‘श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र’ का गठन, जानिए ट्रस्ट में शामिल लोगों के बारे में सबकुछ, मोदी सरकार ने दिया एक रुपया 

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: February 6, 2020 05:02 PM2020-02-06T17:02:55+5:302020-02-06T17:02:55+5:30

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उच्चतम न्यायालय की तीन महीने की समयसीमा खत्म होने से चार दिन पहले बुधवार को लोकसभा में संबंधित घोषणा की। इसके बाद ट्रस्ट को केंद्र की ओर से एक रुपये का नकद दान भी मिला, जो ट्रस्ट को मिला पहला दान है।

Formation of 'Shri Ram Janmabhoomi Tirtha Kshetra', know everything about the people involved in the trust, Modi government gave one rupee | ‘श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र’ का गठन, जानिए ट्रस्ट में शामिल लोगों के बारे में सबकुछ, मोदी सरकार ने दिया एक रुपया 

केंद्र ने ट्रस्ट में शामिल ट्रस्टियों के नामों की घोषणा भी कर दी।

Highlightsदो प्रमुख हिंदू नामित सदस्यों के नामों पर प्रतिनिधिमंडल के सदस्य बहुमत से फैसला लेंगे। एक हिंदू प्रतिनिधि को केंद्र सरकार मनोनीत करेगी, जो आईएएस सेवा में कार्यरत होगा।

केंद्र ने अयोध्या में ‘‘विशाल और भव्य’’ राम मंदिर के निर्माण के लिए बुधवार को 15 सदस्यीय एक स्वतंत्र ट्रस्ट का गठन किया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उच्चतम न्यायालय की तीन महीने की समयसीमा खत्म होने से चार दिन पहले बुधवार को लोकसभा में संबंधित घोषणा की। इसके बाद ट्रस्ट को केंद्र की ओर से एक रुपये का नकद दान भी मिला, जो ट्रस्ट को मिला पहला दान है।

केंद्र ने ट्रस्ट में शामिल ट्रस्टियों के नामों की घोषणा भी कर दी, जिनमें वरिष्ठ अधिवक्ता के. परासरन, जगदगुरु शंकराचार्य ज्योतिषपीठाधीश्वर स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती जी महाराज (प्रयागराज), जगदगुरु माधवाचार्य स्वामी विश्व प्रसन्नतीर्थ जी महाराज (उडुपी के पेजावर मठ से), युगपुरुष परमानंद जी महाराज (हरिद्वार), स्वामी गोविंददेव गिरि जी महाराज (पुणे) और विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र (अयोध्या) शामिल हैं।

इसके अतिरिक्त कुछ और न्यासी भी होंगे, जिनके नाम हैं: अयोध्या से होम्योपैथिक चिकित्सक अनिल मिश्रा, अनुसूचित जाति के सदस्य के रूप में पटना से के. चौपाल और निर्मोही अखाड़ा की अयोध्या बैठक से महंत दिनेंद्र दास। दो प्रमुख हिंदू नामित सदस्यों के नामों पर प्रतिनिधिमंडल के सदस्य बहुमत से फैसला लेंगे।

एक हिंदू प्रतिनिधि को केंद्र सरकार मनोनीत करेगी, जो आईएएस सेवा में कार्यरत होगा और भारत सरकार में संयुक्त सचिव स्तर या उससे नीचे के रैंक का नहीं होगा। उक्त प्रतिनिधि पदेन होगा। एक हिंदू प्रतिनिधि को उत्तर प्रदेश सरकार मनोनीत करेगी।

प्रतिनिधि ऐसा आईएएस अधिकारी होगा जो उत्तर प्रदेश सरकार में सचिव पद से नीचे के रैंक का न हो। अयोध्या के जिला कलेक्टर इसके पदेन ट्रस्टी होंगे, जो हिंदू होंगे। यदि अयोध्या का जिला कलेक्टर हिंदू न हो तो अतिरिक्त कलेक्टर, जो हिंदू हो उसे पदेन सदस्य बनाया जाएगा। राम मंदिर परिसर के विकास एवं प्रशासन से संबंधित समिति के अध्यक्ष की नियुक्ति न्यासी प्रतिनिधिमंडल करेगा। अध्यक्ष एक हिंदू होगा जो पदेन सदस्य भी होगा।

ट्रस्टी के बारे में जानिए...

