एल्गार परिषद मामला: तीन साल बाद जेल से रिहा होंगी कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज, एनआईए अदालत ने तय की जमानत की शर्तें
By विशाल कुमार | Published: December 8, 2021 12:39 PM2021-12-08T12:39:21+5:302021-12-08T12:42:49+5:30
वकील और अधिकार कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज के वकील ने एनआईए अदालत ने उनकी आज ही रिहाई करने की मांग की जिसके बाद जज ने कहा कि आवश्यक कागजी कार्रवाई पूरी होने के बाद आदेश जारी किया जाएगा।
मुंबई: एल्गार परिषद मामले में तीन साल से अधिक समय से मुंबई के बाइकुला जेल में बंद वकील और अधिकार कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज को विशेष एनआईए अदालत ने 50 हजार रुपये के नकद बॉन्ड पर रिहा करने का आदेश दिया।
भारद्वाज के वकील ने एनआईए अदालत ने उनकी आज ही रिहाई करने की मांग की जिसके बाद जज ने कहा कि आवश्यक कागजी कार्रवाई पूरी होने के बाद आदेश जारी किया जाएगा।
बता दें कि, 1 दिसंबर को बॉम्बे हाईकोर्ट ने भारद्वाज को डिफॉल्ट जमानत दी थी क्योंकि गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत उनकी हिरासत एक सत्र अदालत द्वारा बढ़ा दी गई थी जिसके पास ऐसा करने की कोई शक्ति नहीं थी।
हाईकोर्ट ने निर्देश दिया था कि भारद्वाज को जमानत की शर्तों और उसकी रिहाई की तारीख तय करने के लिए 8 दिसंबर को विशेष एनआईए अदालत के समक्ष पेश किया जाए।
इसके बाद एनआईए ने बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी लेकिन मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने एजेंसी की याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि उसे जमानत देने के बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई कारण नहीं मिला।
जमानत की शर्तों के तहत, 60 वर्षीय कार्यकर्ता को अपना पासपोर्ट जमा करने और अदालत की मंजूरी के बिना मुंबई नहीं छोड़ने के लिए कहा गया है।
अदालत ने उन्हें एनआईए और अदालत को अपने आवास, अपना कॉन्टैक्ट नंबर और रिश्तेदारों का कॉन्टैक्ट नंबर भी मुहैया कराने के लिए कहा है। उन्हें अदालती कार्यवाही को लेकर मीडिया में कोई बयान नहीं देने का भी आदेश दिया गया है।
एल्गार परिषद मामले में गिरफ्तार किए गए 16 कार्यकर्ताओं में भारद्वाज पहली ऐसी हैं जिन्हें डिफॉल्ट जमानत दी गई है। कवि-कार्यकर्ता वरवरा राव फिलहाल मेडिकल जमानत पर बाहर हैं। फादर स्टेन स्वामी की इस साल 5 जुलाई को मेडिकल जमानत का इंतजार करते हुए एक निजी अस्पताल में मौत हो गई थी।
वहीं, बॉम्बे हाईकोर्ट ने आठ अन्य आरोपियों वरवरा राव, सुधीर धावले, वर्नोन गोंजाल्विस, रोना विल्सन, सुरेंद्र गाडलिंग, शोमा सेन, महेश राउत और अरुण फरेरा द्वारा दायर डिफॉल्ट जमानत याचिकाओं को खारिज कर दिया था।