रोजगार, कृषि संकट मुख्य चुनावी मुद्दे, हालांकि राष्ट्रीय सुरक्षा भी महत्वपूर्ण : चिदंबरम

By भाषा | Published: April 22, 2019 02:47 AM2019-04-22T02:47:59+5:302019-04-22T02:47:59+5:30

चिदंबरम ने पत्रकारों से कहा, ‘‘ जहां तक चुनावी विमर्श का सवाल है, नंबर एक मुद्दा बेरोजगारी बना हुआ है। नंबर दो मुद्दा कृषि संकट है और नंबर तीन का मुद्दा लोगों, महिलाओं, दलितों, अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों, वनवासियों, पत्रकारों, शिक्षाविदों, गैर सरकारी संगठनों के विभिन्न वर्गों की सुरक्षा है।’’

Employment, Agriculture crisis main electoral issues, although national security is also important: Chidambaram | रोजगार, कृषि संकट मुख्य चुनावी मुद्दे, हालांकि राष्ट्रीय सुरक्षा भी महत्वपूर्ण : चिदंबरम

कांग्रेस ने राष्ट्रीय सुरक्षा पर लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) डी एस हुड्डा की अध्यक्षता वाले एक टास्क-फोर्स की रिपोर्ट को जारी किया।

Highlightsचिदंबरम ने कहा, ‘‘हमने लेफ्टिनेंट जनरल डी एस हुड्डा की योजना की कई बातों को (घोषणा पत्र) में लिया है। पार्टी समस्या के बारे में अपने दृष्टिकोण के वास्ते दो-पृष्ठों का सारांश भी लाई है।

कांग्रेस ने रविवार को कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा एक महत्वपूर्ण मुद्दा है लेकिन मौजूदा लोकसभा चुनावों में विमर्श पर हावी होने वाले मुद्दे बेरोजगारी और कृषि संकट हैं। कांग्रेस ने राष्ट्रीय सुरक्षा पर लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) डी एस हुड्डा की अध्यक्षता वाले एक टास्क-फोर्स की रिपोर्ट को जारी किया।

पार्टी ने कहा कि यह महत्वपूर्ण मुद्दा है लेकिन यह कहना ‘‘पूरी तरह से गलत’’ होगा कि यह चुनावी विमर्श पर हावी है। कांग्रेस ने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं पी चिदंबरम और जयराम रमेश की मौजूदगी में इस रिपोर्ट को जारी किया। पार्टी ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति उसका रूख ‘‘अस्थायी और उत्साहहीन नहीं है।’’

चिदंबरम ने पत्रकारों से कहा, ‘‘ जहां तक चुनावी विमर्श का सवाल है, नंबर एक मुद्दा बेरोजगारी बना हुआ है। नंबर दो मुद्दा कृषि संकट है और नंबर तीन का मुद्दा लोगों, महिलाओं, दलितों, अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों, वनवासियों, पत्रकारों, शिक्षाविदों, गैर सरकारी संगठनों के विभिन्न वर्गों की सुरक्षा है।’’ यह पूछे जाने पर कि क्या लोकसभा चुनावों के दौरान सार्वजनिक की गई इस रिपोर्ट का मतलब राष्ट्रीय सुरक्षा पर विमर्श को बदलना है तो उन्होंने कहा, ‘‘राष्ट्रीय सुरक्षा इस विमर्श का एक महत्वपूर्ण पहलू है लेकिन यह कहना कि यह इस पर हावी हो रहा है, पूरी तरह से गलत है।’’

उन्होंने कहा कि कांग्रेस और उसके अध्यक्ष राहुल गांधी चुनाव प्रचार के दौरान हर दिन नौकरियों, कृषि और लोगों के विभिन्न वर्गों की सुरक्षा के बारे में बात कर रहे है। चिदंबरम ने कहा कि यह रिपोर्ट राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर कैसा रूख अपनाया जाये, इसकी एक व्यापक रूपरेखा है। इससे पहले हुड्डा ने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था ‘‘बहुत बढ़िया’’ चल रही है और इसी तरह भारत कूटनीतिक रूप से काम कर रहा है तथा इस तरह उसे ‘‘वैश्विक मामलों में अपनी सही जगह माननी चाहिए।’’

उन्होंने बाद में स्पष्ट करते हुए कहा, ‘‘हर चीज को राजनीतिक रंग देने की आवश्यकता नहीं है। तथ्य यह है कि भारत एक बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था है। अब हम दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक हैं जो एक तथ्य है और इस कारण से हमें वैश्विक मामलों में अपनी स्थिति का लाभ उठाना चाहिए।’’

