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एक्सक्लूसिव: हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीशों और मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक करेंगे PM मोदी, बड़े फैसले की उम्मीद

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: August 14, 2019 15:57 IST

ऐसा पहली बार हुआ है जब केंद्र सरकार की ओर से बुलाई गई बैठक में सभी मुख्यमंत्री और राज्यों के मुख्य न्यायाधीश हिस्सा ले रहे हो.

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ठळक मुद्देसरकार चाहती है कि न्यायिक क्षेत्र में जिला व सत्र के स्तर पर न्यायाधीशों की संख्या को बढ़ाया जाए.मुख्यमंत्रियों और मुख्य न्यायाधीशों की उपस्थिति में न्यायिक सेवाओं में नियुक्तियों पर त्वरित कोई बड़ा फैसला हो सकता है

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सितंबर के पहले सप्ताह में दिल्ली में देश के मुख्यमंत्रियों और हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीशों के साथ बैठक करेंगे.

बैठक के लिए सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों और हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीशों को सरकार की ओर से आमंत्रित किया गया है.

ऐसा पहली बार हुआ है जब केंद्र सरकार की ओर से बुलाई गई बैठक में सभी मुख्यमंत्री और राज्यों के मुख्य न्यायाधीश हिस्सा ले रहे हो. सरकार के एक अधिकारी ने बताया कि इस बैठक का मुख्य मकसद निचले स्तर पर न्यायिक सेवाओं को आम जनता के लिए सुलभ करने की दिशा में तेजी से बढ़ना है.

सरकार चाहती है कि न्यायिक क्षेत्र में जिला व सत्र के स्तर पर न्यायाधीशों की संख्या को बढ़ाया जाए. वहां पर तकनीक के उपयोग को भी तेजी से अंजाम देने का लक्ष्य सरकार ने तय किया है.

मुख्यमंत्रियों और मुख्य न्यायाधीशों की उपस्थिति में न्यायिक सेवाओं में नियुक्तियों पर त्वरित कोई बड़ा फैसला हो सकता है क्योंकि न्यायिक सेवा में निचले स्तर पर न्यायाधीशों और कर्मचारियों की भर्ती का दायित्व राज्य सरकार के पास है.

अधिकारी ने कहा कि सरकार के पास इतने संसाधन नहीं है कि वह सभी नियुक्तियां एकसाथ कर पाए. ऐसे में यह मंच एक बड़ा जरिया बन सकता है.

कुछ अधिकारियों का मानना है कि इस मंच का उपयोग न्यायाधीशों के भर्ती नियमन, आईएएस और आईपीएस की तर्ज पर न्यायिक सेवा के लिए देशव्यापी राष्ट्रीय सेवा बनाने जैसे बड़े मकसद के लिए भी हो सकता है.

निचले स्तर पर जजों की भर्ती पर जोर केंद्र सरकार लंबे समय से राज्यों को कहती रही है कि वह निचले स्तर पर न्यायिक सेवा के लिए एक राष्ट्रीय सेवा बनाए. उसके आधार पर जिला, सत्र न्यायालयों में न्यायाधीशों की भर्ती की जाए.

कई राज्यों ने इसको लेकर अलग मत भी जाहिर किया था. लेकिन, केंद्र का मत है कि इससे निचले स्तर पर न्यायिक सेवा में न्यायाधीशों की कमी को पूरा किया जा सकता है.

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