रामविलास पासवान के यहां मुंबई से खरीदी गई दवा पर नहीं थी एक्सपायरी और कंपनी का हेल्पलाइन नंबर
By एसके गुप्ता | Published: August 21, 2020 09:22 PM2020-08-21T21:22:22+5:302020-08-21T21:22:22+5:30
पासवान ने कहा कि उपभोक्ताओं की सुविधा के लिए इन सूचनाओं का दवा की फॉयल पर मोटे अक्षरों में लिखना अनिवार्य किया गया है।
दवा कंपनियां कोरोना काल में उपभोक्ता के हितों का कितना ध्यान रख रही हैं। यह जानने के लिए केंद्रीय उपभोक्ता मामलों के मंत्री रामविलास पासवान ने जब अपने घर पर आई मल्टी विटामिन दवा का रेपर उठाकर देखा तो वह चौंक गए। उन्होंने लोकमत को बताया कि लुपिन (Lupin) दवा कंपनी की Seder OM नाम की यह दवा मुंबई से खरीदी गई थी। जिसके फॉयल पर न तो दवा की एक्सपायरी लिखी थी और न ही दवा कंपनी का हेल्पलाइन नंबर।
पासवान ने कहा कि उपभोक्ताओं की सुविधा के लिए इन सूचनाओं का दवा की फॉयल पर मोटे अक्षरों में लिखना अनिवार्य किया गया है।केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने कहा कि यह घटना जुलाई 2020 की है। मैं घर पर बैठा था कि दवा का पत्ता उठाकर देखा। जिसके बाद दवा कंपनी का हेल्पलाइन नंबर ढूंढा तो वह भी रेपर पर नहीं लिखा था। जिसके बाद मैने राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन नंबर पर कॉल करके शिकायत दर्ज कराई और मामले में आंध्र प्रदेश सरकार के लीगल मेट्रोलॉजी विभाग ने लीगल मेट्रोलॉजी एक्ट 2009 के तहत गंटूर स्थित दवा कंपनी को कानूनी नोटिस जारी किया है।
पासवान ने कहा कि यह मामला उजागर होने से ऐसी दवा कंपनियां जो उपभोक्ता सुरक्षा के तय दिशा-निर्देशों को गंभीरता से नहीं ले रही हैं। उन सभी तक यह एक संदेश जाएगा कि इसके गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। केंद्रीय मंत्री ने तुरंत कार्रवाई करते हुए व्यक्तिगत उदाहरण के जरिए दवा कंपनियों और उनके डिस्ट्रीब्यूटर और विक्रेताओं तक यह संदेश पहुंचाया है कि ऐसा करना दवा कंपनियों को महंगा पड़ेगा।
मंत्री की ओर से शिकायत करते ही सरकारी मशीनरी सक्रिय हो उठी और आंध्र प्रदेश के गुंटूर स्थित दवा के डिस्ट्रीब्यूटर की पहचान कर आंध्र सरकार द्वारा उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है।