लखीमपुर खीरीः 'अगर यह पहले ही कर दिया होता तो आज हमारे पिता साथ होते', कृषि कानून रद्द किए जाने को लेकर मारे गए किसान का बेटा

By अनिल शर्मा | Published: November 20, 2021 09:52 AM2021-11-20T09:52:18+5:302021-11-20T10:01:09+5:30

शुक्रवार को जब पीएम मोदी ने तीन कृषि कानूनों को रद्द करने का फैसला लिया तो मारे गए किसान नछत्तर सिंह के बेटे जगदीप सिंह ने कहा कि अगर पीएम ने इन कानूनों को पहले ही रद्द कर दिया होता तो आज हमारे पिता हमारे साथ होते। 

farm lawa repeal lakhimpur violence 4 farmers kill farmer protest ajay mishra ashish mishra | लखीमपुर खीरीः 'अगर यह पहले ही कर दिया होता तो आज हमारे पिता साथ होते', कृषि कानून रद्द किए जाने को लेकर मारे गए किसान का बेटा

तस्वीर सोर्सः अमर उजाला।

Highlightsकिसान परिवारों ने कहा कि सिर्फ कानून रद्द किए जाने से उनकी लड़ाई खत्म नहीं हुई हैमारे गए किसान के परिवारों ने कहा कि जब तक अजय मिश्रा इस्तीफा नहीं देते और उनकी गिरफ्तारी नहीं होती, हमें न्याय नहीं मिलेगा

लखीमपुर खीरीः तीन कृषि कानूनों के रद्द किए जाने के सरकार के फैसले के बाद 3 अक्टूबर को लखीमपुर खीरी के तिकुनिया में मारे गए 4 किसान के परिवारों का कहना है कि उनकी लड़ई अभी खत्म नहीं हुई है। गौरतलब है कि 3 अक्टूबर को तिकुनिया में विरोध कर रहे किसानों के एक समूह पर गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के स्वामित्व वाली एक एसयूवी सहित तीन एसयूवी के काफिले ने उनको रौंद डाला था जिसमें 4 किसानों सहित आठ लोग मारे गए थे।

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, शुक्रवार को जब पीएम मोदी ने तीन कृषि कानूनों को रद्द करने का फैसला लिया तो मारे गए किसान नछत्तर सिंह के बेटे जगदीप सिंह ने कहा कि अगर पीएम ने इन कानूनों को पहले ही रद्द कर दिया होता तो आज हमारे पिता हमारे साथ होते। 

किसान परिवारों ने कहा कि सिर्फ कानून रद्द किए जाने से उनकी लड़ाई खत्म नहीं हुई है। ये लड़ाई तब खत्म होगी जब हमे न्याय मिलेगा। उन्होंने कहा कि न्याय तभी होगा जब मंत्री अजय मिश्रा को इस्तीफा दिए जाने और गिरफ्तार करने के लिए कहा जाएगा।

जगदीप सिंह ने कहा “हमने अपने पिता को खो दिया है। लड़ाई उसके लिए न्याय सुनिश्चित करने के लिए है, और हम यह लड़ाई तब तक जारी रखेंगे जब तक कि मंत्री और उनके बेटे (आशीष मिश्रा, मुख्य आरोपी जिन्हें गिरफ्तार कर लिया गया है) को जेल की सजा नहीं दी जाती है।

32 वर्षीय जगदीप ने आगे कहा, जब मैंने पीएम की घोषणा के बारे में सुना, तो मुझे नहीं पता था कि रोना, हंसना या जश्न मनाना है। यही वह है जिसके लिए मेरे पिता लड़ रहे थे, लेकिन वह यहां हमारे साथ नहीं हैं। उन्होंने आगे कहा, अगर इन कानूनों को पहले निरस्त कर दिया गया होता, तो मेरे पिता आज यहां हमारे साथ होते।

एक किसान सतनाम सिंह ने कहा कि जिस तरह से उन्होंने अपने 19 वर्षीय बेटे लवप्रीत सिंह को खो दिया था, उस घटना की जांच जिस तरह से आगे बढ़ रही थी, उससे वह नाखुश हैं। किसान मनजीत सिंह ने कहा कि कृषि बिल का कानून प्रधानमंत्री जी द्वारा वापस लिया गया है यह किसान के हित में ही सराहनीय कदम है। बताया कि यह पहले ही हो जाना चाहिये था। सरकार ने फैसला लेने में देरी की।

 

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