Bibek Debroy Dies: अर्थशास्त्री और लेखक बिबेक देबरॉय का निधन, पीएम मोदी ने अपने आर्थिक सलाहकार को दी श्रद्धांजलि
By अंजली चौहान | Published: November 1, 2024 11:54 AM2024-11-01T11:54:03+5:302024-11-01T11:56:44+5:30
Bibek Debroy Dies: पीएम मोदी की आर्थिक सलाहकार परिषद के प्रमुख बिबेक देबरॉय का 69 साल की उम्र में निधन हो गया।
Bibek Debroy Dies: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अपने आर्थिक सलाहकार परिषद के प्रमुख और अर्थशास्त्री और लेखक बिबेक देबरॉय का 69 वर्ष की आयु में निधन हो गया है। अपने निधन के समय देबरॉय प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष के रूप में कार्यरत थे। प्रधानमंत्री ने उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है।
और एक्स पर कहा, "डॉक्टर बिबेक देबरॉय जी एक महान विद्वान थे, जो अर्थशास्त्र, इतिहास, संस्कृति, राजनीति, आध्यात्मिकता और अन्य विविध क्षेत्रों में पारंगत थे। अपने कार्यों से उन्होंने भारत के बौद्धिक परिदृश्य पर एक अमिट छाप छोड़ी। सार्वजनिक नीति में अपने योगदान के अलावा, उन्हें हमारे प्राचीन ग्रंथों पर काम करने और उन्हें युवाओं के लिए सुलभ बनाने में आनंद आया।"
गौरतलब है कि एक अर्थशास्त्री होने के अलावा, देबरॉय एक प्रसिद्ध लेखक भी थे, जिन्होंने कई किताबें और अनुवाद लिखे, खासकर भारतीय इतिहास और पौराणिक कथाओं पर। देबरॉय पद्म श्री पुरस्कार विजेता थे, जो पहले पुणे में गोखले इंस्टीट्यूट ऑफ पॉलिटिक्स एंड इकोनॉमिक्स के चांसलर के रूप में कार्यरत थे। वह 5 जून, 2019 तक नीति आयोग के सदस्य भी थे। वह विभिन्न पुस्तकों और लेखों के लेखक और संपादक थे और कई समाचार पत्रों के परामर्शदाता/योगदान संपादक भी थे।
Dr. Bibek Debroy Ji was a towering scholar, well-versed in diverse domains like economics, history, culture, politics, spirituality and more. Through his works, he left an indelible mark on India’s intellectual landscape. Beyond his contributions to public policy, he enjoyed… pic.twitter.com/E3DETgajLr
— Narendra Modi (@narendramodi) November 1, 2024
देबरॉय ने रामकृष्ण मिशन स्कूल, नरेंद्रपुर, प्रेसीडेंसी कॉलेज, कोलकाता, दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स और ट्रिनिटी कॉलेज, कैम्ब्रिज सहित देश और दुनिया के कुछ प्रतिष्ठित संस्थानों में अध्ययन किया।
उन्होंने 1979 से 1984 तक की संक्षिप्त अवधि के लिए कोलकाता के प्रेसीडेंसी कॉलेज में भी काम किया। इसके बाद उन्होंने 1987 तक पुणे में गोखले इंस्टीट्यूट ऑफ पॉलिटिक्स एंड इकोनॉमिक्स में काम किया, इसके बाद 1993 तक दिल्ली में इंस्टीट्यूट ऑफ फॉरेन ट्रेड में काम किया।