गिरिराज सिंह ने कहा-"अल्पसंख्यकों की भी जातीय जनगणना हो, जिससे 'सीमांचल' में बांग्लादेशी घुसपैठियों और रोहंगियाओं की पहचान कर उन्हें निकाला जाये"
By एस पी सिन्हा | Published: June 1, 2022 03:45 PM2022-06-01T15:45:32+5:302022-06-01T15:49:45+5:30
बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के ओबीसी जातीय जनगणना की मांग पर हमला करते हुए केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा है कि केवल पिछड़ों की क्यों साथ में अल्पसंख्यकों की भी जातीय जनगणना होनी चाहिये, जिससे 'सीमांचल' से बांग्लादेशी घुसपैठियों व रोहंगियाओं को पहचान कर उन्हें निकाला जा सके।
पटना: केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री गिरिराज सिंह ने बिहार में प्रस्तावित जातीय जनगणना को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साधा है।
केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा है कि केवल पिछड़ों की क्यों साथ में अल्पसंख्यकों की भी जातीय जनगणना होनी चाहिये, जिससे 'सीमांचल' से बांग्लादेशी घुसपैठियों व रोहंगियाओं को पहचान कर उन्हें निकाला जा सके।
उन्होंने कहा कि बिहार सरकार जिस जातीय जनगणना की बात कर रही है, हम उसके साथ खड़े हैं। हमें जातीय जनगणना से कोई आपत्ति नहीं है लेकिन जातीय जनगणना में मुसलमानों की जातियों को भी शामिल किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि मुस्लिम वर्ग में भी कई जातियां हैं, उन्हें भी जातीय रूप से श्रेणीबद्ध करके उनकी गिनती की जानी चाहिए। गिरिराज सिंह ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को सुझाव देते हुए कहा कि वर्ष 1991 में बिहार के 11 जिलों में फर्जी मतदाताओं के नाम को हटाने को लेकर दो लोगों ने याचिका दायर की थी। तब करीब 3 लाख लोगों का नाम सूची से हटाया गया है।
ऐसे में जातीय जनगणना के दौरान इस बात का ध्यान रखा जाए कि जो रोहिंग्या और बंगलादेशी घुसपैठिये यहां रह रहे हैं, उन्हें जनगणना में शामिल किया जाए साथ ही जिन 3 लाख लोगों का नाम हटाया गया था उन्हें भी जातीय जनगणना में जगह दी जाए।
गिरिराज सिंह ने कहा कि जातीय जनगणना में 11 जिलों को 1991 में राजेंद्र यादव और राजेंद्र यादव ने पिटीशन दिया था कि जो लोग विदेशी हैं, उनके नाम को मतदाता सूचि से काटे गए थे। घुसपैठियों को जातीय जनगणना से हटाना चाहिए।
देश में अल्पसंख्यक पर पुनर्विचार करना चाहिए। ज्ञानवापी मामले पर गिरिराज सिंह ने कहा कि यह 1991 के कानून के दायरे में नही है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश को विकास के एजेंडे में ले गए।
देश का अगर बजट 2014 में साढ़े 16 लाख करोड़ का था तो आज आज साढ़े 37 लाख करोड़ तक गया है लेकिन कई लोग समाज में अपनी एजेंडा चाहते हैं, तो आज की तारीख में देश में धर्म परिवर्तन का एक सख्त कानून होना चाहिए।