मेड इन इंडिया 'ध्रुवास्त्र' मिसाइल, दुश्मन के टैंक को मिनटों में तबाह, जानिए इसके बारे में
By भाषा | Published: July 22, 2020 09:30 PM2020-07-22T21:30:30+5:302020-07-22T21:30:30+5:30
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा विकसित ध्रुवास्त्र को हेलीकॉप्टर से लांच किया जा सकता है कि वह दुनिया के सबसे आधुनिक एंटी-टैंक हथियारों में से एक है।
बालेश्वरः भारत ने ओडिशा के चांदीपुर स्थित समेकित परीक्षण केन्द्र से स्वदेश में विकसित अपने एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल ध्रुवास्त्र के तीन सफल परीक्षण किए। रक्षा सूत्रों ने बुधवार को इस आशय की जानकारी दी।
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा विकसित ध्रुवास्त्र को हेलीकॉप्टर से लांच किया जा सकता है कि वह दुनिया के सबसे आधुनिक एंटी-टैंक हथियारों में से एक है। उन्होंने बताया कि डीआरडीओ द्वारा विकास के दौरान किए जाने वाले परीक्षणों के तहत इस अत्याधुनिक मिसाइल को 15 जुलाई को दो बार और 16 जुलाई को एक बार लांच किया गया।
उन्होंने बताया कि सीधा निशाना लगाते हुए तीनों परीक्षण किए गए और वे सफल रहे। सूत्रों ने बताया कि जमीन से लांचर से दाग कर इस मिसाइल के कई महत्वपूर्ण पैरामीटर की जांच की गई। ध्रुवास्त्र हमारे पुराने मिसाइल ‘नाग हेलीना’ का हेलीकॉप्टर संस्करण है। इसमें कई नए फीचर हैं और आसमान से सीधे दाग कर इससे दुश्मन के बंकर, बख्तरबंद गाड़ियों और टैंकों को नष्ट किया जा सकता है।
भारतीय वैज्ञानिकों ने 'ध्रुवास्त्र' मिसाइल का ओडिशा में डायरेक्ट और टॉप अटैक मोड में सफल टेस्ट किया है। इस मिसाइल की रेंज चार किलोमीटर से लेकर सात किलोमीटर तक हो सकती है। डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन की बनाई इस 'नाग' मिसाइल दुर्गम जगहों पर दुश्मनों के टैंक को आसानी से उड़ा सकती है। इस मिसाइल सिस्टम में एक से बढ़कर आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल किया गया है।
चीन के साथ सीमा विवाद के बीच नौसेना का पनडुब्बी रोधी पी-8आई लड़ाकू विमान लद्दाख में तैनात
भारतीय नौसेना के पोसाइडन 8-आई पनडुब्बी रोधी युद्धक विमान को वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर निगरानी करने के लिये पूर्वी लद्दाख में तैनात किया गया है। वहीं, चीन के साथ सीमा विवाद के बीच उसके कुछ ‘मिग-29के’ लड़ाकू विमानों को उत्तरी सेक्टर में महत्वपूर्ण ठिकानों पर रखे जाने की भी संभावना है।
सूत्रों ने बताया कि सेना के शीर्ष अधिकारी भारतीय नौसेना के मिग-29के लड़ाकू विमानों को राष्ट्रीय सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिये सेना के तीनों अंगों में समन्वय बनाने की कोशिश के तहत उत्तरी क्षेत्र के कुछ वायुसेना अड्डों पर नौत करने पर विचार कर रहे हैं।
उन्होंने बताया कि नौसेना के लड़ाकू विमान शत्रु के इलाके में अंदर तक जा कर हमले करने की वायुसेना की कोशिशों और हवाई वर्चस्व क्षमताओं में सहायक होंगे। अभी नौसेना के करीब 40 मिग-29के विमानों का एक बेड़ा है और उनमें से कम से कम 18 देश के विमान वाहक पोत आईएनएस विक्रमादित्य पर तैनात हैं। वायुसेना ने सुखोई 30 एमकेआई, जगुआर और मिराज 2000 जैसे अग्रिम मोर्चे के लगभग अपने सभी तरह के लड़ाकू विामनों को पूर्वी लद्दाख में और एलएसी के आसपास अन्य स्थानों पर तैनात किये हैं।