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मोइन कुरैशी पर ED का शिकंजा, दिल्ली में फार्महाउस, बीकानेर में एक किला किया जब्त

By भाषा | Updated: September 18, 2019 11:32 IST

ईडी ने कहा कि ये संपत्तियां मुखौटा कंपनियों की आड़ में रखी गई थीं, जिनका नियंत्रण मोइन कुरैशी द्वारा किया जाता था।

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ठळक मुद्देकुरैशी की गिरफ्तारी के बाद ईडी आरोपपत्र भी दाखिल कर चुकी है। ईडी ने कहा कि कुरैशी सीबीआई के वरिष्ठ अधिकारियों के संपर्क में था।

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मंगलवार को कहा कि उसने विवादों में रहे मांस निर्यातक मोइन कुरैशी एवं अन्य के खिलाफ धन शोधन के एक मामले की जांच के तहत दिल्ली में एक फार्महाउस और राजस्थान के बीकानेर में एक पुराना किला कुर्क किया है।

ईडी ने एक बयान में कहा कि ये संपत्तियां मुखौटा कंपनियों की आड़ में रखी गई थीं, जिनका नियंत्रण कुरैशी द्वारा किया जाता था।

बयान में कहा गया है कि धन शोधन रोकथाम कानून (पीएमएलए) के तहत कुर्की का एक अस्थायी आदेश जारी किया गया था और संपत्तियों का कुल मूल्य 9.35 करोड़ रुपये है।

ईडी ने कहा, ‘‘अचल संपत्तियां दिल्ली, राजस्थान, देहरादून और गोवा में है। कुर्क संपत्तियों में दिल्ली के छतरपुर इलाके में स्थित एक फार्महाउस और राजस्थान के बीकानेर जिले में एक पुराना किला शामिल है।’’

जांच एजेंसी ने जिन मुखौटा कंपनियों या काल्पनिक कंपनियों की पहचान की है-उनमें इवरशाइन हॉस्पिटैलिटी प्राइवेट लिमिटेड, स्काईराइज इंफ्राटेक प्राइवेट लिमिटेड, एम्पायर सेल्स प्राइवेट लिमिटेड, इम्प्रेस एस्टे्टस प्राइवेट लिमिटेड और मिलेनियम प्रोपकॉन प्राइवेट लिमिटेड शामिल हैं।

सीबीआई की प्राथमिकी के आधार पर ईडी ने कुछ साल पहले मोइन अख्तर कुरैशी, उसकी कंपनी एएमक्यू ग्रुप, कर्मचारी आदित्य शर्मा, टाइमेक्स ग्रुप ऑफ कंपनीज के प्रदीप कोनेरू, पूर्व सीबीआई निदेशक एपी सिंह और अन्य अज्ञात लोगों तथा नौकरशाहों के खिलाफ पीएमएलए का एक मामला दर्ज किया था।

एपी सिंह सहित सीबीआई के कुछ पूर्व निदेशकों के साथ अपने कथित संदिग्ध संपर्कों को लेकर तथा हाई प्रोफाइल लोगों के खिलाफ सीबीआई जांचकर्ताओं को धन एवं अन्य चीजों के एवज में प्रभावित करने को लेकर कुरैशी ईडी और सीबीआई जांच के दायरे में है।

कुरैशी की गिरफ्तारी के बाद ईडी आरोपपत्र भी दाखिल कर चुकी है।

ईडी ने कहा कि कुरैशी सीबीआई के वरिष्ठ अधिकारियों के संपर्क में था और वह सीबीआई की जांच वाले मामलों को प्रभावित करने के लिए खुद ही या सतीश बाबू सना जैसे अपने एजेंटों के जरिये लोगों से रुपये वूसला करता था। इससे प्राप्त धन की विभिन्न माध्यमों से मनी लॉन्ड्रिंग (धन शोधन) की जाती जाती थी। 

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