आज मोदी सरकार और प्रदर्शनकारी किसानों के बीच होगी आठवें दौर की वार्ता, किसानों ने कहा- कानून रद्द किए जाने से कम कुछ भी स्वीकार नहीं
By अनुराग आनंद | Published: January 8, 2021 07:10 AM2021-01-08T07:10:39+5:302021-01-08T07:15:44+5:30
किसान नेताओं ने कहा कि हम इन कानूनों रद्द किए जाने और हमारी फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी से कम कुछ भी स्वीकार नहीं करेंगे।
नयी दिल्ली: केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार और नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारी किसान संगठन शुक्रवार को होने वाली आठवें दौर की अपनी वार्ता से एक दिन पहले बृहस्पतिवार को अपने-अपने रुख पर अड़े रहे।
प्रदर्शनकारी किसानों ने तीन नए कृषि कानूनों को वापस लेने की अपनी मांग को लेकर ट्रैक्टर रैलियां निकाली, जबकि केंद्र ने इस बात पर जोर दिया कि वह इन कानूनों वापस लेने के अलावा हर प्रस्ताव पर विचार के लिए तैयार है। दोनों पक्ष गतिरोध दूर करने की कोशिश कर रहे हैं।
अफवाहें हैं कि कुछ राज्यों को केंद्रीय कृषि कानूनों के दायरे से बाहर निकलने की अनुमति दी जा रही है-
इस बीच, ऐसी अफवाहें भी सुनने को मिल रही हैं कि कुछ राज्यों को केंद्रीय कृषि कानूनों के दायरे से बाहर निकलने की अनुमति दी जा रही है, लेकिन किसान संगठनों ने कहा कि उन्हें सरकार से इस प्रकार का कोई प्रस्ताव नहीं मिला है। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने इस प्रकार का कोई प्रस्ताव दिए जाने की बात से इनकार किया है।
तोमर, खाद्य मंत्री पीयूष गोयल और वाणिज्य राज्य मंत्री सोम प्रकाश 40 प्रदर्शनकारी किसान संगठन नेताओं के साथ सरकार की ओर से वार्ता का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। आठवें दौर की वार्ता शुक्रवार अपराह्न दो बजे विज्ञान भवन में होगी। इससे पहले चार जनवरी को हुई बैठक के बेनतीजा रहने के बाद यह बैठक अहम है।
छठे दौर की वार्ता में किसानों की बिजली सब्सिडी और पराली जलाने संबंधी दो मांगों को मान लिया था-
सरकार ने 30 दिसंबर को छठे दौर की वार्ता में किसानों की बिजली सब्सिडी और पराली जलाने संबंधी दो मांगों को मान लिया था। इससे पहले की किसी वार्ता में कोई सफलता नहीं मिली थी। किसान नेता शिव कुमार कक्का ने मीडिया से कहा, ‘‘मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि संयुक्त किसान मोर्चा को तीन कृषि कानूनों से राज्यों को बाहर निकलने की अनुमति देने का कोई प्रस्ताव नहीं मिला है।
हम इन कानूनों रद्द किए जाने और हमारी फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी से कम कुछ भी स्वीकार नहीं करेंगे।’’ किसान नेता ने कहा, ‘‘यदि यह (प्रस्ताव) सही बात है तेा यह सरकार की ‘फूट डालो और राज करो’ की नीति है।’’
भारतीय किसान यूनियन (एकता उग्राहण) प्रमुख जोगिंदर सिंह ने भी सरकार से इस प्रकार का कोई प्रस्ताव मिलने की बात से इनकार किया है। स्वराज अभियान के नेता योगेंद्र यादव ने फेसबुक के जरिए संवाद के दौरान सरकार पर ‘‘अफवाह फैलाने’’ का आरोप लगाया।
(एजेंसी इनपुट)