1- के. परासरन लगभग 70 साल से सक्रिय हैं। 9 अक्टूबर 1927 को जन्मे परासरन 1983 से 1989 के बीच यानी पीएम इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के कार्यकाल में देश के एटॉर्नी जनरल थे। 2003 में उन्हें पदम् भूषण और 2011 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया। 2012 से 2018 तक वह राज्यसभा के मनोनीत सदस्य रहे। उनके बेटे मोहन परासरन देश के सॉलिसिटर जनरल रह चुके हैं। भगवान राम में गहरी आस्था रखने वाले परासरन ने राम सेतु मामले में भी पैरवी की थी।

2- विमलेंद्र प्रताप मिश्र का भगवान रामलला से गहरा नाता है। किसी जमाने में इस राजवंश के सदस्य अयोध्या नगर की व्यवस्था चलाते थे, लेकिन समय बीतने के साथ ही यह परंपरा समाप्त हो गई। लेकिन राम मंदिर निर्माण की जिम्मेदारी एक बार फिर उनके कंधों पर आ गई है।

3- जगदगुरु शंकराचार्य ज्योतिषपीठाधीश्वर स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती जी महाराज (प्रयागराज) बद्रीनाथ स्थित ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य। हालांकि, इनके शंकराचार्य बनाए जाने पर विवाद भी रहा। ज्योतिष मठ की शंकराचार्य की पदवी को लेकर द्वारका पीठ के शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती ने हाईकोर्ट में केस दाखिल किया था।

4- जगदगुरु माधवाचार्य स्वामी विश्व प्रसन्नतीर्थ जी महाराज (उडुपी के पेजावर मठ से) कर्नाटक के उडुपी स्थित पेजावर मठ के 33वें पीठाधीश्वर हैं। दिसंबर 2019 में पेजावर मठ के पीठाधीश्वर स्वामी विश्वेशतीर्थ के निधन के बाद पदवी संभाली।

5- युगपुरुष परमानंद जी महाराज (हरिद्वार) अखंड आश्रम हरिद्वार के प्रमुख। वेदांत पर 150 से ज्यादा किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं। इन्होंने साल 2000 में संयुक्त राष्ट्र में आध्यात्मिक नेताओं के शिखर सम्मेलन को संबोधित किया था।

6- स्वामी गोविंददेव गिरि जी महाराज (पुणे) महाराष्ट्र के अहमद नगर में 1950 में जन्म हुआ। रामायण, श्रीमद्भगवद्गीता, महाभारत और अन्य पौराणिक ग्रंथों का देश-विदेश में प्रवचन करते हैं। स्वामी गोविंद देव महाराष्ट्र के विख्यात आध्यात्मिक गुरु पांडुरंग शास्त्री अठावले के शिष्य हैं।

7- अयोध्या से होम्योपैथिक चिकित्सक अनिल मिश्रा मूलरूप से अंबेडकरनगर निवासी अनिल अयोध्या के प्रसिद्ध होम्योपैथी डॉक्टर हैं। वे होम्योपैथी मेडिसिन बोर्ड के रजिस्ट्रार हैं। मिश्रा ने 1992 में राम मंदिर आंदोलन में पूर्व सांसद विनय कटियार के साथ महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। अभी संघ के अवध प्रांत के प्रांत कार्यवाह भी हैं।

8- अनुसूचित जाति के सदस्य के रूप में पटना से के. चौपाल संघ ने कामेश्वर को पहले कारसेवक का दर्जा दिया है। उन्होंने 1989 में राम मंदिर में शिलान्यास की पहली ईंट रखी थी। राम मंदिर आंदोलन में सक्रिय भूमिका और दलित होने के नाते उन्हें यह मौका दिया गया। 1991 में रामविलास पासवान के खिलाफ लोकसभा चुनाव लड़ा।

9- निर्मोही अखाड़ा से महंत दिनेंद्र दास अयोध्या के निर्मोही अखाड़े के अयोध्या बैठक के प्रमुख। ट्रस्ट की बैठकों में उन्हें वोटिंग का अधिकार नहीं होगा।

