उत्तराखंड में ग्लेशियर टूटा: सुबह की शांति ग्रामीणों के लिए त्रासदी में तब्दील हो गयी

By भाषा | Updated: February 7, 2021 23:53 IST2021-02-07T23:53:15+5:302021-02-07T23:53:15+5:30

Glacier broken in Uttarakhand: Morning peace turns into tragedy for villagers | उत्तराखंड में ग्लेशियर टूटा: सुबह की शांति ग्रामीणों के लिए त्रासदी में तब्दील हो गयी

उत्तराखंड में ग्लेशियर टूटा: सुबह की शांति ग्रामीणों के लिए त्रासदी में तब्दील हो गयी

रैणी, सात फरवरी उत्तराखंड के रैणी गांव में रविवार को हर दिन की तरह लोगों के लिए सर्दी की शांत सुबह थी लेकिन लगभग दस बजे उन्हें जोरदार आवाज सुनायी दी और ऋषिगंगा में पानी का सैलाब और कीचड़ आते हुए नजर आया।

धरम सिंह नामक पचास वर्षीय एक ग्रामीण ने कहा, ‘‘हम यह समझ पाते कि क्या हो रहा है, उससे पहले ही ऋषिगंगा के कीचड़ वाले पानी ने सारी चीजें तबाह कर दीं।’’

इस नजारे ने लोगों को 2013 की केदारनाथ की भयावह बाढ़ की याद दिला दी जिसमें हजारों लोगों की जान चली गयी थी।

रविवार को कई लोगों के इस सैलाब में बह जाने की आशंका है। उनमें नदी के आसपास काम कर रहे लोग भी शामिल हैं।

गांव के तीन बाशिंदे इस त्रासदी के बाद से गायब हैं। उनमें 75 वर्षीय अमृता देवी भी हैं जो ऋषि गंगा पर पुल के समीप अपने खेत में काम करने गयी थीं। अन्य वल्ली रानी के यशपाल हैं जो अपने मवेशी को चराने गये थे और रंजीत सिंह (25) है जो ऋषि गंगा पनबिजली परियोजना में काम करते थे। नंदा देवी ग्लेशियर के टूटने के बाद यह हिमस्खलन आया।

इस हिमस्खलन से वह परियोजना नष्ट हो गयी जो 2020 में ही शुरू हुई थी। मुख्य सीमा मार्ग पर एक बड़ा पुल भी बह गया।

जुवा ग्वान गांव के प्रदीप राणा ने बताया कि उसी गांव का संजय सिंह भी लापता है जो अपनी बकरियां चराने गया था।

ऋषि गंगा और धौली गंगा के संगम से 20 मीटर की ऊंचाई पर बने कुछ मंदिर भी बह गये।

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Web Title: Glacier broken in Uttarakhand: Morning peace turns into tragedy for villagers

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