देशभऱ में आज दुर्गाअष्टमी का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। मंदिरों में माता के आठवें स्वरूप महागौरी के दर्शनों की लंबी लाइन लगी है। अलग अलग जगहों पर विभिन्न रूपों में मां की भक्त पूजा कर रहे हैं।
पश्चिम बंगाल के गांगुली बगन में भक्तों ने मां गौरी की पूजा की है। बड़ी संख्या में यहां भक्त मां की पूजा-अर्चना के लिए पहुंचे थे।
गोहाटी में भी इस खास दिन की धूम देखने को मिल रही है। यहां भक्तों ने कामख्या मंदिर में माता के दर्शन किए और उनसे प्रार्थना की है।
8 साल की उम्र में हो गया था पिछले जन्म का आभास
पौराणिक कथा और शिवपुराण के अनुसार, महागौरी को 8 साल की उम्र में ही अपने पूर्व जन्म की घटनाओं को आभास हो गया था। महागौरी को ये पता चल गया था कि भगवान से उनका रिश्ता क्या है और इसलिए उन्होंने 8 साल की उम्र से ही भगवान शिव को पाने के लिए तपस्या शुरू कर दी थी। यही कारण है कि महाअष्टमी के दिन मां महागौरी की विशेष पूजा और दुर्गासपत्शती के मध्यम चरित्र का पाठ विशेष फलदायी होता है।
कैसा है मां का स्वरूप
महागौरी के एक हाथ में दुर्गा शक्ति का प्रतीक त्रिशूल है और दूसरे हाथ में भगवान शिव का प्रतीक डमरू। वहीं तीसरा हाथ वरमुद्रा में है तो चौथा हाथ गृहस्थ्य जीवन को दर्शाता है। मान्यता है कि महागौरी को गायन और संगीत बहुत पसंद है। बैल पर सवार मां के कपड़े श्वेत और मुख पर हंसी विराजमान है।
ये हैं मां गौरी की पूजा विधि
मां को शक्ति के लिए पूजा जाता है। इनके पूजन में नारियल, हलवा, पूड़ी और सब्जी का भोग लगाया जाता है। साथ ही इस दिन बहुत से लोग कन्यापूजन भी करते हैं।