पटना: आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है। यह कहावत बिहार में ज्यादा लागू होती है। इसी कड़ी में शिक्षा विभाग ने बच्चों को पढ़ाने का नायाब तरीका ढूंढ निकाला है। इसमें निर्णय यह लिया गया है कि शिक्षक जाति की गिनती करेंगे और स्कूल में पढ़ने वाले छात्र ही अन्य कक्षा के बच्चों को पढ़ाने का काम करेंगे। ऐसे में यह सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि शिक्षा की गुणवत्ता कैसी होगी?
ऐसा आदेश पटना के जिला शिक्षा पदाधिकारी अमित कुमार के द्वारा जारी किया गया है। इस आदेश के अनुसार शिक्षकों के जनगणना में चले जाने के कारण कक्षा संचालन में दिक्कत होने पर सीनियर बच्चे अपने से जूनियर बच्चों की क्लास लेंगे। दरअसल, जाति अधारित गणना जे कार्य में शिक्षकों की भी ड्यूटी लगाई गई है। ऐसे में बच्चों की पढ़ाई बाधित ना हो इसके लिए जिला शिक्षा पदाधिकारी ने यह नायाब तरीका ढूंढ निकाला है।
जिला शिक्षा पदाधिकारी के कार्यालय से जारी आदेश के अनुसार जाति आधारित गणना के द्वितीय चरण में जिन शिक्षकों की ड्यूटी लगी है, वे अपनी सुविधानुसार पूर्वाह्न 6:30 बजे से पूर्वाह्न 11:30 बजे की अवधि में कभी भी विद्यालय में अपनी उपस्थिति दर्ज कर सकेंगे। इसके अलावा शिक्षकों की कमी रहने पर उच्च वर्ग के विद्यार्थी से निम्न वर्ग का संचालन कराया जा सकता है।
गतिविधि आधारित शिक्षा और पाठ्य पुस्तक के सहयोग से क्लास मॉनिटर के माध्यम से भी वर्ग संचालन के विकल्प पर विचार किया जा सकता है। उल्लेखनीय है कि बिहार में दूसरे चरण की गिनती 15 अप्रैल से 15 मई के बीच होनी है। जाति गणना के महत्व और बारीकियों को देखते हुए तीन स्तरों पर जनगणना से जुड़े अधिकारियों और कर्मियों को ट्रेनिंग दी गई है।
दूसरे चरण का काम मोबाइल एप, गणना प्रपत्रों और पोर्टल के माध्यम से होना है। पटना जिले में जाति आधारित गणना के लिए 10 प्रतिशत रिजर्व कर्मियों के साथ प्रगणक की संख्या 14,114 और पर्यवेक्षकों की संख्या 2353 है, जिसमें शिक्षक भी मौजूद हैं। साथ ही जिले में 45 इंचार्ज बनाए गए हैं। अब पढ़ने और पढ़ाने की जिम्मेवारी छात्रों के कंधे पर डाल दी गई है।