पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी का बयान, पहचान आधारित भेदभाव का सामना करते हैं मुसलमान
By ऐश्वर्य अवस्थी | Published: March 28, 2018 10:12 AM2018-03-28T10:12:42+5:302018-03-28T12:17:56+5:30
फराह नकवी की लिखी किताब‘ वर्किंग विद मुस्लिम्स बियॉन्ड बुर्का एंड ट्रिपल तलाक’ के विमोचन में पूर्व राष्ट्रपति ने कहा है कि मुसलमान पहचान आधारित भेदभाव और छिटपुट हिंसा का सामना करते हैं।
नई दिल्ली (28 मार्च): पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने मुसलमानों को लेकर अपनी राय रखी है। हाल ही फराह नकवी की लिखी किताब‘ वर्किंग विद मुस्लिम्स बियॉन्ड बुर्का एंड ट्रिपल तलाक’ के विमोचन में पूर्व राष्ट्रपति ने कहा है कि मुसलमान पहचान आधारित भेदभाव और छिटपुट हिंसा का सामना करते हैं।
इतना ही नहीं उन्होंने सकारात्मक कार्रवाई की बात कही है। उन्होंने कहा कि उनकी समस्याओं का राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक तौर पर देखना चाहिए व उन्हें विकास के मौके प्रदान करने चाहिए। अंसारी ने कहा कि भारत में मुसलमानों की आबादी 14.2 प्रतिशत है।
उन्होंने ने यहां कहा कि वे अभाव और पिछड़ेपन की वजह से कई अन्य की तरह व्यथित हैं, इसका कारण मुसलमान होना है। इसके अलावा मुसलमान खासतौर पर पहचान आधारित भेदभाव का सामना करते हैं, इतना ही नहीं हिंसा में वह इसका सामना करते हैं। यहां उन्होंने अंसारी ने 2006 की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि विकास संबंधी अभाव को आज भी मुसलमान झेल रहे हैं।
उन्होंने सकारात्मक कार्रवाई के माध्यम से उनके सशक्तिकरण की बात कही है। उन्होने कहा भारत के हर एक नागरिक को बराबरी का हक मिलना चाहिए। तभी वह एक सही मुकाम पर पहुंच पाएंगे। सरकार को लेकर उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार जब ऐसा करेगी तभी ‘ सबका साथ सबका विकास’ का नारा सार्थक हो पाएगा।
उन्होंने कहा कि एक बड़ा तबका मुसलमानों का आज भी गरीब और शक्तिहीन है, उन तक वो सुविधाएं नहीं पहुंच रहीं जिनपर उनका हक है। ऐसा पहली बार नहीं है जब उन्होंने मुसलमानों को लेकर ये बात की है इससे पहले वह चुके है कि भारतीय मुसलमानों में असुरक्षा और खतरे का माहौल है।