अरुण जेटली के परिवार ने पेंशन लेने से किया इनकार, उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू को पत्र लिखकर बताई ये वजह
By रामदीप मिश्रा | Published: October 1, 2019 08:15 AM2019-10-01T08:15:19+5:302019-10-01T08:16:20+5:30
बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्तमंत्री अरुण जेटली का लंबी बीमारी के बाद 24 अगस्त 2019 को नई दिल्ली के एम्स अस्पताल में निधन हो गया था।
पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली की पत्नी ने राज्यसभा के सभापति व उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू को पत्र लिखा है। इस पत्र के जरिए उन्होंने पेंशन लेने से मना कर दिया है और कहा है कि यह पेंशन उन राज्यसभा के उन कर्मचारियों को दे दी जाए जिन्हें बेहद जरूरत है और कम सैलरी मिलती है। वहीं, पत्र की एक कॉपी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेजी गई है।
उन्होंने पत्र में लिखा कि एक दिवंगत सांसद की पत्नी पेंशन की हकदार है और इसकी पेशकश के साथ जुड़े महान भावना को कमजोर करने का इरादा नहीं है। अरुण जेटली ने खुद को चैंपियन बनाया। मैं माननीय संसद से अनुरोध करती हूं कि इस पेंशन को संस्था के सबसे जरूरतमंद यानि राज्यसभा के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के कल्याण के लिए इस्तेमाल किया जाए, जिसकी अरुण ने लगभग दो दशकों तक सेवा की। उन्होंने कहा कि मुझे यकीन है कि अरुण ने भी यही चाहा होगा।
गौरतलब है कि बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्तमंत्री अरुण जेटली का लंबी बीमारी के बाद 24 अगस्त 2019 को नई दिल्ली के एम्स अस्पताल में निधन हो गया था। बीजेपी के दिग्गज नेता अरुण जेटली के निधन के साथ ही भाजपा में ‘दिल्ली-4’ दौर समाप्त हो गया था जो कि दूसरी पंक्ति के चार नेताओं का एक हाईप्रोफाइल समूह था जिसने 2004 से 2014 तक पार्टी मामलों में बेहद प्रभावी था। इसमें जेटली के अलावा वेंकैया नायडू, सुषमा स्वराज और अनंत कुमार शामिल थे। ये सभी पार्टी संरक्षक लालकृष्ण आडवाणी के समर्थक थे।
जेटली का पिछले वर्ष 14 मई को एम्स में गुर्दा प्रतिरोपण हुआ था और इसके बाद उनका स्वास्थ्य धीरे-धीरे खराब होने लगा जिससे वह अपने कार्य से अक्सर छुट्टियां लेने लगे थे। उनको उत्तक कैंसर भी था। मोदी के नेतृत्व में इस वर्ष मई में भगवा दल की भारी जीत के बावजूद दूसरे कार्यकाल में वह सरकार में शामिल नहीं हुए थे।
लोकसभा चुनाव 2014 में अमृतसर संसदीय सीट से हारने के बाद जेटली स्वास्थ्य कारणों से 2019 के लोकसभा चुनावों में उम्मीदवार नहीं बने थे। वर्ष 2000 में राज्यसभा में आने के बाद वह लगातार चौथी बार उच्च सदन के सदस्य थे जहां वह विपक्ष के नेता थे और 2014 में बीजेपी के सत्ता में आने के बाद वह सदन के नेता बने थे।