दिल्ली हिंसा: जामिया की सफूरा जरगर को मिली जमानत, राज्य से बाहर जाने की इजाजत नहीं
By स्वाति सिंह | Published: June 23, 2020 02:54 PM2020-06-23T14:54:47+5:302020-06-23T14:55:04+5:30
जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय की एमफिल छात्रा सफूरा ज़रगर ने फरवरी में नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान उत्तर-पूर्वी दिल्ली में सांप्रदायिक हिंसा से संबंधित एक मामले में जमानत की मांग की थी।
नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने मंगलवार को सॉलिसिटीर जनरल तुषार मेहता द्वारा विरोध नहीं किए जाने पर दिल्ली हिंसा के मामले में गिरफ्तार गर्भवती सफूरा ज़रगर को मानवीय आधार पर जमानत दी। इससे पहले सोमवार को सफूरा जरगर की जमानत याचिका पर दिल्ली पुलिस ने कोर्ट में कहा था कि आरोपी गर्भवती होने मात्र से जमानत की हकदार नहीं हो सकती है।
इसके साथ ही कोर्ट ने ज़रगर को निर्देश दिया है कि वह ऐसी किसी भी गतिविधि में शामिल न हो जिससे मामले की जांच-पड़ताल में बाधा आए। कोर्ट ने कहा है कि वह दिल्ली से बाहर नहीं जा सकती है। इसके लिए पहले उसे अनुमति लेनी होगी।
जरगर ने फरवरी में नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान उत्तर-पूर्वी दिल्ली में सांप्रदायिक हिंसा से संबंधित एक मामले में जमानत की मांग की थी। जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय की एमफिल छात्रा जरगर गर्भवती हैं।
Delhi High Court directs Safoora to not involve in any activities which may hamper the investigation. She has also been directed to not leave Delhi, has to seek permission in this regard. https://t.co/HeGxuMNnVg
— ANI (@ANI) June 23, 2020
न्यूज 18 के मुताबिक, पुलिस ने तर्क देते हुए याचिका के खिलाफ कोर्ट में कहा है कि पिछले 10 वर्षों में तिहाड़ जेल में 39 महिला कैदियों की डिलीवरी हो चुकी है। पुलिस ने कहा कि ऐसे में सफूरा जरगर का मामला खास नहीं है। सफूरा जरगर के मामले में दिल्ली पुलिस ने हाईकोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट पेश की है, जिसमें ये बात कही है।
सफूरा जरगर पर ये है आरोप-
दिल्ली पुलिस ने अपने आरोप में कहा है कि 22 फरवरी की रात नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के विरोध में महिलाएं जाफराबाद मेट्रो स्टेशन के नीचे बैठ गई थीं।
दिल्ली पुलिस की मानें तो उसी दौरान सफूरा भारी हिंसक भीड़ को लेकर वहां पहुंची और दिल्ली को हिंसा की आग में झोंकने की साजिश रची।
पुलिस द्वारा लगाए आरोप में कहा गया है इसी आंदोलन की वजह से हिंसा भड़की थी। जिसमें 50 से अधिक लोगों की जान चली गई। सफूरा के खिलाफ दिल्ली पुलिस ने हिंसा भड़काने के संगीन आरोप लगाए हैं।
देश के 500 प्रबुद्ध लोगों ने सफूरा जरगर व वरवरा राव की जमानत की मांग की
फिल्मी शख्सियतों सौमित्र चटर्जी, अडूर गोपालकृष्णन और अपर्णा सेन समेत 500 प्रसिद्ध लोगों ने केंद्र को एक खुला पत्र लिखकर वरवरा राव और सफूरा जरगर जैसे मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को ऐसे वक्त में,जबकि देश में महामारी का प्रकोप फैल रहा है, तत्काल जमानत पर छोड़ने की मांग की है।
पत्र में लिखा गया है कि वामपंथी विचार वाले कवि लेखक वरवरा राव के साथ सुधा भारद्वाज, शोमा सेन, आनंद तेलतुंबडे, गौतम नवलखा, अरुण फरीरा, वी गोंजाल्विस, सुरेंद्र गाडलिंग, महेश राउत, सुधीर धवले और रोना विल्सन जेल में हैं। इंडियन कल्चरल फोरम की ओर से 16 जून को जारी पत्र में कहा गया है, ‘‘महाराष्ट्र की जेलों में जहां उन्हें रखा गया है, कुछ कैदियों की कोविड-19 से मौत हो चुकी है और अन्य कई संक्रमित मिले हैं।’’
पत्र में जामिया मिलिया इस्लामिया की छात्रा सफूरा जरगर और असम के मानवाधिकार कार्यकर्ता अखिल गोगोई को जमानत पर रिहा नहीं किए जाने पर भी निराशा प्रकट की गयी है। पत्र पर नसीरूद्दीन शाह, शबाना आजमी, नंदिता दास, अमोल पालेकर, ओनिर, अनुराग कश्यप आदि के भी दस्तखत हैं।
गत 10 अप्रैल को दिल्ली पुलिस के विशेष प्रकोष्ठ द्वारा गिरफ्तार की गई जरगर ने मामले में निचली अदालत के चार जून के आदेश को चुनौती दी है, जिसमें अदालत ने उसे जमानत देने से इनकार कर दिया था। निचली अदालत ने तब अपने आदेश में कहा था, ‘‘जब आप अंगारे के साथ खेलते हैं, तो चिंगारी से आग भड़कने के लिए हवा को दोष नहीं दे सकते।’’ अदालत ने कहा था कि जांच में एक बड़ी साजिश का पता चला है और अगर किसी साजिशकर्ता द्वारा किए गए षड्यंत्र, कृत्यों और बयानों के सबूत हैं, तो यह सभी के खिलाफ स्वीकार्य है। हालाँकि, निचली अदालत ने संबंधित कारा अधीक्षक से जरगर को पर्याप्त चिकित्सा सहायता प्रदान करने के लिए कहा था।