1962 युद्ध में गलती से भारत आया, 6 साल जेल में काटे, यहीं शादी की, अब बेटा विष्णु अपने चीनी पिता का कर रहा इंतजार, नहीं मिल रहा वीजा

By भाषा | Updated: August 30, 2019 16:15 IST2019-08-30T16:15:27+5:302019-08-30T16:15:27+5:30

पूर्व चीनी सैनिक वांग क्यू भारत में बसे अपने परिवार से मिलना चाहते हैं लेकिन कुछ औपचारिक कारण उनके रास्ते का रोड़ा बन रहे हैं। वांग क्यो को चार महीने पहले आवेदन करने के बाद भी वीजा नहीं मिल पाया है। उनके बेटे विष्णु ने इस बारे में मीडिया से बात की।

Former Chinese soldier could not get visa to meet his family settled in India | 1962 युद्ध में गलती से भारत आया, 6 साल जेल में काटे, यहीं शादी की, अब बेटा विष्णु अपने चीनी पिता का कर रहा इंतजार, नहीं मिल रहा वीजा

तस्वीर का इस्तेमाल केवल प्रतीकात्मक तौर पर किया गया है। (Image Source: pixabay)

Highlights1962 के युद्ध में रास्ता भटक जाने के कारण पूर्व चीनी सैनिक वांग क्यू भारत आ गए थे। इसके बाद 6 साल वह जेल में रहे। वांग क्यू ने सुशील नाम की महिला से भारत में ही शादी कर ली थी। उनके बेटे विष्णु ने बताया कि चार महीने पहले आवेदन करने के बाद भी पिता को वीजा नहीं मिल पाया है।

चीन का 80 वर्षीय पूर्व सैनिक वांग क्यू अपने परिवार से मिलने फिर भारत आना चाहता है, लेकिन उसे आवेदन के चार महीने बाद भी वीजा नहीं मिल पाया है। वांग क्यू 1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान कथित तौर पर रास्ता भटककर भारत पहुंच गए थे और यहां बालाघाट जिले में अपना परिवार बसाने के दशकों बाद 2017 में वापस अपने देश चीन चले गए थे। वह अब वापस यहां अपने परिवार के सदस्यों से मिलने आना चाहते हैं, लेकिन अप्रैल 2019 में आवेदन करने के बावजूद उन्हें अब तक भारत का वीजा नहीं मिल पाया है।

मध्य प्रदेश के नक्सल प्रभावित बालाघाट जिले के तिरोड़ी गांव में उनकी पत्नी और बच्चे रहते हैं। लंबी जद्दोजहद के बाद वांग यहां से 2017 में अपने भाई-बंधुओं के पास वापस चीन चले गए थे। वांग के बेटे विष्णु ने पीटीआई-भाषा को फोन पर बताया कि उनके पिता ने इस साल अप्रैल में बीजिंग में वीजा के लिए भारतीय दूतावास में आवेदन किया था, लेकिन वीजा अब तक नहीं मिल सका है।

उन्होंने कहा, "मेरे पिता ने वीजा के लिए अप्रैल में आवेदन किया था, तब से मैं, मेरी दो बहनें और मेरे परिवार के लोग उनसे मिलने का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन हमारी उम्मीद अब तक पूरी नहीं हुई है।’’

विष्णु ने कहा, ‘‘मैंने भी बीजिंग में भारतीय दूतावास से संपर्क करने का प्रयास किया और मेरे पिता भी वीजा के लिए अपने गृहनगर शांक्सी प्रांत के झियानयांग से 1,200 किलोमीटर दूर चीन की राजधानी तीन बार जा चुके हैं, लेकिन अधिकारियों की ओर से अब तक उन्हें कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला है।’’

उन्होंने कहा कि 2017 में यहां से चीन जाने के बाद उनके पिता को 2018 में यहां आने के लिए आवेदन करने पर 15 दिन के अंदर वीजा मिल गया था, लेकिन अब इंतजार बहुत लंबा हो गया है।

विष्णु ने कहा, "पिछली बार उन्होंने मई 2018 में यहां आकर हमसे मुलाकात की और अक्टूबर 2018 में वह चीन वापस चले गए।’’ उन्होंने कहा कि उनके पिता 1960 में चीन की सेना में शामिल हुए थे और 1962 में युद्ध के दौरान एक रात अंधेरे में रास्ता भटक जाने के बाद वह भारत-चीन सीमा से भारत में आ गए। वांग, पहले असम पहुंचे। भारतीय रेडक्रॉस सोसाइटी ने उन्हें एक जनवरी 1963 को भारतीय सेना को सौंप दिया।

विष्णु ने कहा कि उनके पिता ने असम, अजमेर, दिल्ली, पंजाब और हरियाणा की विभिन्न जेलों में छह साल बिताए और अदालत ने आखिरकार मार्च 1969 में उन्हें रिहा कर दिया। उन्होंने बताया कि भारत सरकार ने अदालत से वादा किया था कि वह उसके पिता का पुनर्वास करेगी।

सरकार द्वारा उन्हें दिल्ली, भोपाल, जबलपुर ले जाया गया और बाद में उन्हें बालाघाट पुलिस को सौंप दिया गया। विष्णु ने कहा कि बालाघाट जिले में बसने के बाद वांग ने उनकी मां सुशीला से शादी कर ली। इस विवाह से वांग को दो बेटों और दो बेटियों सहित कुल चार बच्चे हुए। उन्होंने कहा, ‘‘मेरे बड़े भाई और मेरी माँ का पहले ही निधन हो चुका है और अब मैं अपनी दो बहनों के साथ तिरोड़ी में रहता हूं। हम बेसब्री से अपने पिता से मिलने का इंतजार कर रहे हैं।’’

Web Title: Former Chinese soldier could not get visa to meet his family settled in India

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