India Ki Udaan: गूगल ने देश की आजादी की 75वीं वर्षगांठ पर ‘इंडिया की उड़ान’ परियोजना शुरू की, जानिए इसके बारे में
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: August 6, 2022 10:30 AM2022-08-06T10:30:48+5:302022-08-06T10:40:38+5:30
देशभर में आजादी की 75वीं वर्षगांठ के जश्न के तौर पर गूगल ने सरकार के एक साल तक चलने वाले ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ कार्यक्रम का समर्थन करने के लिए ‘सूचनात्मक ऑनलाइन सामग्री तक पहुंच बढ़ाने और 1947 के बाद से भारत की प्रगति और भारतीयों के योगदान को दिखाने के वास्ते’ संस्कृति मंत्रालय के साथ सहयोग किया है।
नयी दिल्लीः भारत आजादी की 75वीं वर्षगांठ का जश्न मना रहा है। इस खास मौके पर गूगल ने आजादी के 75 साल के सफर में हासिल की गई अहम उपलब्धियों को समेटते हुए एक ऑनलाइन परियोजना शुरू की है, जिसमें समृद्ध अभिलेखागार और कलात्मक चित्रण के जरिये देश की कहानी बयां की गई है।
‘इंडिया की उड़ान’ परियोजना 75 वर्षों में भारत की अटूट और अमर भावना पर आधारित है
‘गूगल आर्ट्स एंड कल्चर’ द्वारा शुरू की गई परियोजना ‘इंडिया की उड़ान’ देश की उपलब्धियों का जश्न मनाती है और यह ‘इन 75 वर्षों में भारत की अटूट और अमर भावना पर आधारित है।’ केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री जी किशन रेड्डी और संस्कृति मंत्रालय तथा गूगल के वरिष्ठ अधिकारियों ने शुक्रवार को दिल्ली स्थित सुंदर नर्सरी में आयोजित एक समारोह में इसका आधिकारिक रूप से शुभारंभ किया।
Thank you @GoogleIndia for showing the facts of 75 years of India's independence.@INCIndia#indiakiudaanhttps://t.co/fnuL5cNs4T
— Allen Perme (@AllenPerme) August 6, 2022
देशभर में आजादी की 75वीं वर्षगांठ के जश्न के तौर पर गूगल ने सरकार के एक साल तक चलने वाले ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ कार्यक्रम का समर्थन करने के लिए ‘सूचनात्मक ऑनलाइन सामग्री तक पहुंच बढ़ाने और 1947 के बाद से भारत की प्रगति और भारतीयों के योगदान को दिखाने के वास्ते’ संस्कृति मंत्रालय के साथ सहयोग किया है।
गूगल ने 2022 के लिए अपनी लोकप्रिय ‘डूडल4गूगल’ प्रतियोगिता की भी घोषणा की
कंपनी ने 2022 के लिए अपनी लोकप्रिय ‘डूडल4गूगल’ प्रतियोगिता की भी घोषणा की, जिसकी थीम ‘अगले 25 वर्षों में मेरा भारत होगा...’ है। इसमें पहली से 10वीं कक्षा तक के छात्र हिस्सा ले सकते हैं। रेड्डी ने कहा कि गूगल केंद्र द्वारा संरक्षित 3,000 से अधिक स्मारकों की सीमाओं का डिजीटल मानचित्र तैयार करने में संस्कृति मंत्रालय की मदद कर सकता है, जिससे इन स्थलों की बेहतर निगरानी में मदद मिलेगी। उन्होंने बताया कि नया दुर्लभ अभिलेखागार सामग्री के डिजीटलीकरण में भी कारगर साबित हो सकता है।