सरकार ने संसद में कहा- आंदोलन के दौरान मरने वाले किसानों का कोई आंकड़ा नहीं, इसलिए मुआवजे का सवाल पैदा नहीं होता
By विशाल कुमार | Updated: December 1, 2021 11:46 IST2021-12-01T11:11:53+5:302021-12-01T11:46:04+5:30
बीते 19 नवंबर को प्रधानमंत्री द्वारा तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा के बाद सोमवार को शीत सत्र के पहले दिन सरकार ने बिना किसी चर्चा के तीनों कानूनों को वापस लेने का विधेयक संसद के दोनों से भारी हंगामें के बीच पास करा लिया.

सरकार ने संसद में कहा- आंदोलन के दौरान मरने वाले किसानों का कोई आंकड़ा नहीं, इसलिए मुआवजे का सवाल पैदा नहीं होता
केंद्र सरकार के तीन विवादित कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान मरने वाले किसानों को संसद में श्रद्धांजलि देने और उनके लिए मुआवजा घोषित करने की विपक्ष की मांग के बीच सरकार ने संसद में कहा है कि आंदोलन के दौरान मरने वाले किसानों का कोई आंकड़ा नहीं है इसलिए उनके लिए आर्थिक सहायता देने का कोई सवाल पैदा नहीं होता है।
बता दें कि, बीते 19 नवंबर को प्रधानमंत्री द्वारा तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा के बाद सोमवार को शीत सत्र के पहले दिन सरकार ने बिना किसी चर्चा के तीनों कानूनों को वापस लेने का विधेयक संसद के दोनों सदनों से भारी हंगामें के बीच पास करा लिया।
कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने आज संसद को एक लिखित उत्तर में बताया कि सरकार के पास पिछले एक साल में तीन विवादास्पद कानूनों का विरोध कर रहे किसानों की मौतों का कोई रिकॉर्ड नहीं है।
विपक्ष ने पूछा था कि क्या सरकार के किसानों की मौत का आंकड़ा है और क्या वह प्रभावित परिवार कों आर्थिक सहायता मुहैया कराने पर विचार कर रही है.
इस पर तोमर ने लोकसभा में कहा कि कृषि मंत्रालय के पास इस मामले में कोई रिकॉर्ड नहीं है और इसलिए यह सवाल ही नहीं उठता.
विपक्ष और किसान संगठनों का कहना है कि एक साल तक चले आंदोलन के दौरान 700 से अधिक किसानों की मौत हुई है. कांग्रेस ने सरकार मृतक किसानों के लिए संसद में शोक प्रस्ताव लाने का अनुरोध भी किया था.
प्रश्नकाल के दौरान ही कांग्रेस और डीएमके के सांसदों ने लोकसभा से वाकआउट कर दिया.