सुन्नी वक्फ बोर्ड में अयोध्या पर मतभेद, पुनर्विचार याचिका पर बंटे सदस्य, अध्यक्ष ने कहा- मैं अकेला फैसला लेने के लिए अधिकृत
By भाषा | Published: November 21, 2019 06:06 PM2019-11-21T18:06:59+5:302019-11-21T18:06:59+5:30
फारूकी ने पुनर्विचार याचिका को लेकर वक्फ बोर्ड में मतभेद व्याप्त होने के बारे में पूछे जाने कहा ‘‘वैसे तो मैं बोर्ड की तरफ से अकेले फैसला लेने के लिये अधिकृत हूं। मगर हमारे यहां तमाम फैसले बहुमत से होते हैं। अब अगर किसी सदस्य को एतराज होगा तो वह 26 नवम्बर को होने वाली बोर्ड की बैठक में अपनी बात रख सकता है।’’
अयोध्या मामले में उच्चतम न्यायालय के हाल के निर्णय पर पुनर्विचार याचिका दाखिल करने को लेकर उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड में मतभेद की खबरों के बीच बोर्ड के अध्यक्ष जुफर फारुकी का कहना है कि वह बोर्ड की तरफ से अकेले निर्णय लेने के लिए अधिकृत हैं।
अगर किसी सदस्य को एतराज है तो वह 26 नवंबर को होने वाली बैठक में उसे पेश कर सकता है। फारूकी ने पुनर्विचार याचिका को लेकर वक्फ बोर्ड में मतभेद व्याप्त होने के बारे में पूछे जाने कहा ‘‘वैसे तो मैं बोर्ड की तरफ से अकेले फैसला लेने के लिये अधिकृत हूं। मगर हमारे यहां तमाम फैसले बहुमत से होते हैं। अब अगर किसी सदस्य को एतराज होगा तो वह 26 नवम्बर को होने वाली बोर्ड की बैठक में अपनी बात रख सकता है।’’
Jamiat Ulama-i-Hind has issued a clarification that "Jamiat Ulama-i-Hind has passed a resolution that it will not file review petition against the Supreme Court verdict on Babri Masjid & mosques managed by Archaeological Survey of India (ASI) and Waqf properties." https://t.co/NZz6vR8Sc4
— ANI (@ANI) November 21, 2019
इस सवाल पर कि अगर वह खुद ही बोर्ड की तरफ से निर्णय लेने के लिये अधिकृत हैं तो क्या उनका फैसला ही अंतिम माना जाएगा, फारूकी ने कहा कि बोर्ड ने ‘रिसॉल्यूशन’ के जरिये मुझे फैसले लेने का अधिकार दिया है। मगर बोर्ड में किसी बात को लेकर कोई टकराव नहीं है।
कुछ मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि अयोध्या मामले में पुनर्विचार याचिका दाखिल करने को लेकर सुन्नी वक्फ बोर्ड में मतभेद हैं और आठ सदस्यीय बोर्ड के दो सदस्यों ने बोर्ड अध्यक्ष के निर्णय के खिलाफ जाते हुए याचिका दाखिल करने की पैरवी की है। मालूम हो कि अयोध्या मामले में गत नौ नवम्बर को उच्चतम न्यायालय ने दिये गये निर्णय में विवादित स्थल पर राम मंदिर का निर्माण कराने और मुसलमानों को मस्जिद बनाने के लिये अयोध्या में किसी प्रमुख स्थान पर जमीन देने का आदेश दिया था। मामले के प्रमुख मुस्लिम पक्षकार सुन्नी वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष फारूकी उसी दिन से कह रहे हैं कि बोर्ड उच्चतम न्यायालय के निर्णय के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल नहीं करेगा।
अयोध्या मामले में मुस्लिम पक्ष का प्रतिनिधित्व कर रहे ऑल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने गत 17 नवम्बर को अपनी वर्किंग कमेटी की आपात बैठक में उच्चतम न्यायालय के निर्णय के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल करने और मस्जिद के बदले कहीं भी जमीन न लेने का फैसला करते हुए उम्मीद जाहिर की थी कि सुन्नी वक्फ बोर्ड भी उसके फैसले का सम्मान करेगा। मगर, वक्फ बोर्ड अध्यक्ष फारूकी ने तब भी कहा था कि वह याचिका न दाखिल करने के अपने फैसले पर कायम हैं।
पुनर्विचार याचिका दाखिल करने को लेकर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड में भी मतभेद की खबरें आयी थीं। हालांकि सम्पर्क करने पर किसी ने भी इस बारे में खुलकर बात नहीं की। इस बीच, देश में शिया मुसलमानों के प्रमुख संगठन ऑल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा है कि वह पुनर्विचार याचिका दाखिल करने और बाबरी मस्जिद के बदले कहीं और जमीन न लेने के एआईएमपीएलबी के निर्णय का समर्थन करता है। बोर्ड के प्रवक्ता मौलाना यासूब अब्बास ने कहा कि शिया बोर्ड हर तरह से एआईएमपीएलबी के साथ है।
उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय के निर्णय को लेकर अगर किसी तरह की आशंका या शिकायत है तो हमें पुनर्विचार याचिका दाखिल करने के अपने कानूनी हक के इस्तेमाल से गुरेज नहीं करना चाहिये।