ट्रस्ट का पंजीकृत कार्यालय दिल्ली में होगा

प्रधानमंत्री ने सदस्यों से कहा कि वह ‘‘देश के लिए एक अत्यंत महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक विषय’’ पर सूचना साझा करना चाहते हैं। इस तरह के अवसर बेहद दुर्लभ होते हैं जब प्रधानमंत्री की ओर से सदन में इस तरह की कोई घोषणा की जाती है। मोदी ने कहा, ‘‘देश के करोड़ों लोगों की तरह यह विषय मेरे हृदय के करीब है और इस बारे में बात करना मैं अपने लिए एक बड़ा सौभाग्य मानता हूं।’’

चूंकि संसद का सत्र चल रहा है, सरकार ने मंत्रिमंडल द्वारा किए गए महत्वपूर्ण निर्णय पर सदन को सूचित करने का फैसला किया। केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि यह कहना गलत होगा कि मंत्रिमंडल के निर्णय का शनिवार को होने जा रहे दिल्ली विधानसभा चुनाव से कोई संबंध है। मोदी ने कहा कि मंत्रिमंडल का निर्णय राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले में गत नौ नवंबर को उच्चतम न्यायालय द्वारा दिए गए फैसले के अनुरूप है। शीर्ष अदालत ने लंबे समय से लंबित इस धार्मिक मुद्दे का समाधान करते हुए अयोध्या में संबंधित स्थल पर राम मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त कर दिया था और केंद्र को इसके वास्ते ट्रस्ट निर्माण के लिए तीन महीने का समय दिया था।

उच्चतम न्यायालय की तीन महीने की समयसीमा चार दिन बाद खत्म होने वाली थी। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘उच्चतम न्यायालय के निर्देश के आधार पर मेरी सरकार ने अयोध्या में भगवान राम के जन्मस्थल पर विशाल और भव्य राम मंदिर निर्माण के लिए एक वृहद योजना को आज स्वीकृति दे दी है तथा इसका निर्माण कार्य देखने के लिए ‘श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र’ नाम से एक ट्रस्ट गठित किया है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इस ट्रस्ट के पास राम मंदिर निर्माण और इससे जुड़े विषयों पर स्वतंत्र रूप से निर्णय करने के अधिकार होंगे।’’ ट्रस्ट का पंजीकृत कार्यालय दिल्ली में होगा।

प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि उच्चतम न्यायालय के निर्देश पर केंद्र ने उत्तर प्रदेश सरकार से सुन्नी वक्फ बोर्ड को पांच एकड़ जमीन आवंटित करने का आग्रह किया है और उसने इस आग्रह को मान लिया है। शीर्ष अदालत ने अयोध्या मामले का निपटारा करते हुए केंद्र को निर्देश दिया था कि हिन्दुओं के पवित्र शहर में नयी मस्जिद के निर्माण के लिए ‘‘प्रमुख’’ जगह पर पांच एकड़ का एक वैकल्पिक प्लॉट दिया जाए।

मोदी ने कहा कि राम मंदिर के निर्माण और भविष्य में रामलला के दर्शनों के लिए आने वाले श्रद्धालुओं की भावना को ध्यान में रखते हुए सरकार ने अयोध्या कानून के तहत अधिगृहीत लगभग पूरी 67.70 एकड़ भूमि नए ट्रस्ट ‘श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र’ को हस्तांतरित करने का निर्णय किया है।

उन्होंने कहा, ‘‘भारतीय मूल्यों, भावना, आदर्शों और संस्कृति में भगवान राम और अयोध्या से जुड़े ऐतिहासिक और आध्यात्मिक महत्व को हम सभी समझते हैं।’’ मोदी ने सत्ता पक्ष के सदस्यों की ओर से ‘जय श्रीराम’ के नारों के बीच कहा, ‘‘आइए, इस ऐतिहासिक क्षण में हम सभी सदस्य मिलकर अयोध्या में श्रीराम धाम के जीर्णोद्धार के लिए, भव्य राम मंदिर के निर्माण के लिए, एक स्वर में अपना समर्थन दें।’’

 

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