कोरोना काल में निःस्वार्थ भाव से लावारिस शवों की अंत्येष्टी कर रहे फैजुल

By भाषा | Published: May 5, 2021 05:20 PM2021-05-05T17:20:48+5:302021-05-05T17:20:48+5:30

Faizul performing the funeral of the unclaimed dead bodies in the Corona era unselfishly | कोरोना काल में निःस्वार्थ भाव से लावारिस शवों की अंत्येष्टी कर रहे फैजुल

कोरोना काल में निःस्वार्थ भाव से लावारिस शवों की अंत्येष्टी कर रहे फैजुल

प्रयागराज, पांच मई कोरोना महामारी में जहां शवों को घाट तक पहुंचाने में एंबुलेंस चालक मनमानी रकम वसूलने को लेकर चर्चा में हैं, वहीं यहां के समाजसेवी फैजुल कहीं से भी फोन आने पर अपना शव वाहन लेकर पहुंच जाते हैं और बिना किसी शुल्क के गरीब और लावारिस शवों की अंत्येष्टि तक का इंतजाम करते हैं।

शहर के अतरसुइया इलाके के निवासी मोहम्मद रफीक उर्फ फैजुल ने पीटीआई भाषा को बताया, “इस महामारी में मैंने एक दिन में 10-12 शवों को घाट तक पहुंचाया है। शव चाहे लावारिस हो या किसी गरीब का हो, परिजन के पास पैसा हो या ना हो, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। मैं अपने काम में लगा हूं।”

उन्होंने बताया कि वह पिछले 18 साल से समाजसेवा में लगे हैं। चार साल पहले तक वह ट्राली से शवों को ढोते थे, लेकिन नीलामी में 80,000 रुपये में एक वाहन मिलने पर उन्होंने वाहन को शव ढोने लायक बनवाया और अब उसी वाहन से शव ढोते हैं।

फैजुल ने बताया कि वाहन खरीदने के बाद उनके पास पैसा नहीं बचा। लायंस क्लब वालों ने लाल बत्ती दिलवाई, टैक्स और बीमा की रकम जमा की। वहीं दो-तीन लोगों ने वाहन में नए टायर लगवाए।

उन्होंने बताया कि जनता के सहयोग से ही वह समाजसेवा कर पा रहे हैं क्योंकि उनकी आमदनी का कोई जरिया नहीं है। शव ढोते समय सामर्थ्यवान लोग डीजल का पैसा दे देते हैं जिससे उनकी गाड़ी चलती रहती है।

फैजुल के काम का कोई तय समय नहीं है। कहीं से भी फोन आने पर वह अपने ड्राइवर के साथ निकल पड़ते हैं, शव को उसके गंतव्य तक पहुंचाने के लिए। वह बताते हैं कि इस काम को करने में उन्हें घर से विरोध का सामना नहीं करना पड़ा, लेकिन आस पड़ोस के लोग जरूर ताना मारते थे कि देखो, इसे मुर्दा उठाने के अलावा और कोई काम नहीं मिला।

अपने परिवार के बारे में फैजुल ने बताया कि उसकी चार बहने हैं जिनकी शादी हो चुकी है। इसके अलावा, उसके दो भाई हैं जो शादीशुदा हैं, लेकिन वे मां का ख्याल नहीं रखते थे। इसी वजह से फैजुल ने शादी नहीं करने का निर्णय किया। वह अपनी मां के साथ रहते हैं।

अतरसुइया गोलपार्क पुलिस चौकी में तैनात कांस्टेबल हरिवंश यादव ने बताया कि फैजुल रास्ते में पड़े बीमार व्यक्ति को भी अपनी गाड़ी में बिठाकर अस्पताल ले जाते हैं और उसे भर्ती कराते हैं। साथ ही समय समय पर उसका हालचाल लेते हैं।

उन्होंने बताया कि शहर के ज्यादातर पुलिस थानों में फैजुल का नंबर दर्ज है और विषम परिस्थितियों में लोग फैजुल को याद करते हैं।

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Web Title: Faizul performing the funeral of the unclaimed dead bodies in the Corona era unselfishly

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