत्री ने चुंनिदा मंत्रालयों के साथ बैठक के बाद यह भी कहा कि सरकारी विभाग सभी बकायों को समय से चुकता करेंगे। उन्होंने कहा, "सभी मंत्रालयों से अगली चार तिमाहियों के लिए पूंजीगत व्यय की विस्तृत योजनाएं पेश करने को कहा गया है ताकि खर्च बढ़ाकर आर्थिक गतिविधियों को तेज किया जा सके।"
वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार पूंजीगत व्यय योजनाओं को लेकर बैठने के पक्ष में नहीं, ऐसे व्यय को योजनानुसार जारी रखने का लक्ष्य रखा गया है। कर छूट के बीच व्यय को लक्ष्य के अनुसार बनाए रखने के सवाल पर निर्मला सीतारमण ने कहा, राजकोषीय घाटे आंकड़ों का समाधान बाद में निकाला जाएगा।
सीतारमण शनिवार को लोक उपक्रमों के साथ बैठक कर पूंजीगत व्यय योजनाओं की समीक्षा करेंगी। व्यय सचिव जी.सी.मुर्मू ने कहा कि बुनियादी संरचना क्षेत्र के ज्यादातर मंत्रालयों ने चालू वित्त वर्ष के लिये पूंजीगत खर्च के लक्ष्य का 50 प्रतिशत खर्च पूरा कर लिया है। उन्होंने कहा कि पूंजीगत खर्च सही रास्ते पर, बजट अनुमान पूरे होंगे।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि सरकार पूंजीगत व्यय योजनाओं को लेकर बैठने के पक्ष में नहीं, व्यय को जारी रखने का लक्ष्य रखा है। वित्त मंत्री ने सभी मंत्रालयों से अगली चार तिमाहियों के लिए पूंजीगत व्यय की विस्तृत योजनाएं पेश करने को कहा ताकि खर्च बढ़ाकर आर्थिक गतिविधियों को तेज किया जा सके। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि सरकारी विभाग सभी बकाया समय से चुकता कर देंगे। वित्त मंत्री सीतारमण शनिवार को लोक उपक्रमों के साथ बैठक कर पूंजीगत व्यय योजनाओं की समीक्षा करेंगी।
व्यय सचिव जी.सी.मुर्मू ने कहा कि बुनियादी संरचना क्षेत्र के ज्यादातर मंत्रालयों ने चालू वित्त वर्ष के लिये पूंजीगत खर्च के लक्ष्य का 50 प्रतिशत खर्च पूरा कर लिया है। पूंजीगत खर्च सही रास्ते पर, बजट अनुमान पूरे होंगे।
सरकार पर लोक रिण का बोझ बढ़ता जा रहा है। लोक रिण पर जारी ताजा रिपोर्ट के मुताबिक जून 2019 को समाप्त पहली तिमाही में सरकार की कुल देनदारी बढ़कर 88.18 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गई जो कि तीन महीने पहले मार्च 2019 के अंत में 84.68 लाख करोड़ रुपये पर थी।
रपट के अनुसार जून 2019 के अंत तक सरकार की कुल बकाया देनदारी में लोक ऋण की हिस्सेदारी 89.4 प्रतिशत रही है। यह आंकड़े सार्वजनिक ऋण प्रबंधन प्रकोष्ठ (पीडीएमसी) की त्रैमासिक रपट में सामने आए हैं। रपट में कहा गया है, ‘‘सरकार ने जिन प्रतिभूतियों के जरिये राशि जुटाई है उनमें करीब 28.9 प्रतिशत ऐसी हैं जिनकी परिपक्वता अवधि पांच वर्ष से भी कम रह गई है।
मार्च 2019 के अंत तक सरकारी प्रतिभूतियों को रखने के मामले में 40.3 प्रतिशत हिस्सेदारी वाणिज्यिक बैंकों के पास और 24.3 प्रतिशत बीमा कंपनियों के पास थी। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में केंद्र सरकार ने 2,21,000 करोड़ रुपये की प्रतिभूतियां जारी की जबकि पिछले साल इसी अवधि में 1,44,000 करोड़ रुपये की प्रतिभूतियां जारी की गयी थीं।
पहली तिमाही में जारी नयी प्रतिभूतियों की औसत परिपक्वता (डब्ल्यूएएम) अवधि 15.86 साल रही है जबकि पिछले वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में जारी प्रतिभूतियों की औसत परिपक्वता अवधि 14.18 साल रही थी। पहली तिमाही के दौरान सरकारी प्रतिभूतियों के प्रतिफल में नरमी का रुख देखा गया। यह घटकर औसतन 7.21 प्रतिशत रह गया जो इससे पिछली जनवरी-मार्च 2019 तिमाही में औसतन 7.47 प्रतिशत रहा था। अप्रैल-जून 2019 अवधि में सरकार ने नकदी प्रबंधन बिल जारी कर किसी तरह की राशि नहीं जुटायी।
वहीं, सीमांत स्थायी सुविधा सहित तरलता समायोजन सुविधा के तहत रिजर्व बैंक से शुद्ध औसत नकदी 17,599.3 करोड़ रुपये डाली गई। दस साल की परिपक्वता वाली सरकारी प्रतिभूतियों पर प्रतिफल 29 जून 2019 को 6.88 प्रतिशत पर बंद हुआ था। जहां तक शुद्ध विदेशी प्रत्यक्ष निवेश की बात है यह पहली तिमाही में एक साल पहले की इसी अवधि के मुकाबले 51 प्रतिशत बढ़कर 14.4 अरब डॉलर हो गया, जो की पिछले साल इसी अवधि में 9.5 अरब डॉलर पर था। देश का विदेशी मुद्रा भंडार 28 जून 2019 को 424.7 अरब डॉलर रहा जो इससे पिछले वित्त वर्ष में 29 जून 2018 को 406.1 अरब डॉलर पर था।