चिदंबरम से जब पूछा गया कि क्या वह अर्थव्यवस्था के अच्छा करने के बारे में हुड्डा की टिप्पणी से सहमत है तो उन्होंने कहा, ‘‘जब देश केवल पांच प्रतिशत की दर से बढ़ता है, तब भी अर्थव्यवस्था बढ़ती है। इसलिए, जनरल हुड्डा ने कहा कि हम एक बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था हैं। हमने इसे (अर्थव्यवस्था) संप्रग के तहत तेजी से बढ़ाया और हम आज सीमित गति से बढ़ रहे हैं।

वास्तविक वृद्धि लगभग पांच प्रतिशत है, लेकिन हम अभी भी बढ़ रहे हैं और यहीं वह बिंदु है जो उन्होंने रखा। रमेश ने कहा कि हुड्डा का मतलब है कि भारत की अर्थव्यवस्था ने पिछले 15-20 वर्षों या पिछले 50 वर्षों में अच्छा किया है न कि ‘‘केवल पिछले पांच वर्षों में।’’ प्रधानमंत्री के उस बयान पर कि भाजपा के लिए ‘‘देशभक्ति’’ है, कांग्रेस के लिए ‘‘वोट भक्ति’’ है, रमेश ने कहा, ‘‘नौकरियां छीन लेना या नोटबंदी या किसानों को परेशान करना देशभक्ति नहीं है। देशभक्ति छाती पीटने से नहीं, बल्कि युवाओं को रोजगार देने से आयेगी। हमारी देशभक्ति और भाजपा की देशभक्ति के बीच बहुत अंतर है।’’

चिदंबरम ने कहा, ‘‘हमने लेफ्टिनेंट जनरल डी एस हुड्डा की योजना की कई बातों को (घोषणा पत्र) में लिया है। ये विचार तब लागू होंगे जब हम अपनी सरकार बनाएंगे। हमारा रूख अस्थायी और उत्साहहीन नहीं है। इसे सावधानीपूर्वक अध्ययन और विचार-विमर्श के बाद बनाया गया है और आवश्यक कदम उठाये जायेंगे। हमारी रुचि भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा की रक्षा करना है।’’ चिदंबरम ने कहा कि हुड्डा की रिपोर्ट को सार्वजनिक किया गया है।

पार्टी समस्या के बारे में अपने दृष्टिकोण के वास्ते दो-पृष्ठों का सारांश भी लाई है। पूर्व गृह मंत्री ने कहा, ‘‘हमने इस विषय पर चिंतन करते हुए कई, कई घंटे बिताए हैं। हमने कई योजनाएं बनाई हैं और ये तब लागू की जाएंगी जब हम सरकार में होंगे।’’ रिपोर्ट को पेश करते हुए हुड्डा ने कहा कि रिपोर्ट में राष्ट्रीय सुरक्षा के पांच स्तंभ हैं। उन्होंने कहा कि इन स्तंभों में भारत को वैश्विक मामलों में अपना ‘‘सही स्थान’’ सुनिश्चित करने, भारत के पड़ोस को सुरक्षित करने, जम्मू और कश्मीर जैसे आंतरिक मुद्दों के शांतिपूर्ण समाधान और ‘‘जन सुरक्षा’’ को सुनिश्चित करना शामिल है।

हुड्डा ने कहा, ‘‘राष्ट्रीय सुरक्षा का पांचवां और अंतिम स्तंभ अपनी क्षमताओं को मजबूत करना है।’’ लेफ्टिनेंट जनरल हुड्डा, जिन्हें सितंबर 2016 में पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में आतंकवादी शिविरों पर भारत की सर्जिकल स्ट्राइक का नेतृत्व करने का श्रेय दिया जाता है, ने कहा, ‘‘भविष्य में युद्ध लड़ने की प्रकृति को ध्यान में रखते हुए, क्षमताओं का निर्माण करने और तीनों सेवाओं के लिए पर्याप्त बजटीय सहायता सुनिश्चित करने की आवश्यकता है।’’

श्रीलंका में हुए सिलसिलेवार हमलों और भारत पर उसके प्रभावों के बारे में पूछे जाने पर चिदंबरम ने कहा, “यदि पड़ोस में संघर्ष की स्थिति होती है, तो भारत को भी संघर्षों का सामना करना पड़ेगा। यदि आतंकवादी हमला हुआ है, तो हम इसकी निंदा करते हैं और हम अपने पड़ोसियों की राष्ट्रीय सुरक्षा की रक्षा करने और हमारे पड़ोसियों को अपने देशों में शांति बनाए रखने में मदद करने के लिए अपनी क्षमता और अधिकार क्षेत्र में सब कुछ करेंगे।’’

Web Title: Employment, Agriculture crisis main electoral issues, although national security is also important: Chidambaram

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