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चीनी PPE किट टेस्ट में फेल की रिपोर्ट का DRDO ने किया खंडन, कही ये बात

By स्वाति सिंह | Updated: April 16, 2020 17:45 IST

देश में इस बीमारी से 414 लोगों की मौत हुई है और 12,380 लोग इससे संक्रमित हो चुके हैं। मिस्री ने कहा कि भारतीय दूतावास, भारत में इन सामान को समय से पहुंचाने के लिए विमानों के समन्वय पर काम करने के अलावा वाणिज्यिक खरीद में सहयोग भी कर रहा है।

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ठळक मुद्देDRDOकिसी अन्य विक्रेता द्वारा टेस्ट के लिए प्रदान की गई किट को पास या फेल नहीं करता है।खबर थी कि कोविड-19 वैश्विक महामारी से लड़ने के लिए चीन द्वारा भेजे PPE टेस्ट में फेल हुए हैं।

नई दिल्ली: रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने चीन से खराब निजी सुरक्षा उपकरण (पीपीई) किट भेजे जाने वाली खबर को खारिज किया है। डीआरडीओ के एक अधिकारी ने कहा,'DRDO हिंदुस्तान लेटेक्स लिमिटेड या किसी अन्य विक्रेता द्वारा टेस्ट के लिए प्रदान की गई किट को पास या फेल नहीं करता है। हमारी लैब केवल निर्धारित मानकों के अनुसार टेस्ट करती है और संबंधित एजेंसियों को प्रदान करती है।' 

मालूम हो कि खबर थी कि कोविड-19 वैश्विक महामारी से लड़ने के लिए चीन द्वारा भेजे PPE टेस्ट में फेल हुए हैं।  हालांकि, जो खेप गुणवत्ता परीक्षण में विफल रहे, उन्हें भारत में बड़ी निजी कंपनियों से दान के रूप में प्राप्त किया गया था।  

बता दें कि चीन ने कोविड-19 वैश्विक महामारी से निजात पाने में मदद के लिए भारत को बृहस्पतिवार को साढ़े छह लाख कोरोना वायरस चिकित्सा किट्स भेजी। बीजिंग में भारत के राजदूत विक्रम मिस्री ने  बताया कि चीन से खरीदी जा रही 20 लाख से अधिक जांच किटों को अगले 15 दिनों में भारत भेजा जाएगा। मिस्री ने बृहस्पतिवार को ट्वीट किया, ‘‘रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट्स और आरएनए एक्सट्रैक्शन किट्स समेत कुल 650,000 किटों को आज तड़के ग्वांग्झू हवाई अड्डे से भारत के लिए भेजा गया।’’ रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट किट 15 मिनट में नतीजे देती हैं और किसी मरीज के कोरोना वायरस के संपर्क में आने के बारे में पता लगाने के लिए मुंह के लार के नमूने के बजाय रक्त के नमूने पर काम करती है। ऐसी जानकारी है कि चीन ने भारत में मौजूदा लॉकडाउन के दौरान सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों में जांच बढ़ाने के उसके प्रयास के तौर पर पहले चिकित्सा किट्स की दो बड़ी खेप भेजीं ।

मंगलवार को उन्होंने यहां मीडिया को बताया था कि भारत ने 30 लाख जांच किटों के अलावा कोविड-19 मरीजों का इलाज कर रहे चिकित्साकर्मियों के लिए चीन से 1.5 करोड़ निजी सुरक्षा उपकरण खरीदने का ऑर्डर दिया है। मिस्री ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि हमारी जरूरतों को समय पर और सुचारू तरीके से तथा अनुमानित कीमत पर पूरा करना भारत-चीन संबंध के लिए सबसे अच्छा संकेत होगा।’’ कोरोना वायरस से करीब ढाई महीने तक जूझने के बाद चीन में कारखानों ने एक बार फिर काम शुरू कर दिया है और वह भारत समेत दुनियाभर में वेंटिलेटर और व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरणों (पीपीई) समेत चिकित्सा सामान की भारी मांग को एक बड़े कारोबारी अवसर के तौर पर देख रहा है। चीन से इन सामान के आयात के लिये भारत सहित कई देशों की निजी और सरकारी कंपनियां दोनों ही ऑर्डर दे रही हैं। भारत ने कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए बंद की अवधि तीन मई तक बढ़ा दी है।

देश में इस बीमारी से 414 लोगों की मौत हुई है और 12,380 लोग इससे संक्रमित हो चुके हैं। मिस्री ने कहा कि भारतीय दूतावास, भारत में इन सामान को समय से पहुंचाने के लिए विमानों के समन्वय पर काम करने के अलावा वाणिज्यिक खरीद में सहयोग भी कर रहा है। दुनिया के कई हिस्सों में कोरोना वायरस के फैलने के कारण चीनी चिकित्सा सामान की मांग बढ़ने पर चीन ने बुधवार को सभी देशों से सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त चीन की प्रतिष्ठित कंपनियों से इन सामान का आयात करने के लिए कहा तथा जालसाजी में शामिल लोगों को सजा देने की बात कही। उत्पादों की गुणवत्ता के बारे में कई देशों के चिंता जताए जाने के बारे में सवालों का जवाब देते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजान ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि चीन सरकार व्यवस्थित निर्यात को प्रोत्साहित कर रही है।

उन्होंने कहा, ‘‘हम आशा करते हैं कि विदेशी खरीददार उन कंपनियों के उत्पादों को चुनेंगे जिन्हें अच्छे उत्पाद की विश्वसनीयता के लिये चीनी नियामक से मान्यता प्राप्त है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हाल ही में कई देशों ने चीन से मेडिकल सामग्री खरीदी है। अपनी घरेलू जरूरतों को पूरा करते हुए हम विश्वसनीयता वाली कंपनियों और उत्पादों के निर्यात के मामले में प्रतिष्ठित कंपनियों की सहायता कर रहे हैं।’’

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