Study: भारत में एक-तिहाई महिलाएं पति के हाथों हिंसा की शिकार
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: November 12, 2018 08:04 AM2018-11-12T08:04:33+5:302018-11-12T08:04:33+5:30
Equal Measures 2030 - Vadodara based NGO SAHAJ Study: वडोदरा के गैर सरकारी संगठन 'सहज' ने 'इक्वल मीजर्स 2030' के साथ मिलकर यह अध्ययन किया है.
नई दिल्ली, 12 नवंबर:भारत में करीब एक-तिहाई शादीशुदा महिलाएं पतियों के हाथों हिंसा की शिकार हैं और कई महिलाओं को पति के हाथों पिटाई से कोई गुरेज भी नहीं है. एक अध्ययन ने अपने विश्लेषण में यह बात कहते हुए लैंगिक आधार पर हिंसा को देश की सबसे बड़ी चिंता में से एक बताया है. वडोदरा के गैर सरकारी संगठन 'सहज' ने 'इक्वल मीजर्स 2030' के साथ मिलकर यह अध्ययन किया है.
'इक्वल मीजर्स 2030' नौ सिविल सोसायटी और निजी क्षेत्र के संगठनों की ब्रिटेन के साथ वैश्विक साझेदारी है. राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएचएफएस) 4 के आंकड़ों का हवाला देते हुए सहज ने एक रिपोर्ट में कहा कि 15 से 49 साल के आयु वर्ग की महिलाओं में से करीब 27 प्रतिशत ने 15 साल की उम्र से ही हिंसा बर्दाश्त की है. इसमें कहा गया है, ''एक ओर तो भारत में आर्थिक विकास की दर अच्छी है वहीं दूसरी ओर वह जाति, वर्ग और लिंग के आधार पर भेदभाव का सामना कर रहे लोगों के लिए समान विकास हासिल करने में बहुत पीछे है.'' सहज ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, ''भारत में विवाहित महिलाओं में से करीब एक तिहाई महिलाएं पति के हाथों हिंसा की शिकार हैं और कई महिलाएं पति के हाथों पिटाई को स्वीकार कर चुकी हैं.'' पितृसत्तात्मक रवैया सामाजिक दर्जे को कमतर कर रहा: रिपोर्ट में कहा गया है ''बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ जैसी अभिनव पहल के बावजूद पितृसत्तात्मक रवैया महिलाओं के सामाजिक दर्जे को लगातार कमतर कर रहा है. इसका नतीजा लड़कियों के कमजोर स्वास्थ्य, उनकी मृत्यु के मामलों से लेकर जन्म के समय यौन अनुपात बिगड़ने के रूप में सामने आता है.''